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واعظ 2:11 - किताबे-मुक़द्दस

11 लेकिन जब मैंने अपने हाथों के तमाम कामों का जायज़ा लिया, उस मेहनत-मशक़्क़त का जो मैंने की थी तो नतीजा यही निकला कि सब कुछ बातिल और हवा को पकड़ने के बराबर है। सूरज तले किसी भी काम का फ़ायदा नहीं होता।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

11 تاہم جَب مَیں نے اَپنے ہاتھوں کے تمام کاموں کا جائزہ لیا، اُس محنت و مشقّت کا جنہیں مَیں نے کیا تھا تو نتیجہ یہی نِکلا کہ سَب باطِل ہے اَور ہَوا کو پکڑنے کے برابر ہے؛ اَور دُنیا میں اِس کا کویٔی دائمی فائدہ نہیں۔

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کِتابِ مُقادّس

11 پِھر مَیں نے اُن سب کاموں پر جو میرے ہاتھوں نے کِئے تھے اور اُس مشقّت پر جو مَیں نے کام کرنے میں کھینچی تھی نظر کی اور دیکھا کہ سب بُطلان اور ہوا کی چران ہے اور دُنیا میں کُچھ فائِدہ نہیں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

11 لیکن جب مَیں نے اپنے ہاتھوں کے تمام کاموں کا جائزہ لیا، اُس محنت مشقت کا جو مَیں نے کی تھی تو نتیجہ یہی نکلا کہ سب کچھ باطل اور ہَوا کو پکڑنے کے برابر ہے۔ سورج تلے کسی بھی کام کا فائدہ نہیں ہوتا۔

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واعظ 2:11
13 حوالہ جات  

मैंने तमाम कामों का मुलाहज़ा किया जो सूरज तले होते हैं, तो नतीजा यह निकला कि सब कुछ बातिल और हवा को पकड़ने के बराबर है।


सूरज तले जो मेहनत-मशक़्क़त इनसान करे उसका क्या फ़ायदा है? कुछ नहीं!


ख़ुदातरस ज़िंदगी वाक़ई बहुत नफ़ा का बाइस है, लेकिन शर्त यह है कि इनसान को जो कुछ भी मिल जाए वह उस पर इकतिफ़ा करे।


मूसा ने तमाम चीज़ों का मुआयना किया और मालूम किया कि उन्होंने सब कुछ रब की हिदायात के मुताबिक़ बनाया था। तब उसने उन्हें बरकत दी।


अल्लाह ने सब पर नज़र की तो देखा कि वह बहुत अच्छा बन गया है। शाम हुई, फिर सुबह। छटा दिन गुज़र गया।


रब्बुल-अफ़वाज ने मुक़र्रर किया है कि जो कुछ क़ौमों ने बड़ी मेहनत-मशक़्क़त से हासिल किया उसे नज़रे-आतिश होना है, जो कुछ पाने के लिए उम्मतें थक जाती हैं वह बेकार ही है।


याद रहे कि मेरी ज़िंदगी कितनी मुख़तसर है, कि तूने तमाम इनसान कितने फ़ानी ख़लक़ किए हैं।


मैंने अपनी पूरी ज़हनी ताक़त इस पर लगाई कि हिकमत समझूँ, नीज़ कि मुझे दीवानगी और हमाक़त की समझ भी आए। लेकिन मुझे मालूम हुआ कि यह भी हवा को पकड़ने के बराबर है।


चुनाँचे क्या फ़ायदा है कि काम करनेवाला मेहनत-मशक़्क़त करे?


जिसे पैसे प्यारे हों वह कभी मुतमइन नहीं होगा, ख़ाह उसके पास कितने ही पैसे क्यों न हों। जो ज़रदोस्त हो वह कभी आसूदा नहीं होगा, ख़ाह उसके पास कितनी ही दौलत क्यों न हो। यह भी बातिल ही है।


यह भी बहुत बुरी बात है कि जिस तरह इनसान आया उसी तरह कूच करके चला भी जाता है। उसे क्या फ़ायदा हुआ है कि उसने हवा के लिए मेहनत-मशक़्क़त की हो?


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