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خروج 14:12 - किताबे-मुक़द्दस

12 क्या हमने मिसर में आपसे दरख़ास्त नहीं की थी कि मेहरबानी करके हमें छोड़ दें, हमें मिसरियों की ख़िदमत करने दें? यहाँ आकर रेगिस्तान में मर जाने की निसबत बेहतर होता कि हम मिसरियों के ग़ुलाम रहते।”

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

12 کیا ہم نے آپ سے مِصر میں ہی نہ کہاتھا، ’ہمارا پیچھا چھوڑ دیجئے، اَور ہمیں مِصریوں کی خدمت میں لگے رہنے دیجئے؟‘ یہاں بیابان میں مرنے کی بہ نِسبت ہمارے لیٔے مِصریوں کی خدمت کرتے رہنا ہی بہتر تھا!“

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کِتابِ مُقادّس

12 کیا ہم تُجھ سے مِصرؔ میں یہ بات نہ کہتے تھے کہ ہم کو رہنے دے کہ ہم مِصریوں کی خِدمت کریں؟ کیونکہ ہمارے لِئے مِصریوں کی خِدمت کرنا بیابان میں مَرنے سے بہتر ہوتا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

12 کیا ہم نے مصر میں آپ سے درخواست نہیں کی تھی کہ مہربانی کر کے ہمیں چھوڑ دیں، ہمیں مصریوں کی خدمت کرنے دیں؟ یہاں آ کر ریگستان میں مر جانے کی نسبت بہتر ہوتا کہ ہم مصریوں کے غلام رہتے۔“

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خروج 14:12
11 حوالہ جات  

ऐ रब, अब मुझे जान से मार दे! जीने से बेहतर यही है कि मैं कूच कर जाऊँ।”


मूसा ने यह सब कुछ इसराईलियों को बता दिया, लेकिन उन्होंने उस की बात न मानी, क्योंकि वह सख़्त काम के बाइस हिम्मत हार गए थे।


जब सूरज तुलू हुआ तो अल्लाह ने मशरिक़ से झुलसती लू भेजी। धूप इतनी शदीद थी कि यूनुस ग़श खाने लगा। आख़िरकार वह मरना ही चाहता था। वह बोला, “जीने से बेहतर यही है कि मैं कूच कर जाऊँ।”


उन्होंने मूसा और हारून से कहा, “रब ख़ुद आपकी अदालत करे। क्योंकि आपके सबब से फ़िरौन और उसके मुलाज़िमों को हमसे घिन आती है। आपने उन्हें हमें मार देने का मौक़ा दे दिया है।”


इसराईलियों की चीख़ें मुझ तक पहुँची हैं। मैंने देखा है कि मिसरी उन पर किस तरह का ज़ुल्म ढा रहे हैं।


वह ज़ोर से चीख़ा, “ऐ ईसा अल्लाह तआला के फ़रज़ंद, मेरा आपके साथ क्या वास्ता है? अल्लाह के नाम में आपको क़सम देता हूँ कि मुझे अज़ाब में न डालें।”


“ऐ नासरत के ईसा, हमारा आपके साथ क्या वास्ता है? क्या आप हमें हलाक करने आए हैं? मैं तो जानता हूँ कि आप कौन हैं, आप अल्लाह के क़ुद्दूस हैं।”


इसराईल तो बुतों का इत्तहादी है, उसे छोड़ दे!


जब फ़िरौन ने इसराईली क़ौम को जाने दिया तो अल्लाह उन्हें फ़िलिस्तियों के इलाक़े में से गुज़रनेवाले रास्ते से लेकर न गया, अगरचे उस पर चलते हुए वह जल्द ही मुल्के-कनान पहुँच जाते। बल्कि रब ने कहा, “अगर उस रास्ते पर चलेंगे तो उन्हें दूसरों से लड़ना पड़ेगा। ऐसा न हो कि वह इस वजह से अपना इरादा बदलकर मिसर लौट जाएँ।”


जब हमारे बापदादा मिसर में थे तो उन्हें तेरे मोजिज़ों की समझ न आई और तेरी मुतअद्दिद मेहरबानियाँ याद न रहीं बल्कि वह समुंदर यानी बहरे-क़ुलज़ुम पर सरकश हुए।


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