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خروج 24:12 - किताबे-मुक़द्दस

12 पहाड़ से उतरने के बाद रब ने मूसा से कहा, “मेरे पास पहाड़ पर आकर कुछ देर के लिए ठहरे रहना। मैं तुझे पत्थर की तख़्तियाँ दूँगा जिन पर मैंने अपनी शरीअत और अहकाम लिखे हैं और जो इसराईल की तालीमो-तरबियत के लिए ज़रूरी हैं।”

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

12 اَور یَاہوِہ نے مَوشہ سے کہا، ”پہاڑ پر میرے پاس آؤ اَور وہیں ٹھہرے رہو۔ میں تُمہیں پتّھر کی تختیاں دُوں گا جِن پر مَیں نے اُن کی تعلیم کے لیٔے آئین کے اَحکام لِکھ دئیے ہیں۔“

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کِتابِ مُقادّس

12 اور خُداوند نے مُوسیٰؔ سے کہا کہ پہاڑ پر میرے پاس آ اور وہیں ٹھہرا رہ اور مَیں تُجھے پتّھر کی لَوحیں اور شرِیعت اور احکام جو مَیں نے لِکھے ہیں دُوں گا تاکہ تُو اُن کو سِکھائے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

12 پہاڑ سے اُترنے کے بعد رب نے موسیٰ سے کہا، ”میرے پاس پہاڑ پر آ کر کچھ دیر کے لئے ٹھہرے رہنا۔ مَیں تجھے پتھر کی تختیاں دوں گا جن پر مَیں نے اپنی شریعت اور احکام لکھے ہیں اور جو اسرائیل کی تعلیم و تربیت کے لئے ضروری ہیں۔“

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خروج 24:12
21 حوالہ جات  

रब ने तुम सबको यह अहकाम दिए जब तुम सीना पहाड़ के दामन में जमा थे। वहाँ तुमने आग, बादल और गहरे अंधेरे में से उस की ज़ोरदार आवाज़ सुनी। यही कुछ उसने कहा और बस। फिर उसने उन्हें पत्थर की दो तख़्तियों पर लिखकर मुझे दे दिया।


यह सब कुछ मूसा को बताने के बाद रब ने उसे सीना पहाड़ पर शरीअत की दो तख़्तियाँ दीं। अल्लाह ने ख़ुद पत्थर की इन तख़्तियों पर तमाम बातें लिखी थीं।


इस पिछले कमरे में बख़ूर जलाने के लिए सोने की क़ुरबानगाह और अहद का संदूक़ था। अहद के संदूक़ पर सोना मँढा हुआ था और उसमें तीन चीज़ें थीं : सोने का मरतबान जिसमें मन भरा था, हारून का वह असा जिससे कोंपलें फूट निकली थीं और पत्थर की वह दो तख़्तियाँ जिन पर अहद के अहकाम लिखे थे।


यह साफ़ ज़ाहिर है कि आप मसीह का ख़त हैं जो उसने हमारी ख़िदमत के ज़रीए लिख दिया है। और यह ख़त स्याही से नहीं बल्कि ज़िंदा ख़ुदा के रूह से लिखा गया, पत्थर की तख़्तियों पर नहीं बल्कि इनसानी दिलों पर।


“जो नया अहद मैं उन दिनों के बाद इसराईल के घराने के साथ बाँधूँगा उसके तहत मैं अपनी शरीअत उनके अंदर डालकर उनके दिलों पर कंदा करूँगा। तब मैं ही उनका ख़ुदा हूँगा, और वह मेरी क़ौम होंगे।


शरीअत के हुरूफ़ पत्थर की तख़्तियों पर कंदा किए गए और जब उसे दिया गया तो अल्लाह का जलाल ज़ाहिर हुआ। यह जलाल इतना तेज़ था कि इसराईली मूसा के चेहरे को लगातार देख न सके। अगर उस चीज़ का जलाल इतना तेज़ था जो अब मनसूख़ है


रब ने मुझे हिदायत की, “उन्हें वह तमाम अहकाम सिखा जिनके मुताबिक़ उन्हें चलना होगा जब वह दरियाए-यरदन को पार करके कनान पर क़ब्ज़ा करेंगे।”


चढ़ते चढ़ते मूसा बादल में दाख़िल हुआ। वहाँ वह चालीस दिन और चालीस रात रहा।


जब मूसा चढ़ने लगा तो पहाड़ पर बादल छा गया।


सिर्फ़ तू अकेला ही मेरे क़रीब आ, दूसरे दूर रहें। और क़ौम के बाक़ी लोग तेरे साथ पहाड़ पर न चढ़ें।”


जो इन सबसे छोटे अहकाम में से एक को भी मनसूख़ करे और लोगों को ऐसा करना सिखाए उसे आसमान की बादशाही में सबसे छोटा क़रार दिया जाएगा। इसके मुक़ाबले में जो इन अहकाम पर अमल करके इन्हें सिखाता है उसे आसमान की बादशाही में बड़ा क़रार दिया जाएगा।


तू कोहे-सीना पर उतर आया और आसमान से उनसे हमकलाम हुआ। तूने उन्हें साफ़ हिदायात और क़ाबिले-एतमाद अहकाम दिए, ऐसे क़वायद जो अच्छे हैं।


वजह यह थी कि अज़रा ने अपने आपको रब की शरीअत की तफ़तीश करने, उसके मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारने और इसराईलियों को उसके अहकाम और हिदायात की तालीम देने के लिए वक़्फ़ किया था।


रब ने मूसा से कहा, “अपने लिए पत्थर की दो तख़्तियाँ तराश ले जो पहली दो की मानिंद हों। फिर मैं उन पर वह अलफ़ाज़ लिखूँगा जो पहली तख़्तियों पर लिखे थे जिन्हें तूने पटख़ दिया था।


लेकिन तू यहाँ मेरे पास रह ताकि मैं तुझे तमाम क़वानीन और अहकाम दे दूँ। उनको लोगों को सिखाना ताकि वह उस मुल्क में उनके मुताबिक़ चलें जो मैं उन्हें दूँगा।”


जवाब में रब ने फ़रमाया, “ग़ार से निकलकर पहाड़ पर रब के सामने खड़ा हो जा!” फिर रब वहाँ से गुज़रा। उसके आगे आगे बड़ी और ज़बरदस्त आँधी आई जिसने पहाड़ों को चीरकर चट्टानों को टुकड़े टुकड़े कर दिया। लेकिन रब आँधी में नहीं था।


तब मूसा पहाड़ पर चढ़कर अल्लाह के पास गया। अल्लाह ने पहाड़ पर से मूसा को पुकारकर कहा, “याक़ूब के घराने बनी इसराईल को बता,


पहाड़ के दामन में लोग मूसा के इंतज़ार में रहे, लेकिन बहुत देर हो गई। एक दिन वह हारून के गिर्द जमा होकर कहने लगे, “आएँ, हमारे लिए देवता बना दें जो हमारे आगे आगे चलते हुए हमारी राहनुमाई करें। क्योंकि क्या मालूम कि उस बंदे मूसा को क्या हुआ है जो हमें मिसर से निकाल लाया।”


तूने उन्हें सबत के दिन के बारे में आगाह किया, उस दिन के बारे में जो तेरे लिए मख़सूसो-मुक़द्दस है। अपने ख़ादिम मूसा की मारिफ़त तूने उन्हें अहकाम और हिदायात दीं।


जो ख़ताएँ बेख़बरी में सरज़द हुईं कौन उन्हें जानता है? मेरे पोशीदा गुनाहों को मुआफ़ कर!


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