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پیدایش 12:8 - किताबे-मुक़द्दस

8 वहाँ से वह उस पहाड़ी इलाक़े की तरफ़ गया जो बैतेल के मशरिक़ में है। वहाँ उसने अपना ख़ैमा लगाया। मग़रिब में बैतेल था और मशरिक़ में अई। इस जगह पर भी उसने रब की ताज़ीम में क़ुरबानगाह बनाई और रब का नाम लेकर इबादत की।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

8 پھر وہاں سے کوُچ کرکے وہ اُن پہاڑوں کی طرف گئے جو بیت ایل کے مشرق میں ہیں اَور اَیسی جگہ خیمہ زن ہویٔے جِس کے مغرب میں بیت ایل اَور مشرق میں عَیؔ ہے۔ وہاں اَبرامؔ نے یَاہوِہ کے لیٔے ایک مذبح بنایا اَور یَاہوِہ سے دعا کی۔

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کِتابِ مُقادّس

8 اور وہاں سے کُوچ کر کے اُس پہاڑ کی طرف گیا جو بَیت ایلؔ کے مشرِق میں ہے اور اپنا ڈیرا اَیسے لگایا کہ بَیت ایلؔ مغرِب میں اور عیَؔ مشرِق میں پڑا اور وہاں اُس نے خُداوند کے لِئے ایک قُربان گاہ بنائی اور خُداوند سے دُعا کی۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

8 وہاں سے وہ اُس پہاڑی علاقے کی طرف گیا جو بیت ایل کے مشرق میں ہے۔ وہاں اُس نے اپنا خیمہ لگایا۔ مغرب میں بیت ایل تھا اور مشرق میں عَی۔ اِس جگہ پر بھی اُس نے رب کی تعظیم میں قربان گاہ بنائی اور رب کا نام لے کر عبادت کی۔

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پیدایش 12:8
33 حوالہ جات  

बिनयमीन के क़बीले की रिहाइश ज़ैल के मक़ामों में थी। जिबा, मिकमास, ऐयाह, बैतेल गिर्दो-नवाह की आबादियों समेत,


सेत के हाँ भी बेटा पैदा हुआ। उसने उसका नाम अनूस रखा। उन दिनों में लोग रब का नाम लेकर इबादत करने लगे।


इसके बाद इब्राहीम ने बैर-सबा में झाऊ का दरख़्त लगाया। वहाँ उसने रब का नाम लेकर उस की इबादत की जो अबदी ख़ुदा है।


मैं कुरिंथुस में मौजूद अल्लाह की जमात को लिख रहा हूँ, आपको जिन्हें मसीह ईसा में मुक़द्दस किया गया है, जिन्हें मुक़द्दस होने के लिए बुलाया गया है। साथ ही यह ख़त उन तमाम लोगों के नाम भी है जो हर जगह हमारे ख़ुदावंद ईसा मसीह का नाम लेते हैं जो उनका और हमारा ख़ुदावंद है।


उसने मक़ाम का नाम बैतेल यानी ‘अल्लाह का घर’ रखा (पहले साथवाले शहर का नाम लूज़ था)।


वहाँ जहाँ उसने क़ुरबानगाह बनाई थी उसने रब का नाम लेकर उस की इबादत की।


उस वक़्त जो भी रब का नाम लेगा नजात पाएगा।’


उस वक़्त जो भी रब का नाम लेगा नजात पाएगा। क्योंकि कोहे-सिय्यून पर और यरूशलम में नजात मिलेगी, बिलकुल उसी तरह जिस तरह रब ने फ़रमाया है। जिन बचे हुओं को रब ने बुलाया है उन्हीं में नजात पाई जाएगी।


ऐयात पर हमला किया है। उसने मिजरोन में से गुज़रकर मिकमास में अपना लशकरी सामान छोड़ रखा है।


तब मैंने रब का नाम पुकारा, “ऐ रब, मेहरबानी करके मुझे बचा!”


बैत-अराबा, समरैम, बैतेल,


एक मर्द भी अई या बैतेल में न रहा बल्कि सबके सब इसराईलियों के पीछे पड़ गए। न सिर्फ़ यह बल्कि उन्होंने शहर का दरवाज़ा खुला छोड़ दिया।


चुनाँचे यशुअ पूरे लशकर के साथ अई पर हमला करने के लिए निकला। उसने अपने सबसे अच्छे फ़ौजियों में से 30,000 को चुन लिया और उन्हें रात के वक़्त अई के ख़िलाफ़ भेजकर


यह यों ज़ाहिर हुआ कि यशुअ ने कुछ आदमियों को यरीहू से अई शहर को भेज दिया जो बैतेल के मशरिक़ में बैत-आवन के क़रीब है। उसने उनसे कहा, “उस इलाक़े में जाकर उस की जासूसी करें।” चुनाँचे वह जाकर ऐसा ही करने लगे।


क्योंकि हमें यह जगह छोड़कर बैतेल जाना है। वहाँ मैं उस ख़ुदा के लिए क़ुरबानगाह बनाऊँगा जिसने मुसीबत के वक़्त मेरी दुआ सुनी। जहाँ भी मैं गया वहाँ वह मेरे साथ रहा है।”


ईमान के ज़रीए वह वादा किए हुए मुल्क में अजनबी की हैसियत से रहने लगा। वह ख़ैमों में रहता था और इसी तरह इसहाक़ और याक़ूब भी जो उसके साथ उसी वादे के वारिस थे।


उस वक़्त नूह ने रब के लिए क़ुरबानगाह बनाई। उसने तमाम फिरने और उड़नेवाले पाक जानवरों में से कुछ चुनकर उन्हें ज़बह किया और क़ुरबानगाह पर पूरी तरह जला दिया।


वहाँ से जगह बजगह चलते हुए वह आख़िरकार बैतेल से होकर उस मक़ाम तक पहुँच गया जहाँ उसने शुरू में अपना डेरा लगाया था और जो बैतेल और अई के दरमियान था।


अब्राम रवाना हुआ। चलते चलते उसने अपने डेरे हबरून के क़रीब ममरे के दरख़्तों के पास लगाए। वहाँ उसने रब की ताज़ीम में क़ुरबानगाह बनाई।


चलते चलते वह उस मक़ाम पर पहुँचे जो अल्लाह ने उस पर ज़ाहिर किया था। इब्राहीम ने वहाँ क़ुरबानगाह बनाई और उस पर लकड़ियाँ तरतीब से रख दीं। फिर उसने इसहाक़ को बाँधकर लकड़ियों पर रख दिया


वहाँ इसहाक़ ने क़ुरबानगाह बनाई और रब का नाम लेकर इबादत की। वहाँ उसने अपने ख़ैमे लगाए और उसके नौकरों ने कुआँ खोद लिया।


यह कहकर यशुअ ने उन्हें अई की तरफ़ भेज दिया। वह रवाना होकर अई के मग़रिब में घात में बैठ गए। यह जगह बैतेल और अई के दरमियान थी। लेकिन यशुअ ने यह रात बाक़ी लोगों के साथ ख़ैमागाह में गुज़ारी।


जो शहर के मग़रिब में अई और बैतेल के दरमियान घात लगाए बैठे थे वह तक़रीबन 5,000 मर्द थे।


यह तोह्फ़े उसने ज़ैल के शहरों में भेज दिए : बैतेल, रामात-नजब, यत्तीर,


जब लाबन उसके पास पहुँचा तो याक़ूब ने जिलियाद के पहाड़ी इलाक़े में अपने ख़ैमे लगाए हुए थे। लाबन ने भी अपने रिश्तेदारों के साथ वहीं अपने ख़ैमे लगाए।


वहाँ उसने क़ुरबानगाह बनाई जिसका नाम उसने ‘एल ख़ुदाए-इसराईल’ रखा।


याक़ूब ने वहाँ क़ुरबानगाह बनाकर मक़ाम का नाम बैतेल यानी ‘अल्लाह का घर’ रखा। क्योंकि वहाँ अल्लाह ने अपने आपको उस पर ज़ाहिर किया था जब वह अपने भाई से फ़रार हो रहा था।


उस वक़्त मूसा ने क़ुरबानगाह बनाकर उसका नाम ‘रब मेरा झंडा है’ रखा।


उस वक़्त यशुअ ने रब इसराईल के ख़ुदा की ताज़ीम में ऐबाल पहाड़ पर क़ुरबानगाह बनाई


यह मर्द चलते चलते दरियाए-यरदन के मग़रिब में एक जगह पहुँचे जिसका नाम गलीलोत था। वहाँ यानी मुल्के-कनान में ही उन्होंने एक बड़ी और शानदार क़ुरबानगाह बनाई।


वहीं जिदौन ने रब के लिए क़ुरबानगाह बनाई और उसका नाम ‘रब सलामत है’ रखा। यह आज तक अबियज़र के ख़ानदान के शहर उफ़रा में मौजूद है।


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