Biblia Todo Logo
آن لائن بائبل

- اشتہارات -




واعظ 6:9 - किताबे-मुक़द्दस

9 दूर-दराज़ चीज़ों के आरज़ूमंद रहने की निसबत बेहतर यह है कि इनसान उन चीज़ों से लुत्फ़ उठाए जो आँखों के सामने ही हैं। यह भी बातिल और हवा को पकड़ने के बराबर है।

باب دیکھیں کاپی

اُردو ہم عصر ترجُمہ

9 آنکھوں سے دیکھ لینا نَفس کی آوارگی سے بہتر ہے۔ یہ بھی باطِل اَور ہَوا کے تعاقب میں جانے کی طرح ہے۔

باب دیکھیں کاپی

کِتابِ مُقادّس

9 آنکھوں سے دیکھ لینا آرزُو کی آوارگی سے بِہتر ہے۔ یہ بھی بُطلان اور ہوا کی چران ہے۔

باب دیکھیں کاپی

ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

9 دُوردراز چیزوں کے آرزومند رہنے کی نسبت بہتر یہ ہے کہ انسان اُن چیزوں سے لطف اُٹھائے جو آنکھوں کے سامنے ہی ہیں۔ یہ بھی باطل اور ہَوا کو پکڑنے کے برابر ہے۔

باب دیکھیں کاپی




واعظ 6:9
13 حوالہ جات  

मैंने तमाम कामों का मुलाहज़ा किया जो सूरज तले होते हैं, तो नतीजा यह निकला कि सब कुछ बातिल और हवा को पकड़ने के बराबर है।


अगर मेरे क़दम सहीह राह से हट गए, मेरी आँखें मेरे दिल को ग़लत राह पर ले गईं या मेरे हाथ दाग़दार हुए


ऐ नौजवान, जब तक तू जवान है ख़ुश रह और जवानी के मज़े लेता रह। जो कुछ तेरा दिल चाहे और तेरी आँखों को पसंद आए वह कर, लेकिन याद रहे कि जो कुछ भी तू करे उसका जवाब अल्लाह तुझसे तलब करेगा।


अल्लाह किसी आदमी को मालो-मता और इज़्ज़त अता करता है। ग़रज़ उसके पास सब कुछ है जो उसका दिल चाहे। लेकिन अल्लाह उसे इन चीज़ों से लुत्फ़ उठाने नहीं देता बल्कि कोई अजनबी उसका मज़ा लेता है। यह बातिल और एक बड़ी मुसीबत है।


तब मैंने जान लिया कि इनसान के लिए अच्छा और मुनासिब है कि वह जितने दिन अल्लाह ने उसे दिए हैं खाए पिए और सूरज तले अपनी मेहनत-मशक़्क़त के फल का मज़ा ले, क्योंकि यही उसके नसीब में है।


मैंने यह भी देखा कि सब लोग इसलिए मेहनत-मशक़्क़त और महारत से काम करते हैं कि एक दूसरे से हसद करते हैं। यह भी बातिल और हवा को पकड़ने के बराबर है।


लेकिन जब मैंने अपने हाथों के तमाम कामों का जायज़ा लिया, उस मेहनत-मशक़्क़त का जो मैंने की थी तो नतीजा यही निकला कि सब कुछ बातिल और हवा को पकड़ने के बराबर है। सूरज तले किसी भी काम का फ़ायदा नहीं होता।


वाइज़ फ़रमाता है, “बातिल ही बातिल, बातिल ही बातिल, सब कुछ बातिल ही बातिल है!”


“क्योंकि शुरू से ही तू अपने जुए और रस्सों को तोड़कर कहती रही, ‘मैं तेरी ख़िदमत नहीं करूँगी!’ तू हर बुलंदी पर और हर घने दरख़्त के साये में लेटकर इसमतफ़रोशी करती रही।


मैंने अपनी पूरी ज़हनी ताक़त इस पर लगाई कि हिकमत समझूँ, नीज़ कि मुझे दीवानगी और हमाक़त की समझ भी आए। लेकिन मुझे मालूम हुआ कि यह भी हवा को पकड़ने के बराबर है।


ہمیں فالو کریں:

اشتہارات


اشتہارات