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خروج 12:43 - किताबे-मुक़द्दस

43 रब ने मूसा और हारून से कहा, “फ़सह की ईद के यह उसूल हैं : किसी भी परदेसी को फ़सह की ईद का खाना खाने की इजाज़त नहीं है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

43 پھر یَاہوِہ نے مَوشہ اَور اَہرونؔ سے فرمایا، ”فسح کھانے کے ضوابط یہ ہیں: ”کویٔی بھی غَیراِسرائیلی اِسے کھانے نہ پایٔے۔

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کِتابِ مُقادّس

43 پِھر خُداوند نے مُوسیٰؔ اور ہارُونؔ سے کہا کہ فَسح کی رسم یہ ہے کہ کوئی بیگانہ اُسے کھانے نہ پائے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

43 رب نے موسیٰ اور ہارون سے کہا، ”فسح کی عید کے یہ اصول ہیں: کسی بھی پردیسی کو فسح کی عید کا کھانا کھانے کی اجازت نہیں ہے۔

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خروج 12:43
9 حوالہ جات  

अगर कोई परदेसी तुम्हारे साथ रहता है जो फ़सह की ईद में शिरकत करना चाहे तो लाज़िम है कि पहले उसके घराने के हर मर्द का ख़तना किया जाए। तब वह इसराईली की तरह खाने में शरीक हो सकता है। लेकिन जिसका ख़तना न हुआ उसे फ़सह का खाना खाने की इजाज़त नहीं है।


अगर कोई परदेसी तुम्हारे दरमियान रहते हुए रब के सामने ईदे-फ़सह मनाना चाहे तो उसे इजाज़त है। शर्त यह है कि वह पूरे फ़रायज़ अदा करे। परदेसी और देसी के लिए ईदे-फ़सह मनाने के फ़रायज़ एक जैसे हैं।”


खाना खाते वक़्त ऐसा लिबास पहनना जैसे तुम सफ़र पर जा रहे हो। अपने जूते पहने रखना और हाथ में सफ़र के लिए लाठी लिए हुए तुम उसे जल्दी जल्दी खाना। रब के फ़सह की ईद यों मनाना।


उस वक़्त आप मसीह के बग़ैर ही चलते थे। आप इसराईल क़ौम के शहरी न बन सके और जो वादे अल्लाह ने अहदों के ज़रीए अपनी क़ौम से किए थे वह आपके लिए नहीं थे। इस दुनिया में आपकी कोई उम्मीद नहीं थी, आप अल्लाह के बग़ैर ही ज़िंदगी गुज़ारते थे।


सिर्फ़ इमाम के ख़ानदान के अफ़राद मुक़द्दस क़ुरबानियों में से खा सकते हैं। ग़ैरशहरी या मज़दूर को इजाज़त नहीं है।


एक दिन एक नबी एली के पास आया और कहा, “रब फ़रमाता है, ‘क्या जब तेरा बाप हारून और उसका घराना मिसर के बादशाह के ग़ुलाम थे तो मैंने अपने आपको उस पर ज़ाहिर न किया?


ख़ासकर इफ़राईम, मनस्सी, ज़बूलून और इशकार के अकसर लोगों ने अपने आपको सहीह तौर पर पाक-साफ़ नहीं किया था। चुनाँचे वह फ़सह के खाने में उस हालत में शरीक न हुए जिसका तक़ाज़ा शरीअत करती है। लेकिन हिज़क़ियाह ने उनकी शफ़ाअत करके दुआ की, “रब जो मेहरबान है हर एक को मुआफ़ करे


तुम परदेसियों को मेरे मक़दिस में लाए हो, ऐसे लोगों को जो बातिन और ज़ाहिर में नामख़तून हैं। और यह तुमने उस वक़्त किया जब तुम मुझे मेरी ख़ुराक यानी चरबी और ख़ून पेश कर रहे थे। यों तुमने मेरे घर की बेहुरमती करके अपनी घिनौनी हरकतों से वह अहद तोड़ डाला है जो मैंने तुम्हारे साथ बाँधा था।


लेकिन हो सकता है कि वह बेवा या तलाक़याफ़्ता हो और उसके बच्चे न हों। जब वह अपने बाप के घर लौटकर वहाँ ऐसे रहेगी जैसे अपनी जवानी में तो वह अपने बाप के उस खाने में से खा सकती है जो क़ुरबानियों में से बाप का हिस्सा है। लेकिन जो इमाम के ख़ानदान का फ़रद नहीं है उसे खाने की इजाज़त नहीं है।


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