Biblia Todo Logo
آن لائن بائبل

- اشتہارات -




گلتیوں 2:19 - किताबे-मुक़द्दस

19 क्योंकि जहाँ तक शरीअत का ताल्लुक़ है मैं मुरदा हूँ। मुझे शरीअत ही से मारा गया है ताकि अल्लाह के लिए जी सकूँ। मुझे मसीह के साथ मसलूब किया गया

باب دیکھیں کاپی

اُردو ہم عصر ترجُمہ

19-20 ”شَریعت کے اِعتبار سے تو میں صلیب پر مَر چُکا ہُوں تاکہ مَیں خُدا کے اِعتبار سے زندہ ہو جاؤں۔ مَیں المسیح کے ساتھ جِسمانی طور سے مصلُوب ہو چُکا ہُوں اَور مَیں زندہ نہیں ہُوں، بَلکہ المسیح مُجھ میں زندہ ہے۔ اَورجو زندگی اَب مَیں گزار رہا ہُوں، وہ خُدا کے بیٹے پر ایمان لانے کی وجہ سے گزار رہا ہُوں، جِس نے مُجھ سے مَحَبّت کی اَور میرے لیٔے اَپنی جان قُربان کر دی۔

باب دیکھیں کاپی

کِتابِ مُقادّس

19 چُنانچہ مَیں شرِیعت ہی کے وسِیلہ سے شرِیعت کے اِعتبار سے مَر گیا تاکہ خُدا کے اِعتبار سے زِندہ ہو جاؤں۔

باب دیکھیں کاپی

ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

19 کیونکہ جہاں تک شریعت کا تعلق ہے مَیں مُردہ ہوں۔ مجھے شریعت ہی سے مارا گیا ہے تاکہ اللہ کے لئے جی سکوں۔ مجھے مسیح کے ساتھ مصلوب کیا گیا

باب دیکھیں کاپی




گلتیوں 2:19
28 حوالہ جات  

मेरे भाइयो, यह बात आप पर भी सादिक़ आती है। जब आप मसीह के बदन का हिस्सा बन गए तो आप मरकर शरीअत के इख़्तियार से आज़ाद हो गए। अब आप उसके साथ पैवस्त हो गए हैं जिसे मुरदों में से ज़िंदा किया गया ताकि हम अल्लाह की ख़िदमत में फल लाएँ।


हरगिज़ नहीं! हम तो मरकर गुनाह से लाताल्लुक़ हो गए हैं। तो फिर हम किस तरह गुनाह को अपने आप पर हुकूमत करने दे सकते हैं?


उसने हमारी ख़ातिर अपनी जान दे दी ताकि हम उसके साथ जिएँ, ख़ाह हम उस की आमद के दिन मुरदा हों या ज़िंदा।


और वह सबके लिए इसलिए मुआ ताकि जो ज़िंदा हैं वह अपने लिए न जिएँ बल्कि उसके लिए जो उनकी ख़ातिर मुआ और फिर जी उठा।


आप भी अपने आपको ऐसा समझें। आप भी मरकर गुनाह की हुकूमत से निकल गए हैं और अब आपकी मसीह में ज़िंदगी अल्लाह के लिए मख़सूस है।


क्योंकि रूह की शरीअत ने जो हमें मसीह में ज़िंदगी अता करती है तुझे गुनाह और मौत की शरीअत से आज़ाद कर दिया है।


मसीह ख़ुद अपने बदन पर हमारे गुनाहों को सलीब पर ले गया ताकि हम गुनाहों के एतबार से मर जाएँ और यों हमारा गुनाह से ताल्लुक़ ख़त्म हो जाए। अब वह चाहता है कि हम रास्तबाज़ी की ज़िंदगी गुज़ारें। क्योंकि आपको उसी के ज़ख़मों के वसीले से शफ़ा मिली है।


आइंदा गुनाह आप पर हुकूमत नहीं करेगा, क्योंकि आप अपनी ज़िंदगी शरीअत के तहत नहीं गुज़ारते बल्कि अल्लाह के फ़ज़ल के तहत।


यही वजह है कि अल्लाह की ख़ुशख़बरी उन्हें भी सुनाई गई जो अब मुरदा हैं। मक़सद यह था कि वह अल्लाह के सामने रूह में ज़िंदगी गुज़ार सकें अगरचे इनसानी लिहाज़ से उनके जिस्म की अदालत की गई है।


अगर इन चीज़ों का यह असर था तो फिर मसीह के ख़ून का क्या ज़बरदस्त असर होगा! अज़ली रूह के ज़रीए उसने अपने आपको बेदाग़ क़ुरबानी के तौर पर पेश किया। यों उसका ख़ून हमारे ज़मीर को मौत तक पहुँचानेवाले कामों से पाक-साफ़ करता है ताकि हम ज़िंदा ख़ुदा की ख़िदमत कर सकें।


क्योंकि मसीह ने हमारे लिए अपनी जान दे दी ताकि फ़िद्या देकर हमें हर तरह की बेदीनी से छुड़ाकर अपने लिए एक पाक और मख़सूस क़ौम बनाए जो नेक काम करने में सरगरम हो।


आप तो मसीह के साथ मरकर दुनिया की कुव्वतों से आज़ाद हो गए हैं। अगर ऐसा है तो आप ज़िंदगी ऐसे क्यों गुज़ारते हैं जैसे कि आप अभी तक इस दुनिया की मिलकियत हैं? आप क्यों इसके अहकाम के ताबे रहते हैं?


यों शरीअत को हमारी तरबियत करने की ज़िम्मादारी दी गई। उसे हमें मसीह तक पहुँचाना था ताकि हमें ईमान से रास्तबाज़ क़रार दिया जाए।


और यों मैं ख़ुद ज़िंदा न रहा बल्कि मसीह मुझमें ज़िंदा है। अब जो ज़िंदगी मैं इस जिस्म में गुज़ारता हूँ वह अल्लाह के फ़रज़ंद पर ईमान लाने से गुज़ारता हूँ। उसी ने मुझसे मुहब्बत रखकर मेरे लिए अपनी जान दी।


क्योंकि आप मर गए हैं और अब आपकी ज़िंदगी मसीह के साथ अल्लाह में पोशीदा है।


लेकिन जो भी इस पर तकिया करते हैं कि हमें शरीअत की पैरवी करने से रास्तबाज़ क़रार दिया जाएगा उन पर अल्लाह की लानत है। क्योंकि कलामे-मुक़द्दस फ़रमाता है, “हर एक पर लानत जो शरीअत की किताब की तमाम बातें क़ायम न रखे, न इन पर अमल करे।”


चुनाँचे सब कुछ अल्लाह के जलाल की ख़ातिर करें, ख़ाह आप खाएँ, पिएँ या और कुछ करें।


हम जानते हैं कि शरीअत रूहानी है। लेकिन मेरी फ़ितरत इनसानी है, मुझे गुनाह की ग़ुलामी में बेचा गया है।


शरीअत इसलिए दरमियान में आ गई कि ख़िलाफ़वरज़ी बढ़ जाए। लेकिन जहाँ गुनाह ज़्यादा हुआ वहाँ अल्लाह का फ़ज़ल इससे भी ज़्यादा हो गया।


शरीअत अल्लाह का ग़ज़ब ही पैदा करती है। लेकिन जहाँ कोई शरीअत नहीं वहाँ उस की ख़िलाफ़वरज़ी भी नहीं।


मैं यहूदियों के दरमियान यहूदी की मानिंद बना ताकि यहूदियों को जीत लूँ। मूसवी शरीअत के तहत ज़िंदगी गुज़ारनेवालों के दरमियान मैं उनकी मानिंद बना ताकि उन्हें जीत लूँ, गो मैं शरीअत के मातहत नहीं।


लेकिन ख़ुदा करे कि मैं सिर्फ़ हमारे ख़ुदावंद ईसा मसीह की सलीब ही पर फ़ख़र करूँ। क्योंकि उस की सलीब से दुनिया मेरे लिए मसलूब हुई है और मैं दुनिया के लिए।


ہمیں فالو کریں:

اشتہارات


اشتہارات