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افسیوں 5:17 - किताबे-मुक़द्दस

17 इसलिए अहमक़ न बनें बल्कि ख़ुदावंद की मरज़ी को समझें।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

17 اِس لیٔے نادانوں کی طرح زندگی نہ گُزارو، بَلکہ خُداوؔند کی مرضی سمجھنے کی کوشش کرو۔

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کِتابِ مُقادّس

17 اِس سبب سے نادان نہ بنو بلکہ خُداوند کی مرضی کو سمجھو کہ کیا ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

17 اِس لئے احمق نہ بنیں بلکہ خداوند کی مرضی کو سمجھیں۔

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افسیوں 5:17
17 حوالہ جات  

इस दुनिया के साँचे में न ढल जाएँ बल्कि अल्लाह को आपकी सोच की तजदीद करने दें ताकि आप वह शक्लो-सूरत अपना सकें जो उसे पसंद है। फिर आप अल्लाह की मरज़ी को पहचान सकेंगे, वह कुछ जो अच्छा, पसंदीदा और कामिल है।


और हर हालत में ख़ुदा का शुक्र करें। क्योंकि जब आप मसीह में हैं तो अल्लाह यही कुछ आपसे चाहता है।


इस वजह से हम आपके लिए दुआ करने से बाज़ नहीं आए बल्कि यह माँगते रहते हैं कि अल्लाह आपको हर रूहानी हिकमत और समझ से नवाज़कर अपनी मरज़ी के इल्म से भर दे।


चुनाँचे बड़ी एहतियात से इस पर ध्यान दें कि आप ज़िंदगी किस तरह गुज़ारते हैं—बेसमझ या समझदार लोगों की तरह।


“मेरी क़ौम अहमक़ है और मुझे नहीं जानती। वह बेवुक़ूफ़ और नासमझ बच्चे हैं। गो वह ग़लत काम करने में बहुत तेज़ हैं, लेकिन भलाई करना उनकी समझ से बाहर है।”


नतीजे में वह ज़मीन पर अपनी बाक़ी ज़िंदगी इनसान की बुरी ख़ाहिशात पूरी करने में नहीं गुज़ारेगा बल्कि अल्लाह की मरज़ी पूरी करने में।


जो अब तक ईमान न लाए हों उनके साथ दानिशमंदाना सुलूक करें। इस सिलसिले में हर मौक़े से फ़ायदा उठाएँ।


जो उस की मरज़ी पूरी करने के लिए तैयार है वह जान लेगा कि मेरी तालीम अल्लाह की तरफ़ से है या कि मेरी अपनी तरफ़ से।


हिकमत इससे शुरू होती है कि हम रब का ख़ौफ़ मानें। जो भी उसके अहकाम पर अमल करे उसे अच्छी समझ हासिल होगी। उस की हम्द हमेशा तक क़ायम रहेगी।


इनसान से उसने कहा, ‘सुनो, अल्लाह का ख़ौफ़ मानना ही हिकमत और बुराई से दूर रहना ही समझ है’।”


ज़हीन की हिकमत इसमें है कि वह सोच-समझकर अपनी राह पर चले, लेकिन अहमक़ की हमाक़त सरासर धोका ही है।


अगर तू ऐसा करे तो तुझे रब के ख़ौफ़ की समझ आएगी और अल्लाह का इरफ़ान हासिल होगा।


इन्हें मानो और इन पर अमल करो तो दूसरी क़ौमों को तुम्हारी दानिशमंदी और समझ नज़र आएगी। फिर वह इन तमाम अहकाम के बारे में सुनकर कहेंगी, “वाह, यह अज़ीम क़ौम कैसी दानिशमंद और समझदार है!”


सच्चाई ख़रीद ले और कभी फ़रोख़्त न कर, उसमें शामिल हिकमत, तरबियत और समझ अपना ले।


मुझे अपने अहकाम की राह समझने के क़ाबिल बना ताकि तेरे अजायब में महवे-ख़याल रहूँ।


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