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واعظ 3:22 - किताबे-मुक़द्दस

22 ग़रज़ मैंने जान लिया कि इनसान के लिए इससे बेहतर कुछ नहीं है कि वह अपने कामों में ख़ुश रहे, यही उसके नसीब में है। क्योंकि कौन उसे वह देखने के क़ाबिल बनाएगा जो उसके बाद पेश आएगा? कोई नहीं!

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

22 غرض مَیں نے سمجھ لیا کہ کسی اِنسان کے لیٔے اِس سے بہتر کچھ نہیں کہ وہ اَپنے کاموں میں خُوش رہے، یہی اُس کا حِصّہ ہے۔ کیونکہ اُسے یہ دیکھنے کے لیٔے کہ اُس کے بعد کیا ہوگا، کون اُسے واپس لا سَکتا ہے؟

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کِتابِ مُقادّس

22 پس مَیں نے دیکھا کہ اِنسان کے لِئے اِس سے بِہتر کُچھ نہیں کہ وہ اپنے کاروبار میں خُوش رہے اِس لِئے کہ اُس کا بخرہ یِہی ہے کیونکہ کَون اُسے واپس لائے گا کہ جو کُچھ اُس کے بعد ہو گا دیکھ لے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

22 غرض مَیں نے جان لیا کہ انسان کے لئے اِس سے بہتر کچھ نہیں ہے کہ وہ اپنے کاموں میں خوش رہے، یہی اُس کے نصیب میں ہے۔ کیونکہ کون اُسے وہ دیکھنے کے قابل بنائے گا جو اُس کے بعد پیش آئے گا؟ کوئی نہیں!

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واعظ 3:22
24 حوالہ جات  

इनसान के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि खाए पिए और अपनी मेहनत-मशक़्क़त के फल से लुत्फ़अंदोज़ हो। लेकिन मैंने यह भी जान लिया कि अल्लाह ही यह सब कुछ मुहैया करता है।


ऐसा शख़्स बातें करने से बाज़ नहीं आता, गो इनसान मुस्तक़बिल के बारे में कुछ नहीं जानता। कौन उसे बता सकता है कि उसके बाद क्या कुछ होगा?


क्योंकि वह नहीं जानता कि मुस्तक़बिल कैसा होगा। कोई उसे यह नहीं बता सकता है।


किस को मालूम है कि उन थोड़े और बेकार दिनों के दौरान जो साये की तरह गुज़र जाते हैं इनसान के लिए क्या कुछ फ़ायदामंद है? कौन उसे बता सकता है कि उसके चले जाने पर सूरज तले क्या कुछ पेश आएगा?


ऐ नौजवान, जब तक तू जवान है ख़ुश रह और जवानी के मज़े लेता रह। जो कुछ तेरा दिल चाहे और तेरी आँखों को पसंद आए वह कर, लेकिन याद रहे कि जो कुछ भी तू करे उसका जवाब अल्लाह तुझसे तलब करेगा।


इसलिए कल के बारे में फ़िकर करते करते परेशान न हो क्योंकि कल का दिन अपने लिए आप फ़िकर कर लेगा। हर दिन की अपनी मुसीबतें काफ़ी हैं।


जहाँ तक तेरा ताल्लुक़ है, आख़िरी वक़्त की तरफ़ बढ़ता चला जा! तू आराम करेगा और फिर दिनों के इख़्तिताम पर जी उठकर अपनी मीरास पाएगा।”


नीज़, कोई भी इनसान नहीं जानता कि मुसीबत का वक़्त कब उस पर आएगा। जिस तरह मछलियाँ ज़ालिम जाल में उलझ जाती या परिंदे फंदे में फँस जाते हैं उसी तरह इनसान मुसीबत में फँस जाता है। मुसीबत अचानक ही उस पर आ जाती है।


चुनाँचे मैंने ख़ुशी की तारीफ़ की, क्योंकि सूरज तले इनसान के लिए इससे बेहतर कुछ नहीं है कि वह खाए पिए और ख़ुश रहे। फिर मेहनत-मशक़्क़त करते वक़्त ख़ुशी उतने ही दिन उसके साथ रहेगी जितने अल्लाह ने सूरज तले उसके लिए मुक़र्रर किए हैं।


अगर उसके बच्चों को सरफ़राज़ किया जाए तो उसे पता नहीं चलता, अगर उन्हें पस्त किया जाए तो यह भी उसके इल्म में नहीं आता।


चूँकि तूने दिली ख़ुशी से उस वक़्त रब अपने ख़ुदा की ख़िदमत न की जब तेरे पास सब कुछ था


यह चीज़ें सिर्फ़ रब के हुज़ूर खाना यानी उस जगह पर जिसे वह मक़दिस के लिए चुनेगा। वहीं तू अपने बेटे-बेटियों, ग़ुलामों, लौंडियों और अपने क़बायली इलाक़े के लावियों के साथ जमा होकर ख़ुशी मना कि रब ने हमारी मेहनत को बरकत दी है।


वहाँ रब अपने ख़ुदा के हुज़ूर अपने घरानों समेत खाना खाकर उन कामयाबियों की ख़ुशी मनाओ जो तुझे रब तेरे ख़ुदा की बरकत के बाइस हासिल हुई हैं।


सूरज तले मैंने जो कुछ भी मेहनत-मशक़्क़त से हासिल किया था उससे मुझे नफ़रत हो गई, क्योंकि मुझे यह सब कुछ उसके लिए छोड़ना है जो मेरे बाद मेरी जगह आएगा।


ख़ुशी के दिन ख़ुश हो, लेकिन मुसीबत के दिन ख़याल रख कि अल्लाह ने यह दिन भी बनाया और वह भी इसलिए कि इनसान अपने मुस्तक़बिल के बारे में कुछ मालूम न कर सके।


उनकी मुहब्बत, नफ़रत और ग़ैरत सब कुछ बड़ी देर से जाती रही है। अब वह कभी भी उन कामों में हिस्सा नहीं लेंगे जो सूरज तले होते हैं।


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