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عزرا 8:18 - किताबे-मुक़द्दस

18 अल्लाह का शफ़ीक़ हाथ हम पर था, इसलिए उन्होंने हमें महली बिन लावी बिन इसराईल के ख़ानदान का समझदार आदमी सरिबियाह भेज दिया। सरिबियाह अपने बेटों और भाइयों के साथ पहुँचा। कुल 18 मर्द थे।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

18 چونکہ ہمارے خُدا کا مہربان ہاتھ ہم پر تھا اِس لیٔے وہ محلیؔ بِن لیوی بِن اِسرائیل کی اَولاد میں سے ایک ہوشیار شخص شیرِبیاہؔ کو اَور اُس کے بیٹوں اَور بھائیوں یعنی اٹھّارہ آدمیوں کو؛

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کِتابِ مُقادّس

18 اور چُونکہ ہمارے خُدا کی شفقت کا ہاتھ ہم پر تھا اِس لِئے وہ محلی بِن لاوی بِن اِسرائیل کی اَولاد میں سے ایک دانِش مند شخص کو اور سرِبیاؔہ کو اور اُس کے بیٹوں اور بھائیوں یعنی اٹّھارہ آدمِیوں کو۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

18 اللہ کا شفیق ہاتھ ہم پر تھا، اِس لئے اُنہوں نے ہمیں محلی بن لاوی بن اسرائیل کے خاندان کا سمجھ دار آدمی سربیاہ بھیج دیا۔ سربیاہ اپنے بیٹوں اور بھائیوں کے ساتھ پہنچا۔ کُل 18 مرد تھے۔

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عزرا 8:18
22 حوالہ جات  

तब मैं तुम्हें ऐसे गल्लाबानों से नवाज़ूँगा जो मेरी सोच रखेंगे और जो समझ और अक़्ल के साथ तुम्हारी गल्लाबानी करेंगे।


इसके अलावा शाही जंगलात के निगरान आसफ़ के लिए ख़त लिखवाएँ ताकि वह मुझे लकड़ी दे। जब मैं रब के घर के साथवाले क़िले के दरवाज़े, फ़सील और अपना घर बनाऊँगा तो मुझे शहतीरों की ज़रूरत होगी।” अल्लाह का शफ़ीक़ हाथ मुझ पर था, इसलिए शहनशाह ने मुझे यह ख़त दे दिए।


उसी ने शहनशाह, उसके मुशीरों और तमाम असरो-रसूख़ रखनेवाले अफ़सरों के दिलों को मेरी तरफ़ मायल कर दिया है। चूँकि रब मेरे ख़ुदा का शफ़ीक़ हाथ मुझ पर था इसलिए मेरा हौसला बढ़ गया, और मैंने इसराईल के ख़ानदानी सरपरस्तों को अपने साथ इसराईल वापस जाने के लिए जमा किया।


जब भी किसी मामले में ख़ास हिकमत और समझ दरकार होती तो बादशाह ने देखा कि यह चार नौजवान मशवरा देने में पूरी सलतनत के तमाम क़िस्मत का हाल बतानेवालों और जादूगरों से दस गुना ज़्यादा क़ाबिल हैं।


क्योंकि हमारे साथ फ़ौजी और घुड़सवार नहीं थे जो हमें रास्ते में डाकुओं से महफ़ूज़ रखते। बात यह थी कि मैं शहनशाह से यह माँगने से शर्म महसूस कर रहा था, क्योंकि हमने उसे बताया था, “हमारे ख़ुदा का शफ़ीक़ हाथ हर एक पर ठहरता है जो उसका तालिब रहता है। लेकिन जो भी उसे तर्क करे उस पर उसका सख़्त ग़ज़ब नाज़िल होता है।”


अज़रा पाक नविश्तों का उस्ताद और उस शरीअत का आलिम था जो रब इसराईल के ख़ुदा ने मूसा की मारिफ़त दी थी। जब अज़रा बाबल से यरूशलम के लिए रवाना हुआ तो शहनशाह ने उस की हर ख़ाहिश पूरी की, क्योंकि रब उसके ख़ुदा का शफ़ीक़ हाथ उस पर था।


मिरारी के दो बेटे महली और मूशी थे। ज़ैल में लावी के ख़ानदानों की फ़हरिस्त उनके बानियों के मुताबिक़ दर्ज है।


भाइयो, बच्चों जैसी सोच से बाज़ आएँ। बुराई के लिहाज़ से तो ज़रूर बच्चे बने रहें, लेकिन समझ में बालिग़ बन जाएँ।


हिकमत घर को तामीर करती, समझ उसे मज़बूत बुनियाद पर खड़ा कर देती,


जहाँ भी तू चले सिर्फ़ उसी को जान ले, फिर वह ख़ुद तेरी राहों को हमवार करेगा।


लावी के ख़ानदानी सरपरस्त हसबियाह, सरिबियाह, यशुअ, बिन्नूई और क़दमियेल ख़िदमत के उन गुरोहों की राहनुमाई करते थे जो रब के घर में हम्दो-सना के गीत गाते थे। उनके मुक़ाबिल मत्तनियाह, बक़बूक़ियाह और अबदियाह अपने गुरोहों के साथ खड़े होते थे। गीत गाते वक़्त कभी यह गुरोह और कभी उसके मुक़ाबिल का गुरोह गाता था। सब कुछ उस तरतीब से हुआ जो मर्दे-ख़ुदा दाऊद ने मुक़र्रर की थी। मसुल्लाम, तलमून और अक़्क़ूब दरबान थे जो रब के घर के दरवाज़ों के साथ वाक़े गोदामों की पहरादारी करते थे।


ज़क्कूर, सरिबियाह, सबनियाह,


कुछ लावी हाज़िर थे जिन्होंने लोगों के लिए शरीअत की तशरीह की। उनके नाम यशुअ, बानी, सरिबियाह, यमीन, अक़्क़ूब, सब्बती, हूदियाह, मासियाह, क़लीता, अज़रियाह, यूज़बद, हनान और फ़िलायाह थे। हाज़िरीन अब तक खड़े थे।


फिर मैंने इमामों के 12 राहनुमाओं को चुन लिया, नीज़ सरिबियाह, हसबियाह और मज़ीद 10 लावियों को।


चुनाँचे मैंने इलियज़र, अरियेल, समायाह, इलनातन, यरीब, इलनातन, नातन, ज़करियाह और मसुल्लाम को अपने पास बुला लिया। यह सब ख़ानदानी सरपरस्त थे जबकि शरीअत के दो उस्ताद बनाम यूयारीब और इलनातन भी साथ थे।


मिरारी के दो कुंबे उसके बेटों महली और मूशी के नाम रखते थे। ग़रज़ लावी के क़बीले के कुंबे उसके पोतों के नाम रखते थे।


लावियों ने रब की ख़िदमत करते वक़्त बड़ी समझदारी दिखाई, और हिज़क़ियाह ने इसमें उनकी हौसलाअफ़्ज़ाई की। पूरे हफ़ते के दौरान इसराईली रब को सलामती की क़ुरबानियाँ पेश करके क़ुरबानी का अपना हिस्सा खाते और रब अपने बापदादा के ख़ुदा की तमजीद करते रहे।


इनके अलावा मिरारी के ख़ानदान के हसबियाह और यसायाह को भी उनके बेटों और भाइयों के साथ हमारे पास भेजा गया। कुल 20 मर्द थे।


लावी के बेटे जैरसोन, क़िहात और मिरारी थे।


इलियज़र के हाँ फ़ीनहास पैदा हुआ, फ़ीनहास के अबीसुअ,


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