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گلتیوں 3:13 - किताबे-मुक़द्दस

13 लेकिन मसीह ने हमारा फ़िद्या देकर हमें शरीअत की लानत से आज़ाद कर दिया है। यह उसने इस तरह किया कि वह हमारी ख़ातिर ख़ुद लानत बना। क्योंकि कलामे-मुक़द्दस में लिखा है, “जिसे भी दरख़्त से लटकाया गया है उस पर अल्लाह की लानत है।”

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

13 المسیح نے جو ہمارے لیٔے لعنتی بنا، ہمیں مول لے کر شَریعت کی لعنت سے چُھڑا لیا کیونکہ صحیفہ میں لِکھّا ہے: ”جو کویٔی صلیب کی لکڑی پر لٹکایا گیا وہ لعنتی ہے۔“

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کِتابِ مُقادّس

13 مسِیح جو ہمارے لِئے لَعنتی بنا اُس نے ہمیں مول لے کر شرِیعت کی لَعنت سے چُھڑایا کیونکہ لِکھا ہے کہ جو کوئی لکڑی پر لٹکایا گیا وہ لَعنتی ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

13 لیکن مسیح نے ہمارا فدیہ دے کر ہمیں شریعت کی لعنت سے آزاد کر دیا ہے۔ یہ اُس نے اِس طرح کیا کہ وہ ہماری خاطر خود لعنت بنا۔ کیونکہ کلامِ مُقدّس میں لکھا ہے، ”جسے بھی درخت سے لٹکایا گیا ہے اُس پر اللہ کی لعنت ہے۔“

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گلتیوں 3:13
43 حوالہ جات  

मसीह ख़ुद अपने बदन पर हमारे गुनाहों को सलीब पर ले गया ताकि हम गुनाहों के एतबार से मर जाएँ और यों हमारा गुनाह से ताल्लुक़ ख़त्म हो जाए। अब वह चाहता है कि हम रास्तबाज़ी की ज़िंदगी गुज़ारें। क्योंकि आपको उसी के ज़ख़मों के वसीले से शफ़ा मिली है।


तो उसे अगली सुबह तक वहाँ न छोड़ना। हर सूरत में उसे उसी दिन दफ़ना देना, क्योंकि जिसे भी दरख़्त से लटकाया गया है उस पर अल्लाह की लानत है। अगर उसे उसी दिन दफ़नाया न जाए तो तू उस मुल्क को नापाक कर देगा जो रब तेरा ख़ुदा तुझे मीरास में दे रहा है।


जब मसीह एक बार सदा के लिए ख़ैमे के मुक़द्दसतरीन कमरे में दाख़िल हुआ तो उसने क़ुरबानियाँ पेश करने के लिए बकरों और बछड़ों का ख़ून इस्तेमाल न किया। इसके बजाए उसने अपना ही ख़ून पेश किया और यों हमारे लिए अबदी नजात हासिल की।


यही वजह है कि मसीह एक नए अहद का दरमियानी है। मक़सद यह था कि जितने लोगों को अल्लाह ने बुलाया है उन्हें अल्लाह की मौऊदा और अबदी मीरास मिले। और यह सिर्फ़ इसलिए मुमकिन हुआ है कि मसीह ने मरकर फ़िद्या दिया ताकि लोग उन गुनाहों से छुटकारा पाएँ जो उनसे उस वक़्त सरज़द हुए जब वह पहले अहद के तहत थे।


साथ साथ वह एक नया गीत गाने लगे, “तू तूमार को लेकर उस की मुहरों को खोलने के लायक़ है। क्योंकि तुझे ज़बह किया गया, और अपने ख़ून से तूने लोगों को हर क़बीले, हर अहले-ज़बान, हर मिल्लत और हर क़ौम से अल्लाह के लिए ख़रीद लिया है।


यह मेरा ख़ून है, नए अहद का वह ख़ून जो बहुतों के लिए बहाया जाता है ताकि उनके गुनाहों को मुआफ़ कर दिया जाए।


ताकि फ़िद्या देकर हमें जो शरीअत के ताबे थे आज़ाद कर दे। यों हमें अल्लाह के फ़रज़ंद होने का मरतबा मिला है।


और ईसा मसीह की तरफ़ से यानी उससे जो इन बातों का वफ़ादार गवाह, मुरदों में से पहला जी उठनेवाला और दुनिया के बादशाहों का सरदार है। उस की तमजीद हो जो हमें प्यार करता है, जिसने अपने ख़ून से हमें हमारे गुनाहों से ख़लासी बख़्शी है


यही मुहब्बत है, यह नहीं कि हमने अल्लाह से मुहब्बत की बल्कि यह कि उसने हमसे मुहब्बत करके अपने फ़रज़ंद को भेज दिया ताकि वह हमारे गुनाहों को मिटाने के लिए कफ़्फ़ारा दे।


क्योंकि मसीह ने हमारे गुनाहों को मिटाने की ख़ातिर एक बार सदा के लिए मौत सही। हाँ, जो रास्तबाज़ है उसने यह नारास्तों के लिए किया ताकि आपको अल्लाह के पास पहुँचाए। उसे बदन के एतबार से सज़ाए-मौत दी गई, लेकिन रूह के एतबार से उसे ज़िंदा कर दिया गया।


इसी तरह मसीह को भी एक ही बार बहुतों के गुनाहों को उठाकर ले जाने के लिए क़ुरबान किया गया। दूसरी बार जब वह ज़ाहिर होगा तो गुनाहों को दूर करने के लिए ज़ाहिर नहीं होगा बल्कि उन्हें नजात देने के लिए जो शिद्दत से उसका इंतज़ार कर रहे हैं।


अगर ऐसा होता तो उसे दुनिया की तख़लीक़ से लेकर आज तक बहुत दफ़ा दुख सहना पड़ता। लेकिन ऐसा नहीं है बल्कि अब वह ज़मानों के इख़्तिताम पर एक ही बार सदा के लिए ज़ाहिर हुआ ताकि अपने आपको क़ुरबान करने से गुनाह को दूर करे।


क्योंकि मसीह ने हमारे लिए अपनी जान दे दी ताकि फ़िद्या देकर हमें हर तरह की बेदीनी से छुड़ाकर अपने लिए एक पाक और मख़सूस क़ौम बनाए जो नेक काम करने में सरगरम हो।


लेकिन जो भी इस पर तकिया करते हैं कि हमें शरीअत की पैरवी करने से रास्तबाज़ क़रार दिया जाएगा उन पर अल्लाह की लानत है। क्योंकि कलामे-मुक़द्दस फ़रमाता है, “हर एक पर लानत जो शरीअत की किताब की तमाम बातें क़ायम न रखे, न इन पर अमल करे।”


मसीह बेगुनाह था, लेकिन अल्लाह ने उसे हमारी ख़ातिर गुनाह ठहराया ताकि हमें उसमें रास्तबाज़ क़रार दिया जाए।


हमारे बापदादा के ख़ुदा ने ईसा को ज़िंदा कर दिया, उसी शख़्स को जिसे आपने सलीब पर चढ़वाकर मार डाला था।


तेरी क़ौम और तेरे मुक़द्दस शहर के लिए 70 हफ़ते मुक़र्रर किए गए हैं ताकि उतने में जरायम और गुनाहों का सिलसिला ख़त्म किया जाए, क़ुसूर का कफ़्फ़ारा दिया जाए, अबदी रास्ती क़ायम की जाए, रोया और पेशगोई की तसदीक़ की जाए और मुक़द्दसतरीन जगह को मसह करके मख़सूसो-मुक़द्दस किया जाए।


हमारी ही ख़ताओं की वजह से उसे मौत के हवाले किया गया, और हमें ही रास्तबाज़ क़रार देने के लिए उसे ज़िंदा किया गया।


मुहब्बत की रूह में ज़िंदगी यों गुज़ारें जैसे मसीह ने गुज़ारी। क्योंकि उसने हमसे मुहब्बत रखकर अपने आपको हमारे लिए अल्लाह के हुज़ूर क़ुरबान कर दिया और यों ऐसी क़ुरबानी बन गया जिसकी ख़ुशबू अल्लाह को पसंद आई।


चुनाँचे हामान को उसी सूली से लटका दिया गया जो उसने मर्दकी के लिए बनवाई थी। तब बादशाह का ग़ुस्सा ठंडा हो गया।


तेरा दिल नरम हो गया है। जब तुझे पता चला कि मैंने इस मक़ाम और इसके बाशिंदों के बारे में फ़रमाया है कि वह लानती और तबाह हो जाएंगे तो तूने अपने आपको रब के सामने पस्त कर दिया। तूने रंजीदा होकर अपने कपड़े फाड़ लिए और मेरे हुज़ूर फूट फूटकर रोया। रब फ़रमाता है कि यह देखकर मैंने तेरी सुनी है।


काश मेरे भाई और ख़ूनी रिश्तेदार नजात पाएँ! इसके लिए मैं ख़ुद मलऊन और मसीह से जुदा होने के लिए भी तैयार हूँ।


जिन आदमियों ने यह देखा उनमें से एक योआब के पास गया और इत्तला दी, “मैंने अबीसलूम को देखा है। वह बलूत के एक दरख़्त में लटका हुआ है।”


ज़मीन के तमाम बाशिंदे इस हैवान को सिजदा करेंगे यानी वह सब जिनके नाम दुनिया की इब्तिदा से लेले की किताबे-हयात में दर्ज नहीं हैं, उस लेले की किताब में जो ज़बह किया गया है।


यहूदा चाँदी के सिक्के बैतुल-मुक़द्दस में फेंककर चला गया। फिर उसने जाकर फाँसी ले ली।


इन 62 हफ़तों के बाद अल्लाह के मसह किए गए बंदे को क़त्ल किया जाएगा, और उसके पास कुछ भी नहीं होगा। उस वक़्त एक और हुक्मरान की क़ौम आकर शहर और मक़दिस को तबाह करेगी। इख़्तिताम सैलाब की सूरत में आएगा, और आख़िर तक जंग जारी रहेगी, ऐसी तबाही होगी जिसका फ़ैसला हो चुका है।


रब फ़रमाता है, “मेरे नाम की क़सम, बुसरा शहर गिर्दो-नवाह के तमाम शहरों समेत अबदी खंडरात बन जाएगा। उसे देखकर लोगों के रोंगटे खड़े हो जाएंगे, और वह उसे लान-तान करेंगे। लानत करनेवाला अपने दुश्मन के लिए बुसरा ही का-सा अंजाम चाहेगा।”


आख़िरकार एक वक़्त आया जब तुम्हारी शरीर और घिनौनी हरकतें क़ाबिले-बरदाश्त न रहीं, और रब को तुम्हें सज़ा देनी पड़ी। यही वजह है कि आज तुम्हारा मुल्क वीरानो-सुनसान है, कि उसे देखकर लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। लानत करनेवाला अपने दुश्मन के लिए ऐसा ही अंजाम चाहता है।


दाऊद ने जिबऊनियों से पूछा, “मैं उस ज़्यादती का कफ़्फ़ारा किस तरह दे सकता हूँ जो आपसे हुई है? मैं आपके लिए क्या करूँ ताकि आप दुबारा उस ज़मीन को बरकत दें जो रब ने हमें मीरास में दी है?”


रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, “ऐ तलवार, जाग उठ! मेरे गल्लाबान पर हमला कर, उस पर जो मेरे क़रीब है। गल्लाबान को मार डाल ताकि भेड़-बकरियाँ तित्तर-बित्तर हो जाएँ। मैं ख़ुद अपने हाथ को छोटों के ख़िलाफ़ उठाऊँगा।”


बादशाह ने इजाज़त दी तो सोसन में इसका एलान किया गया। तब हामान के 10 बेटों को सूली से लटका दिया गया,


जब अख़ीतुफ़ल ने देखा कि मेरा मशवरा रद्द किया गया है तो वह अपने गधे पर ज़ीन कसकर अपने वतनी शहर वापस चला गया। वहाँ उसने घर के तमाम मामलात का बंदोबस्त किया, फिर जाकर फाँसी ले ली। उसे उसके बाप की क़ब्र में दफ़नाया गया।


इन सात आदमियों को दाऊद ने जिबऊनियों के हवाले कर दिया। सातों आदमियों को मज़कूरा पहाड़ पर लाया गया। वहाँ जिबऊनियों ने उन्हें क़त्ल करके रब के हुज़ूर लटका दिया। वह सब एक ही दिन मर गए। उस वक़्त जौ की फ़सल की कटाई शुरू हुई थी।


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