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واعظ 2:17 - किताबे-मुक़द्दस

17 यों सोचते सोचते मैं ज़िंदगी से नफ़रत करने लगा। जो भी काम सूरज तले किया जाता है वह मुझे बुरा लगा, क्योंकि सब कुछ बातिल और हवा को पकड़ने के बराबर है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

17 چنانچہ میں زندگی سے نفرت کرنے لگا کیونکہ جو بھی کام دُنیا میں کیا جاتا ہے وہ میرے لیٔے تکلیف دہ تھا۔ کیونکہ سَب کچھ باطِل اَور ہَوا کو پکڑنے کے برابر ہے۔

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کِتابِ مُقادّس

17 پس مَیں زِندگی سے بیزار ہُؤا کیونکہ جو کام دُنیا میں کِیا جاتا ہے مُجھے بُہت بُرا معلُوم ہُؤا کیونکہ سب بُطلان اور ہوا کی چران ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

17 یوں سوچتے سوچتے مَیں زندگی سے نفرت کرنے لگا۔ جو بھی کام سورج تلے کیا جاتا ہے وہ مجھے بُرا لگا، کیونکہ سب کچھ باطل اور ہَوا کو پکڑنے کے برابر ہے۔

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واعظ 2:17
20 حوالہ جات  

लेकिन जब मैंने अपने हाथों के तमाम कामों का जायज़ा लिया, उस मेहनत-मशक़्क़त का जो मैंने की थी तो नतीजा यही निकला कि सब कुछ बातिल और हवा को पकड़ने के बराबर है। सूरज तले किसी भी काम का फ़ायदा नहीं होता।


जब सूरज तुलू हुआ तो अल्लाह ने मशरिक़ से झुलसती लू भेजी। धूप इतनी शदीद थी कि यूनुस ग़श खाने लगा। आख़िरकार वह मरना ही चाहता था। वह बोला, “जीने से बेहतर यही है कि मैं कूच कर जाऊँ।”


यह देखकर मैंने मुरदों को मुबारक कहा, हालाँकि वह अरसे से वफ़ात पा चुके थे। मैंने कहा, “वह हाल के ज़िंदा लोगों से कहीं मुबारक हैं।


तू क्यों होने देता है कि मुझे इतनी नाइनसाफ़ी देखनी पड़े? लोगों को इतना नुक़सान पहुँचाया जा रहा है, लेकिन तू ख़ामोशी से सब कुछ देखता रहता है। जहाँ भी मैं नज़र डालूँ, वहाँ ज़ुल्मो-तशद्दुद ही नज़र आता है, मुक़दमाबाज़ी और झगड़े सर उठाते हैं।


ऐ रब, अब मुझे जान से मार दे! जीने से बेहतर यही है कि मैं कूच कर जाऊँ।”


अल्लाह का रूह मुझे उठाकर वहाँ से ले गया, और मैं तलख़मिज़ाजी और बड़ी सरगरमी से रवाना हुआ। क्योंकि रब का हाथ ज़ोर से मुझ पर ठहरा हुआ था।


दूर-दराज़ चीज़ों के आरज़ूमंद रहने की निसबत बेहतर यह है कि इनसान उन चीज़ों से लुत्फ़ उठाए जो आँखों के सामने ही हैं। यह भी बातिल और हवा को पकड़ने के बराबर है।


मैंने सूरज तले मज़ीद देखा, जहाँ अदालत करनी है वहाँ नाइनसाफ़ी है, जहाँ इनसाफ़ करना है वहाँ बेदीनी है।


क्योंकि आख़िर में इनसान के लिए क्या कुछ क़ायम रहता है, जबकि उसने सूरज तले इतनी मेहनत-मशक़्क़त और कोशिशों के साथ सब कुछ हासिल कर लिया है?


मैंने तमाम कामों का मुलाहज़ा किया जो सूरज तले होते हैं, तो नतीजा यह निकला कि सब कुछ बातिल और हवा को पकड़ने के बराबर है।


याद रहे कि मेरी ज़िंदगी कितनी मुख़तसर है, कि तूने तमाम इनसान कितने फ़ानी ख़लक़ किए हैं।


काश तू मुझे पाताल में छुपा देता, मुझे वहाँ उस वक़्त तक पोशीदा रखता जब तक तेरा क़हर ठंडा न हो जाता! काश तू एक वक़्त मुक़र्रर करे जब तू मेरा दुबारा ख़याल करेगा।


आगे रेगिस्तान में जा निकला। एक दिन के सफ़र के बाद वह सींक की झाड़ी के पास पहुँच गया और उसके साये में बैठकर दुआ करने लगा, “ऐ रब, मुझे मरने दे। बस अब काफ़ी है। मेरी जान ले ले, क्योंकि मैं अपने बापदादा से बेहतर नहीं हूँ।”


अगर तू इस पर इसरार करे तो फिर बेहतर है कि अभी मुझे मार दे ताकि मैं अपनी तबाही न देखूँ।”


मैंने अपनी पूरी ज़हनी ताक़त इस पर लगाई कि हिकमत समझूँ, नीज़ कि मुझे दीवानगी और हमाक़त की समझ भी आए। लेकिन मुझे मालूम हुआ कि यह भी हवा को पकड़ने के बराबर है।


लेकिन इनसे ज़्यादा मुबारक वह है जो अब तक वुजूद में नहीं आया, जिसने वह तमाम बुराइयाँ नहीं देखीं जो सूरज तले होती हैं।”


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