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واعظ 2:10 - किताबे-मुक़द्दस

10 जो कुछ भी मेरी आँखें चाहती थीं वह मैंने उनके लिए मुहैया किया, मैंने अपने दिल से किसी भी ख़ुशी का इनकार न किया। मेरे दिल ने मेरे हर काम से लुत्फ़ उठाया, और यह मेरी तमाम मेहनत-मशक़्क़त का अज्र रहा।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

10 اَور مَیں نے اَپنے آپ کو کسی بھی چیز سے جِس کی میری آنکھوں نے تمنّا کی، باز نہ رکھا؛ اَور مَیں نے اَپنے دِل کو کسی بھی عیش و عشرت سے باز نہ رکھا۔ میرا دِل میری ساری محنت سے خُوش ہُوا، اَور میری ساری محنت و مشقّت کا یہ اِنعام تھا۔

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کِتابِ مُقادّس

10 اور سب کُچھ جو میری آنکھیں چاہتی تِھیں مَیں نے اُن سے باز نہ رکھّا۔ مَیں نے اپنے دِل کو کِسی طرح کی خُوشی سے نہ روکا کیونکہ میرا دِل میری ساری مِحنت سے شادمان ہُؤا اور میری ساری مِحنت سے میرا بخرہ یہی تھا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

10 جو کچھ بھی میری آنکھیں چاہتی تھیں وہ مَیں نے اُن کے لئے مہیا کیا، مَیں نے اپنے دل سے کسی بھی خوشی کا انکار نہ کیا۔ میرے دل نے میرے ہر کام سے لطف اُٹھایا، اور یہ میری تمام محنت مشقت کا اجر رہا۔

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واعظ 2:10
21 حوالہ جات  

अपने जीवनसाथी के साथ जो तुझे प्यारा है ज़िंदगी के मज़े लेता रह। सूरज तले की बातिल ज़िंदगी के जितने दिन अल्लाह ने तुझे बख़्श दिए हैं उन्हें इसी तरह गुज़ार! क्योंकि ज़िंदगी में और सूरज तले तेरी मेहनत-मशक़्क़त में यही कुछ तेरे नसीब में है।


तब मैंने जान लिया कि इनसान के लिए अच्छा और मुनासिब है कि वह जितने दिन अल्लाह ने उसे दिए हैं खाए पिए और सूरज तले अपनी मेहनत-मशक़्क़त के फल का मज़ा ले, क्योंकि यही उसके नसीब में है।


ग़रज़ मैंने जान लिया कि इनसान के लिए इससे बेहतर कुछ नहीं है कि वह अपने कामों में ख़ुश रहे, यही उसके नसीब में है। क्योंकि कौन उसे वह देखने के क़ाबिल बनाएगा जो उसके बाद पेश आएगा? कोई नहीं!


मेरी आँखों को बातिल चीज़ों से फेर ले, और मुझे अपनी राहों पर सँभालकर मेरी जान को ताज़ादम कर।


यक़ीनन तू अपनी मेहनत का फल खाएगा। मुबारक हो, क्योंकि तू कामयाब होगा।


क्योंकि जो भी चीज़ दुनिया में है वह बाप की तरफ़ से नहीं बल्कि दुनिया की तरफ़ से है, ख़ाह वह जिस्म की बुरी ख़ाहिशात, आँखों का लालच या अपनी मिलकियत पर फ़ख़र हो।


क्योंकि आख़िर में इनसान के लिए क्या कुछ क़ायम रहता है, जबकि उसने सूरज तले इतनी मेहनत-मशक़्क़त और कोशिशों के साथ सब कुछ हासिल कर लिया है?


ऐ नौजवान, जब तक तू जवान है ख़ुश रह और जवानी के मज़े लेता रह। जो कुछ तेरा दिल चाहे और तेरी आँखों को पसंद आए वह कर, लेकिन याद रहे कि जो कुछ भी तू करे उसका जवाब अल्लाह तुझसे तलब करेगा।


दूर-दराज़ चीज़ों के आरज़ूमंद रहने की निसबत बेहतर यह है कि इनसान उन चीज़ों से लुत्फ़ उठाए जो आँखों के सामने ही हैं। यह भी बातिल और हवा को पकड़ने के बराबर है।


एक नज़र दौलत पर डाल तो वह ओझल हो जाती है, और पर लगाकर उक़ाब की तरह आसमान की तरफ़ उड़ जाती है।


मैंने अपनी आँखों से अहद बाँधा है। तो फिर मैं किस तरह किसी कुँवारी पर नज़र डाल सकता हूँ?


अपने घर लौटकर उसने अपने वालिदैन को बताया, “मुझे तिमनत की एक फ़िलिस्ती औरत पसंद आई है। उसके साथ मेरा रिश्ता बाँधने की कोशिश करें।”


तब आसमानी हस्तियों ने देखा कि बनी नौ इनसान की बेटियाँ ख़ूबसूरत हैं, और उन्होंने उनमें से कुछ चुनकर उनसे शादी की।


औरत ने दरख़्त पर ग़ौर किया कि खाने के लिए अच्छा और देखने में भी दिलकश है। सबसे दिलफ़रेब बात यह कि उससे समझ हासिल हो सकती है! यह सोचकर उसने उसका फल लेकर उसे खाया। फिर उसने अपने शौहर को भी दे दिया, क्योंकि वह उसके साथ था। उसने भी खा लिया।


जिसे पैसे प्यारे हों वह कभी मुतमइन नहीं होगा, ख़ाह उसके पास कितने ही पैसे क्यों न हों। जो ज़रदोस्त हो वह कभी आसूदा नहीं होगा, ख़ाह उसके पास कितनी ही दौलत क्यों न हो। यह भी बातिल ही है।


अल्लाह किसी आदमी को मालो-मता और इज़्ज़त अता करता है। ग़रज़ उसके पास सब कुछ है जो उसका दिल चाहे। लेकिन अल्लाह उसे इन चीज़ों से लुत्फ़ उठाने नहीं देता बल्कि कोई अजनबी उसका मज़ा लेता है। यह बातिल और एक बड़ी मुसीबत है।


उनकी मुहब्बत, नफ़रत और ग़ैरत सब कुछ बड़ी देर से जाती रही है। अब वह कभी भी उन कामों में हिस्सा नहीं लेंगे जो सूरज तले होते हैं।


मैंने अपने आपसे कहा, “आ, ख़ुशी को आज़माकर अच्छी चीज़ों का तजरबा कर!” लेकिन यह भी बातिल ही निकला।


इनसान के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि खाए पिए और अपनी मेहनत-मशक़्क़त के फल से लुत्फ़अंदोज़ हो। लेकिन मैंने यह भी जान लिया कि अल्लाह ही यह सब कुछ मुहैया करता है।


जीते-जी वह हर दिन तारीकी में खाना खाते हुए गुज़ारता, ज़िंदगी-भर वह बड़ी रंजीदगी, बीमारी और ग़ुस्से में मुब्तला रहता है।


चुनाँचे मैंने ख़ुशी की तारीफ़ की, क्योंकि सूरज तले इनसान के लिए इससे बेहतर कुछ नहीं है कि वह खाए पिए और ख़ुश रहे। फिर मेहनत-मशक़्क़त करते वक़्त ख़ुशी उतने ही दिन उसके साथ रहेगी जितने अल्लाह ने सूरज तले उसके लिए मुक़र्रर किए हैं।


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