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واعظ 12:13 - किताबे-मुक़द्दस

13 आओ, इख़्तिताम पर हम तमाम तालीम के ख़ुलासे पर ध्यान दें। रब का ख़ौफ़ मान और उसके अहकाम की पैरवी कर। यह हर इनसान का फ़र्ज़ है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

13 اَب سَب کچھ سُنا دیا گیا ہے؛ حاصل کلام یہ ہے کہ خُدا سے ڈرو اَور اُن کے حُکموں پر عَمل کرو، کیونکہ اِنسان کا فرضِ کُلّی یہی ہے۔

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کِتابِ مُقادّس

13 اب سب کُچھ سُنایا گیا۔ حاصِلِ کلام یہ ہے۔ خُدا سے ڈر اور اُس کے حُکموں کو مان کہ اِنسان کا فرضِ کُلّی یِہی ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

13 آؤ، اختتام پر ہم تمام تعلیم کے خلاصے پر دھیان دیں۔ رب کا خوف مان اور اُس کے احکام کی پیروی کر۔ یہ ہر انسان کا فرض ہے۔

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واعظ 12:13
27 حوالہ جات  

ऐ इसराईल, अब मेरी बात सुन! रब तेरा ख़ुदा तुझसे क्या तक़ाज़ा करता है? सिर्फ़ यह कि तू उसका ख़ौफ़ माने, उस की तमाम राहों पर चले, उसे प्यार करे, अपने पूरे दिलो-जान से उस की ख़िदमत करे


ऐ इनसान, उसने तुझे साफ़ बताया है कि क्या कुछ अच्छा है। रब तुझसे चाहता है कि तू इनसाफ़ क़ायम रखे, मेहरबानी करने में लगा रहे और फ़रोतनी से अपने ख़ुदा के हुज़ूर चलता रहे।


उम्र-भर तू, तेरे बच्चे और पोते-नवासे रब अपने ख़ुदा का ख़ौफ़ मानें और उसके उन तमाम अहकाम पर चलें जो मैं तुझे दे रहा हूँ। तब तू देर तक जीता रहेगा।


हिकमत इससे शुरू होती है कि हम रब का ख़ौफ़ मानें। जो भी उसके अहकाम पर अमल करे उसे अच्छी समझ हासिल होगी। उस की हम्द हमेशा तक क़ायम रहेगी।


इनसान से उसने कहा, ‘सुनो, अल्लाह का ख़ौफ़ मानना ही हिकमत और बुराई से दूर रहना ही समझ है’।”


जो उसका ख़ौफ़ मानें उनकी आरज़ू वह पूरी करता है। वह उनकी फ़रियादें सुनकर उनकी मदद करता है।


गुनाहगार से सौ गुनाह सरज़द होते हैं, तो भी उम्ररसीदा हो जाता है। बेशक मैं यह भी जानता हूँ कि ख़ुदातरस लोगों की ख़ैर होगी, उनकी जो अल्लाह के चेहरे से डरते हैं।


जो उसका ख़ौफ़ मानते हैं उन पर वह पुश्त-दर-पुश्त अपनी रहमत ज़ाहिर करेगा।


रब का ख़ौफ़ ज़िंदगी का मंबा है। ख़ुदातरस आदमी सेर होकर सुकून से सो जाता और मुसीबत से महफ़ूज़ रहता है।


हिकमत इससे शुरू होती है कि हम रब का ख़ौफ़ मानें। सिर्फ़ अहमक़ हिकमत और तरबियत को हक़ीर जानते हैं।


रब उन्हीं से ख़ुश होता है जो उसका ख़ौफ़ मानते और उस की शफ़क़त के इंतज़ार में रहते हैं।


जहाँ बहुत ख़ाब देखे जाते हैं वहाँ फ़ज़ूल बातें और बेशुमार अलफ़ाज़ होते हैं। चुनाँचे अल्लाह का ख़ौफ़ मान!


फिर तख़्त की तरफ़ से एक आवाज़ सुनाई दी। उसने कहा, “ऐ उसके तमाम ख़ादिमो, हमारे ख़ुदा की तमजीद करो। ऐ उसका ख़ौफ़ माननेवालो, ख़ाह बड़े हो या छोटे उस की सताइश करो।”


हर एक का मुनासिब एहतराम करें, अपने बहन-भाइयों से मुहब्बत रखें, ख़ुदा का ख़ौफ़ मानें, बादशाह का एहतराम करें।


तेरा दिल गुनाहगारों को देखकर कुढ़ता न रहे बल्कि पूरे दिन रब का ख़ौफ़ रखने में सरगरम रहे।


जो अहकाम मैं तुम्हें सिखाता हूँ उनमें न किसी बात का इज़ाफ़ा करो और न उनसे कोई बात निकालो। रब अपने ख़ुदा के तमाम अहकाम पर अमल करो जो मैंने तुम्हें दिए हैं।


फ़रिश्ते ने कहा, “अपने बेटे पर हाथ न चला, न उसके साथ कुछ कर। अब मैंने जान लिया है कि तू अल्लाह का ख़ौफ़ रखता है, क्योंकि तू अपने इकलौते बेटे को भी मुझे देने के लिए तैयार है।”


किस को मालूम है कि उन थोड़े और बेकार दिनों के दौरान जो साये की तरह गुज़र जाते हैं इनसान के लिए क्या कुछ फ़ायदामंद है? कौन उसे बता सकता है कि उसके चले जाने पर सूरज तले क्या कुछ पेश आएगा?


मैंने दिल में अपना जिस्म मै से तरो-ताज़ा करने और हमाक़त अपनाने के तरीक़े ढूँड निकाले। इसके पीछे भी मेरी हिकमत मालूम करने की कोशिश थी, क्योंकि मैं देखना चाहता था कि जब तक इनसान आसमान तले जीता रहे उसके लिए क्या कुछ करना मुफ़ीद है।


लेकिन ध्यान से रब का ख़ौफ़ मानें और पूरे दिल और वफ़ादारी से उस की ख़िदमत करें। याद रहे कि उसने आपके लिए कितने अज़ीम काम किए हैं।


मुझे समझ आई कि जो कुछ अल्लाह करे वह अबद तक क़ायम रहेगा। उसमें न इज़ाफ़ा हो सकता है न कमी। अल्लाह यह सब कुछ इसलिए करता है कि इनसान उसका ख़ौफ़ माने।


अच्छा है कि तू यह बात थामे रखे और दूसरी भी न छोड़े। जो अल्लाह का ख़ौफ़ माने वह दोनों ख़तरों से बच निकलेगा।


जो उसके हुक्म पर चले उसका किसी बुरे मामले से वास्ता नहीं पड़ेगा, क्योंकि दानिशमंद दिल मुनासिब वक़्त और इनसाफ़ की राह जानता है।


वह दिन याद कर जब तू होरिब यानी सीना पहाड़ पर रब अपने ख़ुदा के सामने हाज़िर था और उसने मुझे बताया, “क़ौम को यहाँ मेरे पास जमा कर ताकि मैं उनसे बात करूँ और वह उम्र-भर मेरा ख़ौफ़ मानें और अपने बच्चों को मेरी बातें सिखाते रहें।”


रब अपने ख़ुदा का ख़ौफ़ मान और उस की ख़िदमत कर। उससे लिपटा रह और उसी के नाम की क़सम खा।


जो कुछ रब आपका ख़ुदा आपसे चाहता है वह करें और उस की राहों पर चलते रहें। अल्लाह की शरीअत में दर्ज हर हुक्म और हिदायत पर पूरे तौर पर अमल करें। फिर जो कुछ भी करेंगे और जहाँ भी जाएंगे आपको कामयाबी नसीब होगी।


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