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عزرا 8:21 - किताबे-मुक़द्दस

21 वहीं अहावा की नहर के पास ही मैंने एलान किया कि हम सब रोज़ा रखकर अपने आपको अपने ख़ुदा के सामने पस्त करें और दुआ करें कि वह हमें हमारे बाल-बच्चों और सामान के साथ सलामती से यरूशलम पहुँचाए।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

21 وہاں اہاواؔ نہر کے پاس مَیں نے روزہ رکھنے کی مُنادی کرائی تاکہ ہم اَپنے آپ کو خُدا کے حُضُور حلیم بنائیں اَور خُدا سے دعا کریں کہ وہ ہمارے سفر کو مُبارک کریں اَور ہمیں، ہمارے بال بچّوں اَور مال و متاع کو محفوظ رکھیں۔

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کِتابِ مُقادّس

21 تب مَیں نے اہاوا کے دریا پر روزہ کی مُنادی کرائی تاکہ ہم اپنے خُدا کے حضُور اُس سے اپنے اور اپنے بال بچّوں اور اپنے مال کے لِئے سِیدھی راہ طلب کرنے کو فروتن بنیں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

21 وہیں اہاوا کی نہر کے پاس ہی مَیں نے اعلان کیا کہ ہم سب روزہ رکھ کر اپنے آپ کو اپنے خدا کے سامنے پست کریں اور دعا کریں کہ وہ ہمیں ہمارے بال بچوں اور سامان کے ساتھ سلامتی سے یروشلم پہنچائے۔

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عزرا 8:21
37 حوالہ جات  

यह सुनकर यहूसफ़त घबरा गया। उसने रब से राहनुमाई माँगने का फ़ैसला करके एलान किया कि तमाम यहूदाह रोज़ा रखे।


मुक़द्दस रोज़े का एलान करो। लोगों को ख़ास इजतिमा के लिए बुलाओ। बुज़ुर्गों और मुल्क के तमाम बाशिंदों को रब अपने ख़ुदा के घर में जमा करके बुलंद आवाज़ से रब से इल्तिजा करो।


अगर दाईं या बाईं तरफ़ मुड़ना है तो तुम्हें पीछे से हिदायत मिलेगी, “यही रास्ता सहीह है, इसी पर चलो!” तुम्हारे अपने कान यह सुनेंगे।


चुनाँचे वह सब मिसफ़ाह में जमा हुए। तौबा का इज़हार करके उन्होंने कुएँ से पानी निकालकर रब के हुज़ूर उंडेल दिया। साथ साथ उन्होंने पूरा दिन रोज़ा रखा और इक़रार किया, “हमने रब का गुनाह किया है।” वहाँ मिसफ़ाह में समुएल ने इसराईलियों के लिए कचहरी लगाई।


यह सुनकर नीनवा के बाशिंदे अल्लाह पर ईमान लाए। उन्होंने रोज़े का एलान किया, और छोटे से लेकर बड़े तक सब टाट ओढ़कर मातम करने लगे।


लाज़िम है कि सातवें महीने के दसवें दिन इसराईली और उनके दरमियान रहनेवाले परदेसी अपनी जान को दुख दें और काम न करें। यह उसूल तुम्हारे लिए अबद तक क़ायम रहे।


जो उस दिन अपनी जान को दुख नहीं देता उसे उस की क़ौम में से मिटाया जाए।


क्योंकि यह देने का वादा आपसे और आपके बच्चों से किया गया है, बल्कि उनसे भी जो दूर के हैं, उन सबसे जिन्हें रब हमारा ख़ुदा अपने पास बुलाएगा।”


मैं अंधों को ऐसी राहों पर ले चलूँगा जिनसे वह वाक़िफ़ नहीं होंगे, ग़ैरमानूस रास्तों पर उनकी राहनुमाई करूँगा। उनके आगे मैं अंधेरे को रौशन और नाहमवार ज़मीन को हमवार करूँगा। यह सब कुछ मैं सरंजाम दूँगा, एक बात भी अधूरी नहीं रह जाएगी।


ऐ रब, अपनी रास्त राह पर मेरी राहनुमाई कर ताकि मेरे दुश्मन मुझ पर ग़ालिब न आएँ। अपनी राह को मेरे आगे हमवार कर।


मैं यानी अज़रा ने मज़कूरा लोगों को उस नहर के पास जमा किया जो अहावा की तरफ़ बहती है। वहाँ हम ख़ैमे लगाकर तीन दिन ठहरे रहे। इस दौरान मुझे पता चला कि गो आम लोग और इमाम आ गए हैं लेकिन एक भी लावी हाज़िर नहीं है।


ऐ रब, मैंने जान लिया है कि इनसान की राह उसके अपने हाथ में नहीं होती। अपनी मरज़ी से न वह चलता, न क़दम उठाता है।


क्या मुझे इस क़िस्म का रोज़ा पसंद है? क्या यह काफ़ी है कि बंदा अपने आपको कुछ देर के लिए ख़ाकसार बनाकर इंकिसारी का इज़हार करे? कि वह अपने सर को आबी नरसल की तरह झुकाकर टाट और राख में लेट जाए? क्या तुम वाक़ई समझते हो कि यह रोज़ा है, कि ऐसा वक़्त रब को पसंद है?


वह शिकायत करते हैं, ‘जब हम रोज़ा रखते हैं तो तू तवज्जुह क्यों नहीं देता? जब हम अपने आपको ख़ाकसार बनाकर इंकिसारी का इज़हार करते हैं तो तू ध्यान क्यों नहीं देता?’ सुनो! रोज़ा रखते वक़्त तुम अपना कारोबार मामूल के मुताबिक़ चलाकर अपने मज़दूरों को दबाए रखते हो।


न उन्हें भूक सताएगी न प्यास। न तपती गरमी, न धूप उन्हें झुलसाएगी। क्योंकि जो उन पर तरस खाता है वह उनकी क़ियादत करके उन्हें चश्मों के पास ले जाएगा।


जहाँ भी तू चले सिर्फ़ उसी को जान ले, फिर वह ख़ुद तेरी राहों को हमवार करेगा।


फिर इसराईल का पूरा लशकर बैतेल चला गया। वहाँ वह शाम तक रब के हुज़ूर रोते और रोज़ा रखते रहे। उन्होंने रब को भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ और सलामती की क़ुरबानियाँ पेश करके


पूरा दिन आराम करो और अपनी जान को दुख दो। यह उसूल अबद तक क़ायम रहे।


मुल्क में से शाहराह गुज़रेगी जो ‘शाहराहे-मुक़द्दस’ कहलाएगी। नापाक लोग उस पर सफ़र नहीं करेंगे, क्योंकि वह सहीह राह पर चलनेवालों के लिए मख़सूस है। अहमक़ उस पर भटकने नहीं पाएँगे।


अपने मुख़ालिफ़ों के जवाब में तूने छोटे बच्चों और शीरख़ारों की ज़बान को तैयार किया है ताकि वह तेरी क़ुव्वत से दुश्मन और कीनापरवर को ख़त्म करें।


हम पहले महीने के 12वें दिन अहावा नहर से यरूशलम के लिए रवाना हुए। अल्लाह का शफ़ीक़ हाथ हम पर था, और उसने हमें रास्ते में दुश्मनों और डाकुओं से महफ़ूज़ रखा।


तुमने कहा था कि दुश्मन हमारे बच्चों को लूट लेंगे। लेकिन उन्हीं को मैं उस मुल्क में ले जाऊँगा जिसे तुमने रद्द किया है।


रब हमें क्यों उस मुल्क में ले जा रहा है? क्या इसलिए कि दुश्मन हमें तलवार से क़त्ल करे और हमारे बाल-बच्चों को लूट ले? क्या बेहतर नहीं होगा कि हम मिसर वापस जाएँ?”


उसने शहर में एलान किया, “बादशाह और उसके शुरफ़ा का फ़रमान सुनो! किसी को भी खाने या पीने की इजाज़त नहीं। गाय-बैल और भेड़-बकरियों समेत तमाम जानवर भी इसमें शामिल हैं। न उन्हें चरने दो, न पानी पीने दो।


यहूदाह के तमाम शहरों से लोग यरूशलम आए ताकि मिलकर मदद के लिए रब से दुआ माँगें।


उसी महीने के 24वें दिन इसराईली रोज़ा रखने के लिए जमा हुए। टाट के लिबास पहने हुए और सर पर ख़ाक डालकर वह यरूशलम आए।


“ठीक है, फिर जाएँ और सोसन में रहनेवाले तमाम यहूदियों को जमा करें। मेरे लिए रोज़ा रखकर तीन दिन और तीन रात न कुछ खाएँ, न पिएँ। मैं भी अपनी नौकरानियों के साथ मिलकर रोज़ा रखूँगी। इसके बाद बादशाह के पास जाऊँगी, गो यह क़ानून के ख़िलाफ़ है। अगर मरना है तो मर ही जाऊँगी।”


क्योंकि उनके मुँह से एक भी क़ाबिले-एतमाद बात नहीं निकलती। उनका दिल तबाही से भरा रहता, उनका गला खुली क़ब्र है, और उनकी ज़बान चिकनी-चुपड़ी बातें उगलती रहती है।


जब सिय्यून की याद आई तो हम बाबल की नहरों के किनारे ही बैठकर रो पड़े।


दुआ करें कि रब आपका ख़ुदा हमें दिखाए कि हम कहाँ जाएँ और क्या कुछ करें।”


चुनाँचे मैंने रब अपने ख़ुदा की तरफ़ रुजू किया ताकि अपनी दुआ और इल्तिजाओं से उस की मरज़ी दरियाफ़्त करूँ। साथ साथ मैंने रोज़ा रखा, टाट का लिबास ओढ़ लिया और अपने सर पर राख डाल ली।


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