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گلتیوں 5:1 - किताबे-मुक़द्दस

1 मसीह ने हमें आज़ाद रहने के लिए ही आज़ाद किया है। तो अब क़ायम रहें और दुबारा अपने गले में ग़ुलामी का जुआ डालने न दें।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

1 المسیح نے ہمیں آزاد کر دیا تاکہ ہم ہمیشہ آزاد رہیں۔ پس ثابت قدم رہو، اَور دوبارہ غُلامی کے جُوئے میں مت جُتو۔

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کِتابِ مُقادّس

1 مسِیح نے ہمیں آزاد رہنے کے لِئے آزاد کِیا ہے پس قائِم رہو اور دوبارہ غُلامی کے جُوئے میں نہ جُتو۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

1 مسیح نے ہمیں آزاد رہنے کے لئے ہی آزاد کیا ہے۔ تو اب قائم رہیں اور دوبارہ اپنے گلے میں غلامی کا جوا ڈالنے نہ دیں۔

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گلتیوں 5:1
42 حوالہ جات  

क्योंकि ख़ुदावंद रूह है और जहाँ ख़ुदावंद का रूह है वहाँ आज़ादी है।


भाइयो, आपको आज़ाद होने के लिए बुलाया गया है। लेकिन ख़बरदार रहें कि इस आज़ादी से आपकी गुनाहआलूदा फ़ितरत को अमल में आने का मौक़ा न मिले। इसके बजाए मुहब्बत की रूह में एक दूसरे की ख़िदमत करें।


आप आज़ाद हैं, इसलिए आज़ादाना ज़िंदगी गुज़ारें। लेकिन अपनी आज़ादी को ग़लत काम छुपाने के लिए इस्तेमाल न करें, क्योंकि आप अल्लाह के ख़ादिम हैं।


आइंदा गुनाह आप पर हुकूमत नहीं करेगा, क्योंकि आप अपनी ज़िंदगी शरीअत के तहत नहीं गुज़ारते बल्कि अल्लाह के फ़ज़ल के तहत।


क्योंकि रूह की शरीअत ने जो हमें मसीह में ज़िंदगी अता करती है तुझे गुनाह और मौत की शरीअत से आज़ाद कर दिया है।


लेकिन अब आप अल्लाह को जानते हैं, बल्कि अब अल्लाह ने आपको जान लिया है। तो फिर आप मुड़कर इन कमज़ोर और घटिया उसूलों की तरफ़ क्यों वापस जाने लगे हैं? क्या आप दुबारा इनकी ग़ुलामी में आना चाहते हैं?


आएँ, हम मज़बूती से उस उम्मीद को थामे रखें जिसका इक़रार हम करते हैं। हम डाँवाँडोल न हो जाएँ, क्योंकि जिसने इस उम्मीद का वादा किया है वह वफ़ादार है।


और चंद यही चाहते थे। लेकिन यह झूटे भाई थे जो चुपके से अंदर घुस आए थे ताकि जासूस बनकर हमारी उस आज़ादी के बारे में मालूमात हासिल कर लें जो हमें मसीह में मिली है। यह हमें ग़ुलाम बनाना चाहते थे,


ग़रज़ भाइयो, हम लौंडी के फ़रज़ंद नहीं हैं बल्कि आज़ाद औरत के।


चुनाँचे जो कुछ तुझे मिला है और जो तूने सुना है उसे याद रखना। उसे महफ़ूज़ रख और तौबा कर। अगर तू बेदार न हो तो मैं चोर की तरह आऊँगा और तुझे मालूम नहीं होगा कि मैं कब तुझ पर आन पड़ूँगा।


यह उन्हें आज़ाद करने का वादा करते हैं जबकि ख़ुद बदकारी के ग़ुलाम हैं। क्योंकि इनसान उसी का ग़ुलाम है जो उस पर ग़ालिब आ गया है।


जागते रहें, ईमान में साबितक़दम रहें, मरदानगी दिखाएँ, मज़बूत बने रहें।


लेकिन अब हम मरकर शरीअत के बंधन से आज़ाद हो गए हैं। अब हम शरीअत की पुरानी ज़िंदगी के तहत ख़िदमत नहीं करते बल्कि रूहुल-क़ुद्स की नई ज़िंदगी के तहत।


अब आपको गुनाह से आज़ाद कर दिया गया है, रास्तबाज़ी ही आपकी मालिकन बन गई है।


रब क़ादिरे-मुतलक़ का रूह मुझ पर है, क्योंकि रब ने मुझे तेल से मसह करके ग़रीबों को ख़ुशख़बरी सुनाने का इख़्तियार दिया है। उसने मुझे शिकस्तादिलों की मरहम-पट्टी करने के लिए और यह एलान करने के लिए भेजा है कि क़ैदियों को रिहाई मिलेगी और ज़ंजीरों में जकड़े हुए आज़ाद हो जाएंगे,


चुनाँचे आप अल्लाह को इसमें क्यों आज़मा रहे हैं कि आप ग़ैरयहूदी शागिर्दों की गरदन पर एक ऐसा जुआ रखना चाहते हैं जो न हम और न हमारे बापदादा उठा सकते थे?


क्योंकि जो उस वक़्त ग़ुलाम था जब ख़ुदावंद ने उसे बुलाया वह अब ख़ुदावंद का आज़ाद किया हुआ है। इसी तरह जो आज़ाद था जब उसे बुलाया गया वह अब मसीह का ग़ुलाम है।


मुझे दुबारा अपनी नजात की ख़ुशी दिला, मुझे मुस्तैद रूह अता करके सँभाले रख।


सच्चाई ख़रीद ले और कभी फ़रोख़्त न कर, उसमें शामिल हिकमत, तरबियत और समझ अपना ले।


अज़ीज़ो, गो मैं आपको उस नजात के बारे में लिखने का बड़ा शौक़ रखता हूँ जिसमें हम सब शरीक हैं, लेकिन अब मैं आपको एक और बात के बारे में लिखना चाहता हूँ। मैं इसमें आपको नसीहत करने की ज़रूरत महसूस करता हूँ कि आप उस ईमान की ख़ातिर जिद्दो-जहद करें जो एक ही बार सदा के लिए मुक़द्दसीन के सुपुर्द कर दिया गया है।


लेकिन आप हर सूरत में मसीह की ख़ुशख़बरी और आसमान के शहरियों के लायक़ ज़िंदगी गुज़ारें। फिर ख़ाह मैं आकर आपको देखूँ, ख़ाह ग़ैरमौजूदगी में आपके बारे में सुनूँ, मुझे मालूम होगा कि आप एक रूह में क़ायम हैं, आप मिलकर यकदिली से उस ईमान के लिए जाँफ़िशानी कर रहे हैं जो अल्लाह की ख़ुशख़बरी से पैदा हुआ है,


अब यों खड़े हो जाएँ कि आपकी कमर में सच्चाई का पटका बँधा हुआ हो, आपके सीने पर रास्तबाज़ी का सीनाबंद लगा हो


लेकिन इतना ज़रूर करो कि जो कुछ तुम्हारे पास है उसे मेरे आने तक मज़बूती से थामे रखना।


ग़रज़ आएँ, हम उस ईमान से लिपटे रहें जिसका इक़रार हम करते हैं। क्योंकि हमारा ऐसा अज़ीम इमामे-आज़म है जो आसमानों में से गुज़र गया यानी ईसा अल्लाह का फ़रज़ंद।


बात यह है कि हम मसीह के शरीके-कार बन गए हैं। लेकिन इस शर्त पर कि हम आख़िर तक वह एतमाद मज़बूती से क़ायम रखें जो हम आग़ाज़ में रखते थे।


मसीह फ़रक़ है। उसे फ़रज़ंद की हैसियत से अल्लाह के घर पर इख़्तियार है और इसी में वह वफ़ादार है। हम उसका घर हैं बशर्तेकि हम अपनी दिलेरी और वह उम्मीद क़ायम रखें जिस पर हम फ़ख़र करते हैं।


भाइयो, इसलिए साबितक़दम रहें और उन रिवायात को थामे रखें जो हमने आपको सिखाई हैं, ख़ाह ज़बानी या ख़त के ज़रीए।


अब हमारी जान में जान आ गई है, क्योंकि आप मज़बूती से ख़ुदावंद में क़ायम हैं।


लेकिन आसमानी यरूशलम आज़ाद है और वही हमारी माँ है।


अब चूँकि ईमान की राह आ गई है इसलिए हम शरीअत की तरबियत के तहत नहीं रहे।


ग़रज़, मेरे प्यारे भाइयो, मज़बूत बने रहें। कोई चीज़ आपको डाँवाँडोल न कर दे। हमेशा ख़ुदावंद की ख़िदमत जाँफ़िशानी से करें, यह जानते हुए कि ख़ुदावंद के लिए आपकी मेहनत-मशक़्क़त रायगाँ नहीं जाएगी।


वह भारी गठड़ियाँ बाँध बाँधकर लोगों के कंधों पर रख देते हैं, लेकिन ख़ुद उन्हें उठाने के लिए एक उँगली तक हिलाने को तैयार नहीं होते।


चुनाँचे अगर वह अपने ख़ाविंद के जीते-जी किसी और मर्द की बीवी बन जाए तो उसे ज़िनाकार क़रार दिया जाता है। लेकिन अगर उसका शौहर मर जाए तो वह शरीअत से आज़ाद हुई। अब वह किसी दूसरे मर्द की बीवी बने तो ज़िनाकार नहीं ठहरती।


क्योंकि अल्लाह ने जो रूह आपको दिया है उसने आपको ग़ुलाम बनाकर ख़ौफ़ज़दा हालत में नहीं रखा बल्कि आपको अल्लाह के फ़रज़ंद बना दिया है, और उसी के ज़रीए हम पुकारकर अल्लाह को “अब्बा” यानी “ऐ बाप” कह सकते हैं।


हाँ, बल्कि आप यह भी बरदाश्त करते हैं जब लोग आपको ग़ुलाम बनाते, आपको लूटते, आपसे ग़लत फ़ायदा उठाते, नख़रे करते और आपको थप्पड़ मारते हैं।


इसलिए अंगूर का ताज़ा रस नई मशकों में डाला जाता है जो लचकदार होती हैं।


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