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استثنا 9:9 - किताबे-मुक़द्दस

9 उस वक़्त मैं पहाड़ पर चढ़ गया था ताकि पत्थर की तख़्तियाँ यानी उस अहद की तख़्तियाँ मिल जाएँ जो रब ने तुम्हारे साथ बाँधा था। कुछ खाए पिए बग़ैर मैं 40 दिन और रात वहाँ रहा।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

9 جَب مَیں پتّھر کی دو تختیاں لینے کے لیٔے پہاڑ پر چڑھا تَب میں چالیس دِن اَور چالیس رات پہاڑ کے اُوپر ہی رہا اَور مَیں نے نہ تو روٹی کھائی اَور نہ پانی پیا۔ یہ اُس عہد کی تختیاں تھیں جو یَاہوِہ نے تُم سے باندھا تھا۔

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کِتابِ مُقادّس

9 جب مَیں پتّھر کی دونوں لَوحوں کو یعنی اُس عہد کی لَوحوں کو جو خُداوند نے تُم سے باندھا تھا لینے کو پہاڑ پر چڑھ گیا تو مَیں چالِیس دِن اور چالِیس رات وہِیں پہاڑ پر رہا اور نہ روٹی کھائی نہ پانی پِیا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

9 اُس وقت مَیں پہاڑ پر چڑھ گیا تھا تاکہ پتھر کی تختیاں یعنی اُس عہد کی تختیاں مل جائیں جو رب نے تمہارے ساتھ باندھا تھا۔ کچھ کھائے پیئے بغیر مَیں 40 دن اور رات وہاں رہا۔

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استثنا 9:9
17 حوالہ جات  

मूसा चालीस दिन और चालीस रात वहीं रब के हुज़ूर रहा। इस दौरान न उसने कुछ खाया न पिया। उसने पत्थर की तख़्तियों पर अहद के दस अहकाम लिखे।


चढ़ते चढ़ते मूसा बादल में दाख़िल हुआ। वहाँ वह चालीस दिन और चालीस रात रहा।


तब इलियास ने उठकर दुबारा खाना खाया और पानी पिया। इस ख़ुराक ने उसे इतनी तक़वियत दी कि वह चालीस दिन और चालीस रात सफ़र करते करते अल्लाह के पहाड़ होरिब यानी सीना तक पहुँच गया।


जब मूसा चढ़ने लगा तो पहाड़ पर बादल छा गया।


पहाड़ से उतरने के बाद रब ने मूसा से कहा, “मेरे पास पहाड़ पर आकर कुछ देर के लिए ठहरे रहना। मैं तुझे पत्थर की तख़्तियाँ दूँगा जिन पर मैंने अपनी शरीअत और अहकाम लिखे हैं और जो इसराईल की तालीमो-तरबियत के लिए ज़रूरी हैं।”


चालीस दिन और चालीस रात रोज़ा रखने के बाद उसे आख़िरकार भूक लगी।


एक और बार मैं रब के सामने मुँह के बल गिरा। मैंने न कुछ खाया, न कुछ पिया। 40 दिन और रात मैं तुम्हारे तमाम गुनाहों के बाइस इसी हालत में रहा। क्योंकि जो कुछ तुमने किया था वह रब को निहायत बुरा लगा, इसलिए वह ग़ज़बनाक हो गया था।


जब यह किनायतन समझा जाए तो यह दो ख़वातीन अल्लाह के दो अहदों की नुमाइंदगी करती हैं। पहली ख़ातून हाजिरा सीना पहाड़ पर बँधे हुए अहद की नुमाइंदगी करती है, और जो बच्चे उससे पैदा होते हैं वह ग़ुलामी के लिए मुक़र्रर हैं।


लेकिन इलीशा ने मना किया, “ऐसा मत करें। क्या आप अपने जंगी क़ैदियों को मार देते हैं? नहीं, उन्हें खाना खिलाएँ, पानी पिलाएँ और फिर उनके मालिक के पास वापस भेज दें।”


मैं मुड़कर पहाड़ से उतरा जो अब तक भड़क रहा था। मेरे हाथों में अहद की दोनों तख़्तियाँ थीं।


यह सब कुछ मूसा को बताने के बाद रब ने उसे सीना पहाड़ पर शरीअत की दो तख़्तियाँ दीं। अल्लाह ने ख़ुद पत्थर की इन तख़्तियों पर तमाम बातें लिखी थीं।


इस पिछले कमरे में बख़ूर जलाने के लिए सोने की क़ुरबानगाह और अहद का संदूक़ था। अहद के संदूक़ पर सोना मँढा हुआ था और उसमें तीन चीज़ें थीं : सोने का मरतबान जिसमें मन भरा था, हारून का वह असा जिससे कोंपलें फूट निकली थीं और पत्थर की वह दो तख़्तियाँ जिन पर अहद के अहकाम लिखे थे।


उसने तुझे आजिज़ करके भूके होने दिया, फिर तुझे मन खिलाया जिससे न तू और न तेरे बापदादा वाक़िफ़ थे। क्योंकि वह तुझे सिखाना चाहता था कि इनसान की ज़िंदगी सिर्फ़ रोटी पर मुनहसिर नहीं होती बल्कि हर उस बात पर जो रब के मुँह से निकलती है।


पहाड़ के दामन में लोग मूसा के इंतज़ार में रहे, लेकिन बहुत देर हो गई। एक दिन वह हारून के गिर्द जमा होकर कहने लगे, “आएँ, हमारे लिए देवता बना दें जो हमारे आगे आगे चलते हुए हमारी राहनुमाई करें। क्योंकि क्या मालूम कि उस बंदे मूसा को क्या हुआ है जो हमें मिसर से निकाल लाया।”


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