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خروج 6:16 - किताबे-मुक़द्दस

16 लावी के तीन बेटे जैरसोन, क़िहात और मिरारी थे। (लावी 137 साल की उम्र में फ़ौत हुआ)।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

16 اَور لیوی کے بیٹوں کے نام جِن سے اُن کی نَسل چلی یہ تھے: گیرشون قُہات اَور مِراریؔ۔ اَور لیوی کی عمر ایک سَو سینتیس بَرس کی ہوئی۔

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کِتابِ مُقادّس

16 اور بنی لاوی جِن سے اُن کی نسل چلی اُن کے نام یہ ہیں۔ جیرسونؔ اور قہاؔت اور مرارؔی۔ اور لاوؔی کی عُمر ایک سو سَینتِیس برس کی ہُوئی۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

16 لاوی کے تین بیٹے جَیرسون، قِہات اور مِراری تھے۔ (لاوی 137 سال کی عمر میں فوت ہوا)۔

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خروج 6:16
22 حوالہ جات  

लावी के तीन बेटे जैरसोन, क़िहात और मिरारी थे।


लावी के बेटे जैरसोन, क़िहात और मिरारी थे।


लावी के तीन बेटे जैरसोम, क़िहात और मिरारी थे।


लावी के बेटे जैरसोन, क़िहात और मिरारी थे।


लावी के क़बीले के तीन कुंबे जैरसोनी, क़िहाती और मिरारी लावी के बेटों जैरसोन, क़िहात और मिरारी से निकले हुए थे।


दाऊद ने लावियों को लावी के तीन बेटों जैरसोन, क़िहात और मिरारी के मुताबिक़ तीन गुरोहों में तक़सीम किया।


अमराम ने अपनी फूफी यूकबिद से शादी की। उनके दो बेटे हारून और मूसा पैदा हुए। (अमराम 137 साल की उम्र में फ़ौत हुआ)।


क़िहात के चार बेटे अमराम, इज़हार, हबरून और उज़्ज़ियेल थे। (क़िहात 133 साल की उम्र में फ़ौत हुआ)।


फिर यूसुफ़ फ़ौत हो गया। वह 110 साल का था। उसे हनूत करके मिसर में एक ताबूत में रखा गया।


याक़ूब 17 साल मिसर में रहा। वह 147 साल का था जब फ़ौत हुआ।


इसहाक़ 180 साल का था जब वह उम्ररसीदा और ज़िंदगी से आसूदा होकर अपने बापदादा से जा मिला। उसके बेटे एसौ और याक़ूब ने उसे दफ़न किया।


उन दिनों में लावी के एक आदमी ने अपने ही क़बीले की एक औरत से शादी की।


के बेटे हनूक, फ़ल्लू, हसरोन और करमी थे।


जैरसोन के दो कुंबे उसके बेटों लिबनी और सिमई के नाम रखते थे।


क़िहात के चार कुंबे उसके बेटों अमराम, इज़हार, हबरून और उज़्ज़ियेल के नाम रखते थे।


मिरारी के दो कुंबे उसके बेटों महली और मूशी के नाम रखते थे। ग़रज़ लावी के क़बीले के कुंबे उसके पोतों के नाम रखते थे।


जैरसोन के दो कुंबों बनाम लिबनी और सिमई


एक दिन क़ोरह बिन इज़हार मूसा के ख़िलाफ़ उठा। वह लावी के क़बीले का क़िहाती था। उसके साथ रूबिन के क़बीले के तीन आदमी थे, इलियाब के बेटे दातन और अबीराम और ओन बिन पलत। उनके साथ 250 और आदमी भी थे जो जमात के सरदार और असरो-रसूख़वाले थे, और जो कौंसल के लिए चुने गए थे।


क़ुरा डाला गया तो लावी के घराने क़िहात को उसके कुंबों के मुताबिक़ पहला हिस्सा मिल गया। पहले हारून के कुंबे को यहूदाह, शमौन और बिनयमीन के क़बीलों के 13 शहर दिए गए।


जैरसोन के घराने को इशकार, आशर, नफ़ताली और मनस्सी के क़बीलों के 13 शहर दिए गए। यह मनस्सी का वह इलाक़ा था जो दरियाए-यरदन के मशरिक़ में मुल्के-बसन में था।


फिर ज़ैल के लावी ख़िदमत के लिए तैयार हुए : क़िहात के ख़ानदान का महत बिन अमासी और योएल बिन अज़रियाह, मिरारी के ख़ानदान का क़ीस बिन अबदी और अज़रियाह बिन यहल्ललेल, जैरसोन के ख़ानदान का युआख़ बिन ज़िम्मा और अदन बिन युआख़,


12,000 शमौन से, 12,000 लावी से, 12,000 इशकार से,


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