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خروج 12:1 - किताबे-मुक़द्दस

1 फिर रब ने मिसर में मूसा और हारून से कहा,

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

1 پھر یَاہوِہ نے مِصر میں مَوشہ اَور اَہرونؔ سے فرمایا کہ،

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کِتابِ مُقادّس

1 پِھر خُداوند نے مُلکِ مِصرؔ میں مُوسیٰؔ اور ہارُونؔ سے کہا کہ

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

1 پھر رب نے مصر میں موسیٰ اور ہارون سے کہا،

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خروج 12:1
17 حوالہ جات  

फ़सह और बेख़मीरी रोटी की ईद क़रीब आ गई थी। सिर्फ़ दो दिन रह गए थे। राहनुमा इमाम और शरीअत के उलमा ईसा को किसी चालाकी से गिरिफ़्तार करके क़त्ल करने की तलाश में थे।


बेख़मीरी रोटी की ईद यानी फ़सह की ईद क़रीब आ गई थी।


उसने उसे जेल में डालकर चार दस्तों के हवाले कर दिया कि उस की पहरादारी करें (हर दस्ते में चार फ़ौजी थे)। ख़याल था कि ईद के बाद ही पतरस को अवाम के सामने खड़ा करके उस की अदालत की जाए।


गो मूसा और हारून ने फ़िरौन के सामने यह तमाम मोजिज़े दिखाए, लेकिन रब ने फ़िरौन को ज़िद्दी बनाए रखा, इसलिए उसने इसराईलियों को मुल्क छोड़ने न दिया।


“अब से यह महीना तुम्हारे लिए साल का पहला महीना हो।”


और उन्होंने ऐसा ही किया। उन्होंने ईदे-फ़सह को पहले महीने के चौधवें दिन सूरज के ग़ुरूब होने के ऐन बाद मनाया। उन्होंने सब कुछ वैसा ही किया जैसा रब ने मूसा को हुक्म दिया था।


पहले महीने के चौधवें दिन फ़सह की ईद मनाई जाए।


एक दिन एक नबी एली के पास आया और कहा, “रब फ़रमाता है, ‘क्या जब तेरा बाप हारून और उसका घराना मिसर के बादशाह के ग़ुलाम थे तो मैंने अपने आपको उस पर ज़ाहिर न किया?


यरूशलम में जमा हुए इसराईलियों ने फ़सह की ईद और बेख़मीरी रोटी की ईद एक हफ़ते के दौरान मनाई।


पहले महीने के चौधवें दिन फ़सह की ईद का आग़ाज़ हो। उसे सात दिन मनाओ, और उसके दौरान सिर्फ़ बेख़मीरी रोटी खाओ।


अब उस औरत को उसके शौहर को वापस कर दे, क्योंकि वह नबी है और तेरे लिए दुआ करेगा। फिर तू नहीं मरेगा। लेकिन अगर तू उसे वापस नहीं करेगा तो जान ले कि तेरी और तेरे लोगों की मौत यक़ीनी है।”


इसराईलियों को बता देना कि हर मर्द अपने पड़ोसी और हर औरत अपनी पड़ोसन से सोने-चाँदी की चीज़ें माँग ले।”


पहले महीने के 14वें दिन की शाम से लेकर 21वें दिन की शाम तक सिर्फ़ बेख़मीरी रोटी खाना।


तब रब ने मूसा से कहा,


“पहले महीने की पहली तारीख़ को मुलाक़ात का ख़ैमा खड़ा करना।


“लाज़िम है कि इसराईली ईदे-फ़सह को मुक़र्ररा वक़्त पर मनाएँ,


यानी इस महीने के चौधवें दिन, सूरज के ग़ुरूब होने के ऐन बाद। उसे तमाम क़वायद के मुताबिक़ मनाना।”


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