6 अज़रा पाक नविश्तों का उस्ताद और उस शरीअत का आलिम था जो रब इसराईल के ख़ुदा ने मूसा की मारिफ़त दी थी। जब अज़रा बाबल से यरूशलम के लिए रवाना हुआ तो शहनशाह ने उस की हर ख़ाहिश पूरी की, क्योंकि रब उसके ख़ुदा का शफ़ीक़ हाथ उस पर था।
6 بابیل سے آیا۔ وہ مَوشہ کے تمام آئین کا جو یَاہوِہ اِسرائیل کے خُدا نے دی تھی بڑا ماہر اُستاد تھا۔ چونکہ یَاہوِہ اُس کے خُدا کا ہاتھ عزراؔ پر تھا اِس لیٔے ہر ایک شَے جِس کی اُس نے درخواست کی بادشاہ نے اُسے عطا فرمائی۔
6 یِہی عزرا بابل سے گیا اور وہ مُوسیٰ کی شرِیعت میں جِسے خُداوند اِسرائیل کے خُدا نے دِیا تھا ماہِر فقِیہہ تھا اور چُونکہ خُداوند اُس کے خُدا کا ہاتھ اُس پر تھا بادشاہ نے اُس کی سب درخواستیں منظُور کِیں۔
6 عزرا پاک نوشتوں کا اُستاد اور اُس شریعت کا عالِم تھا جو رب اسرائیل کے خدا نے موسیٰ کی معرفت دی تھی۔ جب عزرا بابل سے یروشلم کے لئے روانہ ہوا تو شہنشاہ نے اُس کی ہر خواہش پوری کی، کیونکہ رب اُس کے خدا کا شفیق ہاتھ اُس پر تھا۔
क्योंकि हमारे साथ फ़ौजी और घुड़सवार नहीं थे जो हमें रास्ते में डाकुओं से महफ़ूज़ रखते। बात यह थी कि मैं शहनशाह से यह माँगने से शर्म महसूस कर रहा था, क्योंकि हमने उसे बताया था, “हमारे ख़ुदा का शफ़ीक़ हाथ हर एक पर ठहरता है जो उसका तालिब रहता है। लेकिन जो भी उसे तर्क करे उस पर उसका सख़्त ग़ज़ब नाज़िल होता है।”
उसी ने शहनशाह, उसके मुशीरों और तमाम असरो-रसूख़ रखनेवाले अफ़सरों के दिलों को मेरी तरफ़ मायल कर दिया है। चूँकि रब मेरे ख़ुदा का शफ़ीक़ हाथ मुझ पर था इसलिए मेरा हौसला बढ़ गया, और मैंने इसराईल के ख़ानदानी सरपरस्तों को अपने साथ इसराईल वापस जाने के लिए जमा किया।
हम पहले महीने के 12वें दिन अहावा नहर से यरूशलम के लिए रवाना हुए। अल्लाह का शफ़ीक़ हाथ हम पर था, और उसने हमें रास्ते में दुश्मनों और डाकुओं से महफ़ूज़ रखा।
और उन्हें यह सिखाओ कि वह उन तमाम अहकाम के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारें जो मैंने तुम्हें दिए हैं। और देखो, मैं दुनिया के इख़्तिताम तक हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।”
मैंने उन्हें बताया कि अल्लाह का शफ़ीक़ हाथ किस तरह मुझ पर रहा था और कि शहनशाह ने मुझसे किस क़िस्म का वादा किया था। यह सुनकर उन्होंने जवाब दिया, “ठीक है, आएँ हम तामीर का काम शुरू करें!” चुनाँचे वह इस अच्छे काम में लग गए।
इसके अलावा शाही जंगलात के निगरान आसफ़ के लिए ख़त लिखवाएँ ताकि वह मुझे लकड़ी दे। जब मैं रब के घर के साथवाले क़िले के दरवाज़े, फ़सील और अपना घर बनाऊँगा तो मुझे शहतीरों की ज़रूरत होगी।” अल्लाह का शफ़ीक़ हाथ मुझ पर था, इसलिए शहनशाह ने मुझे यह ख़त दे दिए।
अल्लाह का शफ़ीक़ हाथ हम पर था, इसलिए उन्होंने हमें महली बिन लावी बिन इसराईल के ख़ानदान का समझदार आदमी सरिबियाह भेज दिया। सरिबियाह अपने बेटों और भाइयों के साथ पहुँचा। कुल 18 मर्द थे।
मैं, अर्तख़शस्ता बादशाह दरियाए-फ़ुरात के मग़रिब में रहनेवाले तमाम ख़ज़ानचियों को हुक्म देता हूँ कि हर तरह से अज़रा इमाम की माली मदद करें। जो भी आसमान के ख़ुदा की शरीअत का यह उस्ताद माँगे वह उसे दिया जाए।
रब तेरा ख़ुदा तुझे दुनिया की तमाम क़ौमों पर सरफ़राज़ करेगा। शर्त यह है कि तू उस की सुने और एहतियात से उसके उन तमाम अहकाम पर अमल करे जो मैं तुझे आज दे रहा हूँ।
मैंने तुम्हें तमाम अहकाम यों सिखा दिए हैं जिस तरह रब मेरे ख़ुदा ने मुझे बताया। क्योंकि लाज़िम है कि तुम उस मुल्क में इनके ताबे रहो जिस पर तुम क़ब्ज़ा करनेवाले हो।
उसने उनसे कहा, “इसलिए शरीअत का हर आलिम जो आसमान की बादशाही में शागिर्द बन गया है ऐसे मालिके-मकान की मानिंद है जो अपने ख़ज़ाने से नए और पुराने जवाहर निकालता है।”
जब मैं आया तो कोई नहीं था। क्या वजह? जब मैंने आवाज़ दी तो जवाब देनेवाला कोई नहीं था। क्यों? क्या मैं फ़िद्या देकर तुम्हें छुड़ाने के क़ाबिल न था? क्या मेरी इतनी ताक़त नहीं कि तुम्हें बचा सकूँ? मेरी तो एक ही धमकी से समुंदर ख़ुश्क हो जाता और दरिया रेगिस्तान बन जाते हैं। तब उनकी मछलियाँ पानी से महरूम होकर गल जाती हैं, और उनकी बदबू चारों तरफ़ फैल जाती है।
क़ोरह की औलाद का ज़बूर। हिकमत और मुहब्बत का गीत। तर्ज़ : सोसन के फूल। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। मेरे दिल से ख़ूबसूरत गीत छलक रहा है, मैं उसे बादशाह को पेश करूँगा। मेरी ज़बान माहिर कातिब के क़लम की मानिंद हो!
और उसके भाई समायाह, अज़रेल, मिलली, जिलली, माई, नतनियेल, यहूदाह और हनानी। यह आदमी मर्दे-ख़ुदा दाऊद के साज़ बजाते रहे। शरीअत के आलिम अज़रा ने जुलूस की राहनुमाई की।
जब हमारे दुश्मनों को मालूम हुआ कि उनकी साज़िशों की ख़बर हम तक पहुँच गई है और कि अल्लाह ने उनके मनसूबे को नाकाम होने दिया तो हम सब अपनी अपनी जगह पर दुबारा तामीर के काम में लग गए।
मैं रात के वक़्त शहर से निकला। मेरे साथ चंद एक आदमी थे, और हमारे पास सिर्फ़ वही जानवर था जिस पर मैं सवार था। अब तक मैंने किसी को भी उस बोझ के बारे में नहीं बताया था जो मेरे ख़ुदा ने मेरे दिल पर यरूशलम के लिए डाल दिया था।
उन्होंने सात दिन बड़ी ख़ुशी से बेख़मीरी रोटी की ईद मनाई। रब ने उनके दिलों को ख़ुशी से भर दिया था, क्योंकि उसने फ़ारस के बादशाह का दिल उनकी तरफ़ मायल कर दिया था ताकि उन्हें इसराईल के ख़ुदा के घर को तामीर करने में मदद मिले।
लेकिन उनका ख़ुदा यहूदाह के बुज़ुर्गों की निगरानी कर रहा था, इसलिए उन्हें रोका न गया। क्योंकि लोगों ने सोचा कि पहले दारा बादशाह को इत्तला दी जाए। जब तक वह फ़ैसला न करे उस वक़्त तक काम रोका न जाए।
शरीअत की बातें सुन सुनकर वह रोने लगे। लेकिन नहमियाह गवर्नर, शरीअत के आलिम अज़रा इमाम और शरीअत की तशरीह करनेवाले लावियों ने उन्हें तसल्ली देकर कहा, “उदास न हों और मत रोएँ! आज रब आपके ख़ुदा के लिए मख़सूसो-मुक़द्दस ईद है।
अज़रा लकड़ी के एक चबूतरे पर खड़ा था जो ख़ासकर इस मौक़े के लिए बनाया गया था। उसके दाएँ हाथ मत्तितियाह, समा, अनायाह, ऊरियाह, ख़िलक़ियाह और मासियाह खड़े थे। उसके बाएँ हाथ फ़िदायाह, मीसाएल, मलकियाह, हाशूम, हस्बद्दाना, ज़करियाह और मसुल्लाम खड़े थे।
तो सब लोग मिलकर पानी के दरवाज़े के चौक में जमा हो गए। उन्होंने शरीअत के आलिम अज़रा से दरख़ास्त की कि वह शरीअत ले आएँ जो रब ने मूसा की मारिफ़त इसराईली क़ौम को दे दी थी।
दर्जे-ज़ैल उन ख़ानदानी सरपरस्तों की फ़हरिस्त है जो अर्तख़शस्ता बादशाह की हुकूमत के दौरान मेरे साथ बाबल से यरूशलम के लिए रवाना हुए। हर ख़ानदान के मर्दों की तादाद भी दर्ज है :