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واعظ 1:14 - किताबे-मुक़द्दस

14 मैंने तमाम कामों का मुलाहज़ा किया जो सूरज तले होते हैं, तो नतीजा यह निकला कि सब कुछ बातिल और हवा को पकड़ने के बराबर है।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

14 مَیں نے سَب کاموں پرجو آسمان تلے کئے جاتے ہیں، نظر کی۔ اَور یہی نتیجہ نِکلا کہ سَب کُچھ باطِل اَور ہَوا کو پکڑنے کے برابر ہے۔

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کِتابِ مُقادّس

14 مَیں نے سب کاموں پر جو دُنیا میں کِئے جاتے ہیں نظر کی اور دیکھو یہ سب کُچھ بُطلان اور ہوا کی چران ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

14 مَیں نے تمام کاموں کا ملاحظہ کیا جو سورج تلے ہوتے ہیں، تو نتیجہ یہ نکلا کہ سب کچھ باطل اور ہَوا کو پکڑنے کے برابر ہے۔

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واعظ 1:14
13 حوالہ جات  

लेकिन जब मैंने अपने हाथों के तमाम कामों का जायज़ा लिया, उस मेहनत-मशक़्क़त का जो मैंने की थी तो नतीजा यही निकला कि सब कुछ बातिल और हवा को पकड़ने के बराबर है। सूरज तले किसी भी काम का फ़ायदा नहीं होता।


जो इनसान अल्लाह को मंज़ूर हो उसे वह हिकमत, इल्मो-इरफ़ान और ख़ुशी अता करता है, लेकिन गुनाहगार को वह जमा करने और ज़ख़ीरा करने की ज़िम्मादारी देता है ताकि बाद में यह दौलत अल्लाह को मंज़ूर शख़्स के हवाले की जाए। यह भी बातिल और हवा को पकड़ने के बराबर है।


यों सोचते सोचते मैं ज़िंदगी से नफ़रत करने लगा। जो भी काम सूरज तले किया जाता है वह मुझे बुरा लगा, क्योंकि सब कुछ बातिल और हवा को पकड़ने के बराबर है।


दूर-दराज़ चीज़ों के आरज़ूमंद रहने की निसबत बेहतर यह है कि इनसान उन चीज़ों से लुत्फ़ उठाए जो आँखों के सामने ही हैं। यह भी बातिल और हवा को पकड़ने के बराबर है।


मैंने यह भी देखा कि सब लोग इसलिए मेहनत-मशक़्क़त और महारत से काम करते हैं कि एक दूसरे से हसद करते हैं। यह भी बातिल और हवा को पकड़ने के बराबर है।


उन तमाम लोगों की इंतहा नहीं थी जिनकी क़ियादत वह करता था। तो भी जो बाद में आएँगे वह उससे ख़ुश नहीं होंगे। यह भी बातिल और हवा को पकड़ने के बराबर है।


मैंने अपनी पूरी ज़हनी ताक़त इस पर लगाई कि हिकमत जान लूँ और ज़मीन पर इनसान की मेहनतों का मुआयना कर लूँ, ऐसी मेहनतें कि उसे दिन-रात नींद नहीं आती।


क्योंकि इनसानो-हैवान का एक ही अंजाम है। दोनों दम छोड़ते, दोनों में एक-सा दम है, इसलिए इनसान को हैवान की निसबत ज़्यादा फ़ायदा हासिल नहीं होता। सब कुछ बातिल ही है।


लेकिन दूसरी तरफ़ अगर कोई मुट्ठी-भर रोज़ी कमाकर सुकून के साथ ज़िंदगी गुज़ार सके तो यह इससे बेहतर है कि दोनों मुट्ठियाँ सिर-तोड़ मेहनत और हवा को पकड़ने की कोशिशों के बाद ही भरें।


वाइज़ फ़रमाता है, “बातिल ही बातिल! सब कुछ बातिल ही बातिल है!”


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