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عزرا 7:1 - किताबे-मुक़द्दस

1 इन वाक़ियात के काफ़ी अरसे बाद एक आदमी बनाम अज़रा बाबल को छोड़कर यरूशलम आया। उस वक़्त फ़ारस के बादशाह अर्तख़शस्ता की हुकूमत थी। आदमी का पूरा नाम अज़रा बिन सिरायाह बिन अज़रियाह बिन ख़िलक़ियाह

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

1 اِن باتوں کے بعد ارتخشستاؔ شاہِ فارسؔ کے دَورِ حُکومت میں ایک شخص عزراؔ بِن سِرایاہؔ بِن عزریاہؔ بِن خِلقیاہؔ

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کِتابِ مُقادّس

1 اِن باتوں کے بعد شاہِ فارِس ارتخششتا کے دَورِ سلطنت میں عزرا بِن سِراؔیاہ بِن عزرؔیاہ بِن خِلقیاہ۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

1 اِن واقعات کے کافی عرصے بعد ایک آدمی بنام عزرا بابل کو چھوڑ کر یروشلم آیا۔ اُس وقت فارس کے بادشاہ ارتخشستا کی حکومت تھی۔ آدمی کا پورا نام عزرا بن سرایاہ بن عزریاہ بن خِلقیاہ

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عزرا 7:1
19 حوالہ جات  

चार महीने गुज़र गए। नीसान के महीने के एक दिन जब मैं शहनशाह अर्तख़शस्ता को मै पिला रहा था तो मेरी मायूसी उसे नज़र आई। पहले उसने मुझे कभी उदास नहीं देखा था,


मैं, अर्तख़शस्ता बादशाह दरियाए-फ़ुरात के मग़रिब में रहनेवाले तमाम ख़ज़ानचियों को हुक्म देता हूँ कि हर तरह से अज़रा इमाम की माली मदद करें। जो भी आसमान के ख़ुदा की शरीअत का यह उस्ताद माँगे वह उसे दिया जाए।


“अज़ : शहनशाह अर्तख़शस्ता अज़रा इमाम को जो आसमान के ख़ुदा की शरीअत का आलिम है, सलाम!


चुनाँचे यहूदी बुज़ुर्ग रब के घर पर काम जारी रख सके। दोनों नबी हज्जी और ज़करियाह बिन इद्दू अपनी नबुव्वतों से उनकी हौसलाअफ़्ज़ाई करते रहे, और यों सारा काम इसराईल के ख़ुदा और फ़ारस के बादशाहों ख़ोरस, दारा और अर्तख़शस्ता के हुक्म के मुताबिक़ ही मुकम्मल हुआ।


“इमामे-आज़म ख़िलक़ियाह के पास जाकर उसे बता देना कि उन तमाम पैसों को गिन लें जो दरबानों ने लोगों से जमा किए हैं।


और सिरायाह बिन ख़िलक़ियाह बिन मसुल्लाम बिन सदोक़ बिन मिरायोत बिन अख़ीतूब। सिरायाह अल्लाह के घर का मुन्तज़िम था।


वजह यह थी कि अज़रा ने अपने आपको रब की शरीअत की तफ़तीश करने, उसके मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारने और इसराईलियों को उसके अहकाम और हिदायात की तालीम देने के लिए वक़्फ़ किया था।


उसे मीरमुंशी साफ़न को देकर उसने कहा, “मुझे रब के घर में शरीअत की किताब मिली है।”


इमामे-आज़म ख़िलक़ियाह के पास जाकर उन्होंने उसे वह पैसे दिए जो लावी के दरबानों ने रब के घर में जमा किए थे। यह हदिये मनस्सी और इफ़राईम के बाशिंदों, इसराईल के तमाम बचे हुए लोगों और यहूदाह, बिनयमीन और यरूशलम के रहनेवालों की तरफ़ से पेश किए गए थे।


अल्लाह के घर का इंचार्ज अज़रियाह बिन ख़िलक़ियाह बिन मसुल्लाम बिन सदोक़ बिन मिरायोत बिन अख़ीतूब,


शाही मुहाफ़िज़ों के अफ़सर नबूज़रादान ने ज़ैल के क़ैदियों को अलग कर दिया : इमामे-आज़म सिरायाह, उसके बाद आनेवाला इमाम सफ़नियाह, रब के घर के तीन दरबानों,


जब मीरमुंशी साफ़न ख़िलक़ियाह के पास पहुँचा तो इमामे-आज़म ने उसे एक किताब दिखाकर कहा, “मुझे रब के घर में शरीअत की किताब मिली है।” उसने उसे साफ़न को दे दिया जिसने उसे पढ़ लिया।


बिन सल्लूम बिन सदोक़ बिन अख़ीतूब


फिर अर्तख़शस्ता बादशाह के दौरे-हुकूमत में उसे यहूदाह के दुश्मनों की तरफ़ से शिकायती ख़त भेजा गया। ख़त के पीछे ख़ासकर बिशलाम, मित्रदात और ताबियेल थे। पहले उसे अरामी ज़बान में लिखा गया, और बाद में उसका तरजुमा हुआ।


तो सब लोग मिलकर पानी के दरवाज़े के चौक में जमा हो गए। उन्होंने शरीअत के आलिम अज़रा से दरख़ास्त की कि वह शरीअत ले आएँ जो रब ने मूसा की मारिफ़त इसराईली क़ौम को दे दी थी।


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