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افسیوں 5:10 - किताबे-मुक़द्दस

10 और मालूम करते रहें कि ख़ुदावंद को क्या कुछ पसंद है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

10 اَور تجربہ سے مَعلُوم کرتے رہو کہ خُداوؔند کو کیا پسند ہے۔

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کِتابِ مُقادّس

10 اور تجربہ سے معلُوم کرتے رہو کہ خُداوند کو کیا پسند ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

10 اور معلوم کرتے رہیں کہ خداوند کو کیا کچھ پسند ہے۔

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افسیوں 5:10
16 حوالہ جات  

चुनाँचे आएँ, हम शुक्रगुज़ार हों। क्योंकि हमें एक ऐसी बादशाही हासिल हो रही है जिसे हिलाया नहीं जा सकता। हाँ, हम शुक्रगुज़ारी की इस रूह में एहतराम और ख़ौफ़ के साथ अल्लाह की पसंदीदा परस्तिश करें,


ऐ रब, बख़्श दे कि मेरे मुँह की बातें और मेरे दिल की सोच-बिचार तुझे पसंद आए। तू ही मेरी चट्टान और मेरा छुड़ानेवाला है।


बेशक इसमें फ़ख़र की कोई बात नहीं अगर आप सब्र से पिटाई की वह सज़ा बरदाश्त करें जो आपको ग़लत काम करने की वजह से मिली हो। लेकिन अगर आपको अच्छा काम करने की वजह से दुख सहना पड़े और आप यह सज़ा सब्र से बरदाश्त करें तो यह अल्लाह का फ़ज़ल है।


और आप भी ज़िंदा पत्थर हैं जिनको अल्लाह अपने रूहानी मक़दिस को तामीर करने के लिए इस्तेमाल कर रहा है। न सिर्फ़ यह बल्कि आप उसके मख़सूसो-मुक़द्दस इमाम हैं। ईसा मसीह के वसीले से आप ऐसी रूहानी क़ुरबानियाँ पेश कर रहे हैं जो अल्लाह को पसंद हैं।


सब कुछ परखकर वह थामे रखें जो अच्छा है,


यह अच्छा और हमारे नजातदहिंदा अल्लाह को पसंदीदा है।


क्योंकि यह ज़रूरी है ताकि आप वह बातें क़बूल करें जो बुनियादी अहमियत की हामिल हैं और आप मसीह की आमद तक बेलौस और बेइलज़ाम ज़िंदगी गुज़ारें।


जो यों मसीह की ख़िदमत करता है वह अल्लाह को पसंद और इनसानों को मंज़ूर है।


रास्तबाज़ी और इनसाफ़ करना रब को ज़बह की क़ुरबानियों से कहीं ज़्यादा पसंद है।


अगर किसी बेवा के बच्चे या पोते-नवासे हों तो उस की मदद करना उन्हीं का फ़र्ज़ है। हाँ, वह सीखें कि ख़ुदातरस होने का पहला फ़र्ज़ यह है कि हम अपने घरवालों की फ़िकर करें और यों अपने माँ-बाप, दादा-दादी और नाना-नानी को वह कुछ वापस करें जो हमें उनसे मिला है, क्योंकि ऐसा अमल अल्लाह को पसंद है।


मुझे सबा के बख़ूर या दूर-दराज़ ममालिक के क़ीमती मसालों की क्या परवा! तुम्हारी भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ मुझे पसंद नहीं, तुम्हारी ज़बह की क़ुरबानियों से मैं लुत्फ़अंदोज़ नहीं होता।”


यही मेरी रसीद है। मैंने पूरी रक़म वसूल पाई है बल्कि अब मेरे पास ज़रूरत से ज़्यादा है। जब से मुझे इपफ़्रुदितुस के हाथ आपका हदिया मिल गया है मेरे पास बहुत कुछ है। यह ख़ुशबूदार और क़ाबिले-क़बूल क़ुरबानी अल्लाह को पसंदीदा है।


फिर दाऊद ने साऊल की तलवार बाँधकर चलने की कोशिश की। लेकिन उसे बहुत मुश्किल लग रहा था। उसने साऊल से कहा, “मैं यह चीज़ें पहनकर नहीं लड़ सकता, क्योंकि मैं इनका आदी नहीं हूँ।” उन्हें उतारकर


क्या मुझे इस क़िस्म का रोज़ा पसंद है? क्या यह काफ़ी है कि बंदा अपने आपको कुछ देर के लिए ख़ाकसार बनाकर इंकिसारी का इज़हार करे? कि वह अपने सर को आबी नरसल की तरह झुकाकर टाट और राख में लेट जाए? क्या तुम वाक़ई समझते हो कि यह रोज़ा है, कि ऐसा वक़्त रब को पसंद है?


क्योंकि फिर ही आप अपनी ज़िंदगी ख़ुदावंद के लायक़ गुज़ार सकेंगे और हर तरह से उसे पसंद आएँगे। हाँ, आप हर क़िस्म का अच्छा काम करके फल लाएँगे और अल्लाह के इल्मो-इरफ़ान में तरक़्क़ी करेंगे।


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