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گلتیوں 3:17 - किताबे-मुक़द्दस

17 कहने से मुराद यह है कि अल्लाह ने इब्राहीम से अहद बाँधकर उसे क़ायम रखने का वादा किया। शरीअत जो 430 साल के बाद दी गई इस अहद को रद्द करके अल्लाह का वादा मनसूख़ नहीं कर सकती।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

17 میرا مطلب یہ ہے: جو عہد خُدا نے حضرت اَبراہامؔ کے ساتھ باندھا تھا اَور جِس کی اُس نے تصدیق کر دی تھی، اُسے شَریعت باطِل نہیں ٹھہرا سکتی جو چار سَو تیس بَرس بعد آئی اَور نہ اُس وعدہ کو منسُوخ کر سکتی ہے۔

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کِتابِ مُقادّس

17 میرا یہ مطلَب ہے کہ جِس عہد کی خُدا نے پہلے سے تصدِیق کی تھی اُس کو شرِیعت چار سَو تِیس برس کے بعد آ کر باطِل نہیں کر سکتی کہ وہ وعدہ لاحاصِل ہو۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

17 کہنے سے مراد یہ ہے کہ اللہ نے ابراہیم سے عہد باندھ کر اُسے قائم رکھنے کا وعدہ کیا۔ شریعت جو 430 سال کے بعد دی گئی اِس عہد کو رد کر کے اللہ کا وعدہ منسوخ نہیں کر سکتی۔

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گلتیوں 3:17
39 حوالہ جات  

फिर रब ने उससे कहा, “जान ले कि तेरी औलाद ऐसे मुल्क में रहेगी जो उसका नहीं होगा। वहाँ वह अजनबी और ग़ुलाम होगी, और उस पर 400 साल तक बहुत ज़ुल्म किया जाएगा।


क्योंकि वही अल्लाह के तमाम वादों की “हाँ” है। इसलिए हम उसी के वसीले से “आमीन” (जी हाँ) कहकर अल्लाह को जलाल देते हैं।


अगर उनमें से बाज़ बेवफ़ा निकले तो क्या हुआ? क्या इससे अल्लाह की वफ़ादारी भी ख़त्म हो जाएगी?


ग़रज़ ख़बरदार रहें कि कोई आपको बज़ाहिर सहीह और मीठे मीठे अलफ़ाज़ से धोका न दे।


आप जो शरीअत की पैरवी करने से रास्तबाज़ बनना चाहते हैं आपका मसीह के साथ कोई वास्ता न रहा। हाँ, आप अल्लाह के फ़ज़ल से दूर हो गए हैं।


भाइयो, इनसानी ज़िंदगी की एक मिसाल लें। जब दो पार्टियाँ किसी मामले में मुत्तफ़िक़ होकर मुआहदा करती हैं तो कोई इस मुआहदे को मनसूख़ या इसमें इज़ाफ़ा नहीं कर सकता।


मसीह ने मुझे बपतिस्मा देने के लिए रसूल बनाकर नहीं भेजा बल्कि इसलिए कि अल्लाह की ख़ुशख़बरी सुनाऊँ। और यह काम मुझे दुनियावी हिकमत से आरास्ता तक़रीर से नहीं करना है ताकि मसीह की सलीब की ताक़त बेअसर न हो जाए।


क्योंकि शरीअत मूसा की मारिफ़त दी गई, लेकिन अल्लाह का फ़ज़ल और सच्चाई ईसा मसीह के वसीले से क़ायम हुई।


रब्बुल-अफ़वाज ने फ़ैसला कर लिया है, तो कौन इसे मनसूख़ करेगा? उसने अपना हाथ बढ़ा दिया है, तो कौन उसे रोकेगा?


उसे दुनिया की तख़लीक़ से पेशतर चुना गया, लेकिन इन आख़िरी दिनों में आपकी ख़ातिर ज़ाहिर किया गया।


यह तमाम लोग ईमान रखते रखते मर गए। उन्हें वह कुछ न मिला जिसका वादा किया गया था। उन्होंने उसे सिर्फ़ दूर ही से देखकर ख़ुशआमदीद कहा। और उन्होंने तसलीम किया कि हम ज़मीन पर सिर्फ़ मेहमान और आरिज़ी तौर पर रहनेवाले अजनबी हैं।


यों पुराने हुक्म को मनसूख़ कर दिया जाता है, क्योंकि वह कमज़ोर और बेकार था


पस मैं ख़ुदावंद के नाम में आपको आगाह करता हूँ कि अब से ग़ैरईमानदारों की तरह ज़िंदगी न गुज़ारें जिनकी सोच बेकार है


तो क्या इसका मतलब यह है कि शरीअत अल्लाह के वादों के ख़िलाफ़ है? हरगिज़ नहीं! अगर इनसान को ऐसी शरीअत मिली होती जो ज़िंदगी दिला सकती तो फिर सब उस की पैरवी करने से रास्तबाज़ ठहरते।


याद रहे कि जो शख़्स बीज को बचा बचाकर बोता है उस की फ़सल भी उतनी कम होगी। लेकिन जो बहुत बीज बोता है उस की फ़सल भी बहुत ज़्यादा होगी।


क्या मैं यह कहना चाहता हूँ कि बुतों के चढ़ावे की कोई हैसियत है? या कि बुत की कोई हैसियत है? हरगिज़ नहीं।


भाइयो, मैं तो यह कहता हूँ कि वक़्त थोड़ा है। आइंदा शादीशुदा ऐसे ज़िंदगी बसर करें जैसे कि ग़ैरशादीशुदा हैं।


मतलब यह है कि आपमें से कोई कहता है, “मैं पौलुस की पार्टी का हूँ,” कोई “मैं अपुल्लोस की पार्टी का हूँ,” कोई “मैं कैफ़ा की पार्टी का हूँ” और कोई कि “मैं मसीह की पार्टी का हूँ।”


क्योंकि अल्लाह ने ईसा को उसके ख़ून के बाइस कफ़्फ़ारा का वसीला बनाकर पेश किया, ऐसा कफ़्फ़ारा जिससे ईमान लानेवालों को गुनाहों की मुआफ़ी मिलती है। यों अल्लाह ने अपनी रास्ती ज़ाहिर की, पहले माज़ी में जब वह अपने सब्रो-तहम्मुल में गुनाहों की सज़ा देने से बाज़ रहा


अल्लाह ने उसे यह भी बताया, ‘तेरी औलाद ऐसे मुल्क में रहेगी जो उसका नहीं होगा। वहाँ वह अजनबी और ग़ुलाम होगी, और उस पर 400 साल तक बहुत ज़ुल्म किया जाएगा।


तब तुम्हारा मौत के साथ अहद मनसूख़ हो जाएगा, और तुम्हारा पाताल के साथ मुआहदा क़ायम नहीं रहेगा। सज़ा का सैलाब तुम पर से गुज़रकर तुम्हें पामाल करेगा।


रब अक़वाम का मनसूबा नाकाम होने देता, वह उम्मतों के इरादों को शिकस्त देता है।


क्या तू वाक़ई मेरा इनसाफ़ मनसूख़ करके मुझे मुजरिम ठहराना चाहता है ताकि ख़ुद रास्तबाज़ ठहरे?


लेकिन अगर उसका शौहर यह सुनकर उसे ऐसा करने से मना करे तो उस की मन्नत या क़सम मनसूख़ है, और वह उसे पूरा करने से बरी है। रब उसे मुआफ़ करेगा।


अल्लाह आदमी नहीं जो झूट बोलता है। वह इनसान नहीं जो कोई फ़ैसला करके बाद में पछताए। क्या वह कभी अपनी बात पर अमल नहीं करता? क्या वह कभी अपनी बात पूरी नहीं करता?


अल्लाह ने कहा, “नहीं, तेरी बीवी सारा के हाँ बेटा पैदा होगा। तू उसका नाम इसहाक़ यानी ‘वह हँसता है’ रखना। मैं उसके और उस की औलाद के साथ अबदी अहद बाँधूँगा।


उस वक़्त रब ने अब्राम के साथ अहद किया। उसने कहा, “मैं यह मुल्क मिसर की सरहद से फ़ुरात तक तेरी औलाद को दूँगा,


मैं तो यह कहता हूँ कि रूहुल-क़ुद्स में ज़िंदगी गुज़ारें। फिर आप अपनी पुरानी फ़ितरत की ख़ाहिशात पूरी नहीं करेंगे।


यह वह अहद है जो उसने इब्राहीम से बाँधा, वह वादा जो उसने क़सम खाकर इसहाक़ से किया था।


उस वक़्त आप मसीह के बग़ैर ही चलते थे। आप इसराईल क़ौम के शहरी न बन सके और जो वादे अल्लाह ने अहदों के ज़रीए अपनी क़ौम से किए थे वह आपके लिए नहीं थे। इस दुनिया में आपकी कोई उम्मीद नहीं थी, आप अल्लाह के बग़ैर ही ज़िंदगी गुज़ारते थे।


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