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پیدایش 1:11 - किताबे-मुक़द्दस

11 फिर उसने कहा, “ज़मीन हरियावल पैदा करे, ऐसे पौदे जो बीज रखते हों और ऐसे दरख़्त जिनके फल अपनी अपनी क़िस्म के बीज रखते हों।” ऐसा ही हुआ।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

11 تَب خُدا نے فرمایا، ”زمین سبزی پیدا کرے جَیسے بیج والے پَودے اَور بیج والے پھلدار درخت جو اَپنی اَپنی جنس کے مُطابق زمین پر پھُولیں پھلیں۔“ اَور اَیسا ہی ہُوا۔

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کِتابِ مُقادّس

11 اور خُدا نے کہا کہ زمِین گھاس اور بیِج دار بوٹِیوں کو اور پَھل دار درختوں کو جو اپنی اپنی جِنس کے مُوافِق پَھلیں اور جو زمِین پر اپنے آپ ہی میں بیِج رکھّیں اُگائے اور اَیسا ہی ہُؤا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

11 پھر اُس نے کہا، ”زمین ہریاول پیدا کرے، ایسے پودے جو بیج رکھتے ہوں اور ایسے درخت جن کے پھل اپنی اپنی قسم کے بیج رکھتے ہوں۔“ ایسا ہی ہوا۔

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پیدایش 1:11
20 حوالہ جات  

अल्लाह उस ज़मीन को बरकत देता है जो अपने पर बार बार पड़नेवाली बारिश को जज़ब करके ऐसी फ़सल पैदा करती है जो खेतीबाड़ी करनेवाले के लिए मुफ़ीद हो।


क्योंकि वह आसमान पर बादल छाने देता, ज़मीन को बारिश मुहैया करता और पहाड़ों पर घास फूटने देता है।


अल्लाह ने उनसे मज़ीद कहा, “तमाम बीजदार पौदे और फलदार दरख़्त तुम्हारे ही हैं। मैं उन्हें तुमको खाने के लिए देता हूँ।


रब ख़ुदा के हुक्म पर ज़मीन में से तरह तरह के दरख़्त फूट निकले, ऐसे दरख़्त जो देखने में दिलकश और खाने के लिए अच्छे थे। बाग़ के बीच में दो दरख़्त थे। एक का फल ज़िंदगी बख़्शता था जबकि दूसरे का फल अच्छे और बुरे की पहचान दिलाता था।


ज़मीन ख़ुद बख़ुद अनाज की फ़सल पैदा करती है। पहले पत्ते निकलते हैं, फिर बालें नज़र आने लगती हैं और आख़िर में दाने पैदा हो जाते हैं।


अगर अल्लाह उस घास को जो आज मैदान में है और कल आग में झोंकी जाएगी ऐसा शानदार लिबास पहनाता है तो ऐ कमएतक़ादो, वह तुमको पहनाने के लिए क्या कुछ नहीं करेगा?


ज़मीन की सतह पर ख़ुराक पैदा होती है जबकि उस की गहराइयाँ यों तबदील हो जाती हैं जैसे उसमें आग लगी हो।


वह नहरों के किनारे पर लगे दरख़्त की मानिंद है। वक़्त पर वह फल लाता, और उसके पत्ते नहीं मुरझाते। जो कुछ भी करे उसमें वह कामयाब है।


तो शुरू में झाड़ियाँ और पौदे नहीं उगते थे। वजह यह थी कि अल्लाह ने बारिश का इंतज़ाम नहीं किया था। और अभी इनसान भी पैदा नहीं हुआ था कि ज़मीन की खेतीबाड़ी करता।


मेरे भाइयो, क्या अंजीर के दरख़्त पर ज़ैतून लग सकते हैं या अंगूर की बेल पर अंजीर? हरगिज़ नहीं! इसी तरह नमकीन चश्मे से मीठा पानी नहीं निकल सकता।


अब तो अदालत की कुल्हाड़ी दरख़्तों की जड़ों पर रखी हुई है। हर दरख़्त जो अच्छा फल न लाए काटा और आग में झोंका जाएगा।


वह पानी के किनारे पर लगे उस दरख़्त की मानिंद है जिसकी जड़ें नहर तक फैली हुई हैं। झुलसानेवाली गरमी भी आए तो उसे डर नहीं, बल्कि उसके पत्ते हरे-भरे रहते हैं। काल भी पड़े तो वह परेशान नहीं होता बल्कि वक़्त पर फल लाता रहता है।


लेकिन रब ख़ुदा ने उसे आगाह किया, “तुझे हर दरख़्त का फल खाने की इजाज़त है।


लेकिन अल्लाह उसे ऐसा जिस्म देता है जैसा वह मुनासिब समझता है। हर क़िस्म के बीज को वह उसका ख़ास जिस्म अता करता है।


ज़मीन ने हरियावल पैदा की, ऐसे पौदे जो अपनी अपनी क़िस्म के बीज रखते और ऐसे दरख़्त जिनके फल अपनी अपनी क़िस्म के बीज रखते थे। अल्लाह ने देखा कि यह अच्छा है।


क्योंकि जिस तरह ज़मीन अपनी हरियाली को निकलने देती और बाग़ अपने बीजों को फूटने देता है उसी तरह रब क़ादिरे-मुतलक़ अक़वाम के सामने अपनी रास्ती और सताइश फूटने देगा।


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