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واعظ 5:16 - किताबे-मुक़द्दस

16 यह भी बहुत बुरी बात है कि जिस तरह इनसान आया उसी तरह कूच करके चला भी जाता है। उसे क्या फ़ायदा हुआ है कि उसने हवा के लिए मेहनत-मशक़्क़त की हो?

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

16 یہ بھی ایک شدید بُرائی ہے: اِنسان جَیسے آتا ہے وَیسا ہی چلا بھی جاتا ہے، آخِر اُسے کیا فائدہ ہُوا، اُس کی ساری محنت و مشقّت تو ہَوا کو پکڑنے کے برابر ہے؟

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کِتابِ مُقادّس

16 اور یہ بھی بلایِ عظِیم ہے کہ ٹِھیک جَیسا وہ آیا تھا وَیسا ہی جائے گا اور اُسے اِس فضُول مِحنت سے کیا حاصِل ہے؟

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

16 یہ بھی بہت بُری بات ہے کہ جس طرح انسان آیا اُسی طرح کوچ کر کے چلا بھی جاتا ہے۔ اُسے کیا فائدہ ہوا ہے کہ اُس نے ہَوا کے لئے محنت مشقت کی ہو؟

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واعظ 5:16
13 حوالہ جات  

सूरज तले जो मेहनत-मशक़्क़त इनसान करे उसका क्या फ़ायदा है? कुछ नहीं!


जो अपने घर में गड़बड़ पैदा करे वह मीरास में हवा ही पाएगा। अहमक़ दानिशमंद का नौकर बनेगा।


ऐसी ख़ुराक के लिए जिद्दो-जहद न करो जो गल-सड़ जाती है, बल्कि ऐसी के लिए जो अबदी ज़िंदगी तक क़ायम रहती है और जो इब्ने-आदम तुमको देगा, क्योंकि ख़ुदा बाप ने उस पर अपनी तसदीक़ की मुहर लगाई है।”


क्या फ़ायदा है अगर किसी को पूरी दुनिया हासिल हो जाए, लेकिन वह अपनी जान से महरूम हो जाए?


वह हवा का बीज बो रहे हैं और आँधी की फ़सल काटेंगे। अनाज की फ़सल तैयार है, लेकिन बालियाँ कहीं नज़र नहीं आतीं। इससे आटा मिलने का इमकान ही नहीं। और अगर थोड़ा-बहुत गंदुम मिले भी तो ग़ैरमुल्की उसे हड़प कर लेंगे।


न इमामों ने पूछा कि रब कहाँ है, न शरीअत को अमल में लानेवाले मुझे जानते थे। क़ौम के गल्लाबान मुझसे बेवफ़ा हुए, और नबी बेफ़ायदा बुतों के पीछे लगकर बाल देवता के पैग़ामात सुनाने लगे।”


जनने का दर्द महसूस करके हम पेचो-ताब खा रहे थे। लेकिन अफ़सोस, हवा ही पैदा हुई। न हमने मुल्क को नजात दी, न दुनिया के नए बाशिंदे पैदा हुए।


मुझे सूरज तले एक निहायत बुरी बात नज़र आई। जो दौलत किसी ने अपने लिए महफ़ूज़ रखी वह उसके लिए नुक़सान का बाइस बन गई।


बेमानी बुतों के पीछे मत पड़ना। न वह फ़ायदे का बाइस हैं, न आपको बचा सकते हैं। उनकी कोई हैसियत नहीं है।


आप ऐसे लोगों के ताबे रहें और साथ ही हर उस शख़्स के जो उनके साथ ख़िदमत के काम में जाँफ़िशानी करता है।


लेकिन जब मैंने अपने हाथों के तमाम कामों का जायज़ा लिया, उस मेहनत-मशक़्क़त का जो मैंने की थी तो नतीजा यही निकला कि सब कुछ बातिल और हवा को पकड़ने के बराबर है। सूरज तले किसी भी काम का फ़ायदा नहीं होता।


चुनाँचे क्या फ़ायदा है कि काम करनेवाला मेहनत-मशक़्क़त करे?


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