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خروج 32:15 - किताबे-मुक़द्दस

15 मूसा मुड़कर पहाड़ से उतरा। उसके हाथों में शरीअत की दोनों तख़्तियाँ थीं। उन पर आगे पीछे लिखा गया था।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

15 اَور مَوشہ شہادت کی دونوں تختیاں ہاتھوں میں لیٔے ہویٔے پلٹ کر پہاڑ سے نیچے اُترے۔ وہ تختیاں آگے اَور پیچھے دونوں طرف سے لکھی ہُوئی تھیں۔

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کِتابِ مُقادّس

15 اور مُوسیٰؔ شہادت کی دونوں لَوحیں ہاتھ میں لِئے ہُوئے اُلٹا پِھرا اور پہاڑ سے نِیچے اُترا اور وہ لَوحیں اِدھر سے اور اُدھر سے دونوں طرف سے لِکھی ہُوئی تِھیں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

15 موسیٰ مُڑ کر پہاڑ سے اُترا۔ اُس کے ہاتھوں میں شریعت کی دونوں تختیاں تھیں۔ اُن پر آگے پیچھے لکھا گیا تھا۔

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خروج 32:15
14 حوالہ جات  

मैं मुड़कर पहाड़ से उतरा जो अब तक भड़क रहा था। मेरे हाथों में अहद की दोनों तख़्तियाँ थीं।


फिर मैंने तख़्त पर बैठनेवाले के दहने हाथ में एक तूमार देखा जिस पर दोनों तरफ़ लिखा हुआ था और जिस पर सात मुहरें लगी थीं।


रब की शरीअत कामिल है, उससे जान में जान आ जाती है। रब के अहकाम क़ाबिले-एतमाद हैं, उनसे सादालौह दानिशमंद हो जाता है।


रब ने तुम सबको यह अहकाम दिए जब तुम सीना पहाड़ के दामन में जमा थे। वहाँ तुमने आग, बादल और गहरे अंधेरे में से उस की ज़ोरदार आवाज़ सुनी। यही कुछ उसने कहा और बस। फिर उसने उन्हें पत्थर की दो तख़्तियों पर लिखकर मुझे दे दिया।


उसने शरीअत की दोनों तख़्तियाँ लेकर अहद के संदूक़ में रख दीं, उठाने के लिए लकड़ियाँ संदूक़ के कड़ों में डाल दीं और कफ़्फ़ारे का ढकना उस पर लगा दिया।


यह सब कुछ मूसा को बताने के बाद रब ने उसे सीना पहाड़ पर शरीअत की दो तख़्तियाँ दीं। अल्लाह ने ख़ुद पत्थर की इन तख़्तियों पर तमाम बातें लिखी थीं।


चढ़ते चढ़ते मूसा बादल में दाख़िल हुआ। वहाँ वह चालीस दिन और चालीस रात रहा।


हारून ने ऐसा ही किया। उसने मन के इस मरतबान को अहद के संदूक़ के सामने रखा ताकि वह महफ़ूज़ रहे।


यह साफ़ ज़ाहिर है कि आप मसीह का ख़त हैं जो उसने हमारी ख़िदमत के ज़रीए लिख दिया है। और यह ख़त स्याही से नहीं बल्कि ज़िंदा ख़ुदा के रूह से लिखा गया, पत्थर की तख़्तियों पर नहीं बल्कि इनसानी दिलों पर।


शरीअत के हुरूफ़ पत्थर की तख़्तियों पर कंदा किए गए और जब उसे दिया गया तो अल्लाह का जलाल ज़ाहिर हुआ। यह जलाल इतना तेज़ था कि इसराईली मूसा के चेहरे को लगातार देख न सके। अगर उस चीज़ का जलाल इतना तेज़ था जो अब मनसूख़ है


इस पिछले कमरे में बख़ूर जलाने के लिए सोने की क़ुरबानगाह और अहद का संदूक़ था। अहद के संदूक़ पर सोना मँढा हुआ था और उसमें तीन चीज़ें थीं : सोने का मरतबान जिसमें मन भरा था, हारून का वह असा जिससे कोंपलें फूट निकली थीं और पत्थर की वह दो तख़्तियाँ जिन पर अहद के अहकाम लिखे थे।


पहाड़ से उतरने के बाद रब ने मूसा से कहा, “मेरे पास पहाड़ पर आकर कुछ देर के लिए ठहरे रहना। मैं तुझे पत्थर की तख़्तियाँ दूँगा जिन पर मैंने अपनी शरीअत और अहकाम लिखे हैं और जो इसराईल की तालीमो-तरबियत के लिए ज़रूरी हैं।”


अल्लाह ने ख़ुद तख़्तियों को बनाकर उन पर अपने अहकाम कंदा किए थे।


इसके बाद मूसा शरीअत की दोनों तख़्तियों को हाथ में लिए हुए सीना पहाड़ से उतरा। उसके चेहरे की जिल्द चमक रही थी, क्योंकि उसने रब से बात की थी। लेकिन उसे ख़ुद इसका इल्म नहीं था।


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