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واعظ 2:4 - किताबे-मुक़द्दस

4 मैंने बड़े बड़े काम अंजाम दिए, अपने लिए मकान तामीर किए, ताकिस्तान लगाए,

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

4 مَیں نے بڑے بڑے کام شروع کئے: مَیں نے اَپنے لیٔے مکانات تعمیر کئے اَور تاکستان لگائے۔

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کِتابِ مُقادّس

4 مَیں نے بڑے بڑے کام کِئے۔ مَیں نے اپنے لِئے عِمارتیں بنائِیں اور مَیں نے اپنے لِئے تاکِستان لگائے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

4 مَیں نے بڑے بڑے کام انجام دیئے، اپنے لئے مکان تعمیر کئے، تاکستان لگائے،

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واعظ 2:4
17 حوالہ جات  

तब वह कहने लगा, “लो, यह अज़ीम शहर देखो जो मैंने अपनी रिहाइश के लिए तामीर किया है! यह सब कुछ मैंने अपनी ही ज़बरदस्त क़ुव्वत से बना लिया है ताकि मेरी शानो-शौकत मज़ीद बढ़ती जाए।”


आओ, मैं अपने महबूब के लिए गीत गाऊँ, एक गीत जो उसके अंगूर के बाग़ के बारे में है। मेरे प्यारे का बाग़ था। अंगूर का यह बाग़ ज़रख़ेज़ पहाड़ी पर था।


आ, हम सुबह-सवेरे अंगूर के बाग़ों में जाकर मालूम करें कि क्या बेलों से कोंपलें निकल आई हैं और फूल लगे हैं, कि क्या अनार के दरख़्त खिल रहे हैं। वहाँ मैं तुझ पर अपनी मुहब्बत का इज़हार करूँगी।


मेरा महबूब मेरे लिए मेहँदी के फूलों का गुच्छा है, जो ऐन-जदी के अंगूर के बाग़ों से लाया गया है।


उनकी क़ब्रें अबद तक उनके घर बनी रहेंगी, पुश्त-दर-पुश्त वह उनमें बसे रहेंगे, गो उन्हें ज़मीनें हासिल थीं जो उनके नाम पर थीं।


उसने बयाबान में भी बुर्ज तामीर किए और साथ साथ पत्थर के बेशुमार हौज़ तराशे, क्योंकि मग़रिबी यहूदाह के नशेबी पहाड़ी इलाक़े और मैदानी इलाक़े में उसके बड़े बड़े रेवड़ चरते थे। बादशाह को काश्तकारी का काम ख़ास पसंद था। बहुत लोग पहाड़ी इलाक़ों और ज़रख़ेज़ वादियों में उसके खेतों और अंगूर के बाग़ों की निगरानी करते थे।


फ़िरौन की बेटी यरूशलम के पुराने हिस्से बनाम ‘दाऊद का शहर’ से उस महल में मुंतक़िल हुई जो सुलेमान ने उसके लिए तामीर किया था, क्योंकि सुलेमान ने कहा, “लाज़िम है कि मेरी अहलिया इसराईल के बादशाह दाऊद के महल में न रहे। चूँकि रब का संदूक़ यहाँ से गुज़रा है, इसलिए यह जगह मुक़द्दस है।”


सिमई रामाती अंगूर के बाग़ों की निगरानी करता जबकि ज़बदी शिफ़मी इन बाग़ों की मै के गोदामों का इंचार्ज था।


“मेरा आपके साथ अहद है जिस तरह मेरे बाप का आपके बाप के साथ अहद था। गुज़ारिश है कि आप सोने-चाँदी का यह तोह्फ़ा क़बूल करके इसराईल के बादशाह बाशा के साथ अपना अहद मनसूख़ कर दें ताकि वह मेरे मुल्क से निकल जाए।”


चुनाँचे सुलेमान ने रब के घर और शाही महल को तकमील तक पहुँचाया। जो कुछ भी उसने ठान लिया था वह पूरा हुआ।


कुछ देर पहले अबीसलूम इस ख़याल से बादशाह की वादी में अपनी याद में एक सतून खड़ा कर चुका था कि मेरा कोई बेटा नहीं है जो मेरा नाम क़ायम रखे। आज तक यह ‘अबीसलूम की यादगार’ कहलाता है।


फिर वह कहने लगे, “आओ, हम अपने लिए शहर बना लें जिसमें ऐसा बुर्ज हो जो आसमान तक पहुँच जाए फिर हमारा नाम क़ायम रहेगा और हम रूए-ज़मीन पर बिखर जाने से बच जाएंगे।”


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