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واعظ 2:24 - किताबे-मुक़द्दस

24 इनसान के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि खाए पिए और अपनी मेहनत-मशक़्क़त के फल से लुत्फ़अंदोज़ हो। लेकिन मैंने यह भी जान लिया कि अल्लाह ही यह सब कुछ मुहैया करता है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

24 آدمی کے لیٔے اِس سے بہتر کچھ نہیں کہ وہ کھائے پیئے اَور اَپنی محنت و مشقّت کے پھل کے پھل کا لُطف اُٹھائے اَور خُود کو یقین دِلائے کہ اُس کی محنت فائدہ مند ہے، مَیں نے یہ بھی مَعلُوم کیا ہے کہ اَیسا استحقاق خُدا کی طرف سے ہی نصیب ہوتاہے۔

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کِتابِ مُقادّس

24 پس اِنسان کے لِئے اِس سے بِہتر کُچھ نہیں کہ وہ کھائے اور پِئے اور اپنی ساری مِحنت کے درمِیان خُوش ہو کر اپنا جی بہلائے۔ مَیں نے دیکھا کہ یہ بھی خُدا کے ہاتھ سے ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

24 انسان کے لئے سب سے اچھی بات یہ ہے کہ کھائے پیئے اور اپنی محنت مشقت کے پھل سے لطف اندوز ہو۔ لیکن مَیں نے یہ بھی جان لیا کہ اللہ ہی یہ سب کچھ مہیا کرتا ہے۔

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واعظ 2:24
22 حوالہ جات  

ग़रज़ मैंने जान लिया कि इनसान के लिए इससे बेहतर कुछ नहीं है कि वह अपने कामों में ख़ुश रहे, यही उसके नसीब में है। क्योंकि कौन उसे वह देखने के क़ाबिल बनाएगा जो उसके बाद पेश आएगा? कोई नहीं!


जो मौजूदा दुनिया में अमीर हैं उन्हें समझाएँ कि वह मग़रूर न हों, न दौलत जैसी ग़ैरयक़ीनी चीज़ पर उम्मीद रखें। इसकी बजाए वह अल्लाह पर उम्मीद रखें जो हमें फ़ैयाज़ी से सब कुछ मुहैया करता है ताकि हम उससे लुत्फ़अंदोज़ हो जाएँ।


चुनाँचे मैंने ख़ुशी की तारीफ़ की, क्योंकि सूरज तले इनसान के लिए इससे बेहतर कुछ नहीं है कि वह खाए पिए और ख़ुश रहे। फिर मेहनत-मशक़्क़त करते वक़्त ख़ुशी उतने ही दिन उसके साथ रहेगी जितने अल्लाह ने सूरज तले उसके लिए मुक़र्रर किए हैं।


अगर मैं सिर्फ़ इसी ज़िंदगी की उम्मीद रखते हुए इफ़िसुस में वहशी दरिंदों से लड़ा तो मुझे क्या फ़ायदा हुआ? अगर मुरदे जी नहीं उठते तो इस क़ौल के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारना बेहतर होगा कि “आओ, हम खाएँ पिएँ, क्योंकि कल तो मर ही जाना है।”


यह चीज़ें सिर्फ़ रब के हुज़ूर खाना यानी उस जगह पर जिसे वह मक़दिस के लिए चुनेगा। वहीं तू अपने बेटे-बेटियों, ग़ुलामों, लौंडियों और अपने क़बायली इलाक़े के लावियों के साथ जमा होकर ख़ुशी मना कि रब ने हमारी मेहनत को बरकत दी है।


तो भी उसने ऐसी चीज़ें आपके पास रहने दी हैं जो उस की गवाही देती हैं। उस की मेहरबानी इससे ज़ाहिर होती है कि वह आपको बारिश भेजकर हर मौसम की फ़सलें मुहैया करता है और आप सेर होकर ख़ुशी से भर जाते हैं।”


रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, “मेरी सुनो, पूरे दिल से मेरे नाम का एहतराम करो, वरना मैं तुम पर लानत भेजूँगा, मैं तुम्हारी बरकतों को लानतों में तबदील कर दूँगा। बल्कि मैं यह कर भी चुका हूँ, क्योंकि तुमने पूरे दिल से मेरे नाम का एहतराम नहीं किया।


अल्लाह किसी आदमी को मालो-मता और इज़्ज़त अता करता है। ग़रज़ उसके पास सब कुछ है जो उसका दिल चाहे। लेकिन अल्लाह उसे इन चीज़ों से लुत्फ़ उठाने नहीं देता बल्कि कोई अजनबी उसका मज़ा लेता है। यह बातिल और एक बड़ी मुसीबत है।


वहाँ रब के सामने तुम, तुम्हारे बेटे-बेटियाँ, तुम्हारे ग़ुलाम और लौंडियाँ ख़ुशी मनाएँ। अपने शहरों में आबाद लावियों को भी अपनी ख़ुशी में शरीक करो, क्योंकि उनके पास मौरूसी ज़मीन नहीं होगी।


अब जाएँ, उम्दा खाना खाकर और पीने की मीठी चीज़ें पीकर ख़ुशी मनाएँ। जो अपने लिए कुछ तैयार न कर सकें उन्हें अपनी ख़ुशी में शरीक करें। यह दिन हमारे रब के लिए मख़सूसो-मुक़द्दस है। उदास न हों, क्योंकि रब की ख़ुशी आपकी पनाहगाह है।”


मैंने दिल में अपना जिस्म मै से तरो-ताज़ा करने और हमाक़त अपनाने के तरीक़े ढूँड निकाले। इसके पीछे भी मेरी हिकमत मालूम करने की कोशिश थी, क्योंकि मैं देखना चाहता था कि जब तक इनसान आसमान तले जीता रहे उसके लिए क्या कुछ करना मुफ़ीद है।


क्योंकि उसके बग़ैर कौन खाकर ख़ुश हो सकता है? कोई नहीं!


किस को मालूम है कि उन थोड़े और बेकार दिनों के दौरान जो साये की तरह गुज़र जाते हैं इनसान के लिए क्या कुछ फ़ायदामंद है? कौन उसे बता सकता है कि उसके चले जाने पर सूरज तले क्या कुछ पेश आएगा?


हर एक आवाज़ देता है, “आओ, मैं मै ले आता हूँ! आओ, हम जी भरकर शराब पी लें। और कल भी आज की तरह हो बल्कि इससे भी ज़्यादा रौनक़ हो!”


उस ज़माने में इसराईल और यहूदाह के लोग साहिल की रेत की मानिंद बेशुमार थे। लोगों को खाने और पीने की सब चीज़ें दस्तयाब थीं, और वह ख़ुश थे।


जो कुछ भी मेरी आँखें चाहती थीं वह मैंने उनके लिए मुहैया किया, मैंने अपने दिल से किसी भी ख़ुशी का इनकार न किया। मेरे दिल ने मेरे हर काम से लुत्फ़ उठाया, और यह मेरी तमाम मेहनत-मशक़्क़त का अज्र रहा।


जीते-जी वह हर दिन तारीकी में खाना खाते हुए गुज़ारता, ज़िंदगी-भर वह बड़ी रंजीदगी, बीमारी और ग़ुस्से में मुब्तला रहता है।


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