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واعظ 3:1 - किताबे-मुक़द्दस

1 हर चीज़ की अपनी घड़ी होती, आसमान तले हर मामले का अपना वक़्त होता है,

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

1 ہر چیز کے لیٔے ایک وقت ہوتاہے، اَور آسمان کے تلے ہر ایک کام کرنے کا ایک موقع ہوتاہے:

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کِتابِ مُقادّس

1 ہر چِیز کا ایک مَوقع اور ہر کام کا جو آسمان کے نِیچے ہوتا ہے ایک وقت ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

1 ہر چیز کی اپنی گھڑی ہوتی، آسمان تلے ہر معاملے کا اپنا وقت ہوتا ہے،

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واعظ 3:1
12 حوالہ جات  

लेकिन मैं दिल में बोला, “अल्लाह रास्तबाज़ और बेदीन दोनों की अदालत करेगा, क्योंकि हर मामले और काम का अपना वक़्त होता है।”


और सुबह के वक़्त कहते हो, ‘आज तूफ़ान होगा क्योंकि आसमान सुर्ख़ है और बादल छाए हुए हैं।’ ग़रज़ तुम आसमान की हालत पर ग़ौर करके सहीह नतीजा निकाल लेते हो, लेकिन ज़मानों की अलामतों पर ग़ौर करके सहीह नतीजे तक पहुँचना तुम्हारे बस की बात नहीं है।


ख़ुशी के दिन ख़ुश हो, लेकिन मुसीबत के दिन ख़याल रख कि अल्लाह ने यह दिन भी बनाया और वह भी इसलिए कि इनसान अपने मुस्तक़बिल के बारे में कुछ मालूम न कर सके।


लेकिन इलीशा ने एतराज़ किया, “क्या मेरी रूह तुम्हारे साथ नहीं थी जब नामान अपने रथ से उतरकर तुमसे मिलने आया? क्या आज चाँदी, कपड़े, ज़ैतून और अंगूर के बाग़, भेड़-बकरियाँ, गाय-बैल, नौकर और नौकरानियाँ हासिल करने का वक़्त था?


इनसान मौज़ूँ जवाब देने से ख़ुश हो जाता है, वक़्त पर मुनासिब बात कितनी अच्छी होती है।


मैंने दिल में अपना जिस्म मै से तरो-ताज़ा करने और हमाक़त अपनाने के तरीक़े ढूँड निकाले। इसके पीछे भी मेरी हिकमत मालूम करने की कोशिश थी, क्योंकि मैं देखना चाहता था कि जब तक इनसान आसमान तले जीता रहे उसके लिए क्या कुछ करना मुफ़ीद है।


यों सोचते सोचते मैं ज़िंदगी से नफ़रत करने लगा। जो भी काम सूरज तले किया जाता है वह मुझे बुरा लगा, क्योंकि सब कुछ बातिल और हवा को पकड़ने के बराबर है।


जब वह यों मुसीबत में फँस गया तो मनस्सी रब अपने ख़ुदा का ग़ज़ब ठंडा करने की कोशिश करने लगा और अपने आपको अपने बापदादा के ख़ुदा के हुज़ूर पस्त कर दिया।


मैंने अपनी पूरी ज़हनी ताक़त इस पर लगाई कि जो कुछ आसमान तले किया जाता है उस की हिकमत के ज़रीए तफ़तीशो-तहक़ीक़ करूँ। यह काम ना-गवार है गो अल्लाह ने ख़ुद इनसान को इसमें मेहनत-मशक़्क़त करने की ज़िम्मादारी दी है।


पहले बाहर का काम मुकम्मल करके अपने खेतों को तैयार कर, फिर ही अपना घर तामीर कर।


वहाँ वह पुकार उठे, ‘मिसर का बादशाह शोर तो बहुत मचाता है लेकिन इसके पीछे कुछ भी नहीं। जो सुनहरा मौक़ा उसे मिला वह जाता रहा है’।”


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