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افسیوں 6:14 - किताबे-मुक़द्दस

14 अब यों खड़े हो जाएँ कि आपकी कमर में सच्चाई का पटका बँधा हुआ हो, आपके सीने पर रास्तबाज़ी का सीनाबंद लगा हो

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

14 اِس مقصد کے لیٔے تُم سچّائی سے اَپنی کمر کِس لو، خُدا کی راستبازی کا بکتر پہن لو۔

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کِتابِ مُقادّس

14 پس سچّائی سے اپنی کمر کس کر اور راست بازی کا بکتر لگا کر۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

14 اب یوں کھڑے ہو جائیں کہ آپ کی کمر میں سچائی کا پٹکا بندھا ہوا ہو، آپ کے سینے پر راست بازی کا سینہ بند لگا ہو

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افسیوں 6:14
13 حوالہ جات  

रास्ती के ज़िरा-बकतर से मुलब्बस होकर उसने सर पर नजात का ख़ोद रखा, इंतक़ाम का लिबास पहनकर उसने ग़ैरत की चादर ओढ़ ली।


लेकिन चूँकि हम दिन के हैं इसलिए आएँ हम होश में रहें। लाज़िम है कि हम ईमान और मुहब्बत को ज़िरा-बकतर के तौर पर और नजात की उम्मीद को ख़ोद के तौर पर पहन लें।


वह रास्तबाज़ी के पटके और वफ़ादारी के ज़ेरजामे से मुलब्बस रहेगा।


ख़िदमत के लिए तैयार खड़े रहो और इस पर ध्यान दो कि तुम्हारे चराग़ जलते रहें।


चुनाँचे ज़हनी तौर पर कमरबस्ता हो जाएँ। होशमंदी से अपनी पूरी उम्मीद उस फ़ज़ल पर रखें जो आपको ईसा मसीह के ज़ुहूर पर बख़्शा जाएगा।


सच्ची बातें करते और अल्लाह की क़ुदरत से लोगों की ख़िदमत करते हैं। हम अपनी नेकनामी इसमें भी ज़ाहिर करते हैं कि हम दोनों हाथों से रास्तबाज़ी के हथियार थामे रखते हैं।


क्योंकि रौशनी का फल हर तरह की भलाई, रास्तबाज़ी और सच्चाई है।


रोया में घोड़े और सवार यों नज़र आए : सीनों पर लगे ज़िरा-बकतर आग जैसे सुर्ख़, नीले और गंधक जैसे पीले थे। घोड़ों के सर शेरबबर के सरों से मुताबिक़त रखते थे और उनके मुँह से आग, धुआँ और गंधक निकलती थी।


यों लगा जैसे उनके सीनों पर लोहे के-से ज़िरा-बकतर लगे हुए थे, और उनके परों की आवाज़ बेशुमार रथों और घोड़ों के शोर जैसी थी जब वह मुख़ालिफ़ पर झपट रहे होते हों।


मैं रास्तबाज़ी से मुलब्बस और रास्तबाज़ी मुझसे मुलब्बस रहती थी, इनसाफ़ मेरा चोग़ा और पगड़ी था।


रात ढलनेवाली है और दिन निकलनेवाला है। इसलिए आएँ, हम तारीकी के काम गंदे कपड़ों की तरह उतारकर नूर के हथियार बाँध लें।


चुनाँचे अल्लाह का पूरा ज़िरा-बकतर पहन लें ताकि आप मुसीबत के दिन इबलीस के हमलों का सामना कर सकें बल्कि सब कुछ सरंजाम देने के बाद क़ायम रह सकें।


इतने में तमाम मोआबियों को पता चल गया था कि तीनों बादशाह हमसे लड़ने आ रहे हैं। छोटों से लेकर बड़ों तक जो भी अपनी तलवार चला सकता था उसे बुलाकर सरहद की तरफ़ भेजा गया।


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