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استثنا 4:6 - किताबे-मुक़द्दस

6 इन्हें मानो और इन पर अमल करो तो दूसरी क़ौमों को तुम्हारी दानिशमंदी और समझ नज़र आएगी। फिर वह इन तमाम अहकाम के बारे में सुनकर कहेंगी, “वाह, यह अज़ीम क़ौम कैसी दानिशमंद और समझदार है!”

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

6 تُم نہایت احتیاط کے ساتھ اُن پر عَمل کرنا کیونکہ اُسی سے اَور قوموں کو تمہاری حِکمت اَور فراست کا ثبوت ملے گا اَور وہ اُن تمام قوانین کو سُن کر کہیں گی، ”کہ واقعی یہ عظیم قوم نہایت عقلمند اَور دانِشور ہے۔“

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کِتابِ مُقادّس

6 سو تُم اِن کو ماننا اور عمل میں لانا کیونکہ اَور قَوموں کے سامنے یِہی تُمہاری عقل اور دانِش ٹھہریں گے۔ وہ اِن تمام آئِین کو سُن کر کہیں گی کہ یقِیناً یہ بزُرگ قَوم نِہایت عقل مند اور دانِشور ہے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

6 اِنہیں مانو اور اِن پر عمل کرو تو دوسری قوموں کو تمہاری دانش مندی اور سمجھ نظر آئے گی۔ پھر وہ اِن تمام احکام کے بارے میں سن کر کہیں گی، ”واہ، یہ عظیم قوم کیسی دانش مند اور سمجھ دار ہے!“

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استثنا 4:6
27 حوالہ جات  

इनसान से उसने कहा, ‘सुनो, अल्लाह का ख़ौफ़ मानना ही हिकमत और बुराई से दूर रहना ही समझ है’।”


हिकमत इससे शुरू होती है कि हम रब का ख़ौफ़ मानें। जो भी उसके अहकाम पर अमल करे उसे अच्छी समझ हासिल होगी। उस की हम्द हमेशा तक क़ायम रहेगी।


और आप बचपन से मुक़द्दस सहीफ़ों से वाक़िफ़ हैं। अल्लाह का यह कलाम आपको वह हिकमत अता कर सकता है जो मसीह ईसा पर ईमान लाने से नजात तक पहुँचाती है।


चुनाँचे तमाम ममालिक के बादशाहों ने अपने सफ़ीरों को सुलेमान के पास भेज दिया ताकि उस की हिकमत सुनें।


क्या आपमें से कोई दाना और समझदार है? वह यह बात अपने अच्छे चाल-चलन से ज़ाहिर करे, हिकमत से पैदा होनेवाली हलीमी के नेक कामों से।


सुनो, दानिशमंदों की रुसवाई हो जाएगी, वह दहशतज़दा होकर पकड़े जाएंगे। देखो, रब का कलाम रद्द करने के बाद उनकी अपनी हिकमत कहाँ रही?


हिकमत इससे शुरू होती है कि हम रब का ख़ौफ़ मानें। सिर्फ़ अहमक़ हिकमत और तरबियत को हक़ीर जानते हैं।


रब की शरीअत कामिल है, उससे जान में जान आ जाती है। रब के अहकाम क़ाबिले-एतमाद हैं, उनसे सादालौह दानिशमंद हो जाता है।


तब तुम्हारा मुल्क इतना राहतबख़्श होगा कि तमाम अक़वाम तुम्हें मुबारक कहेंगी।” यह रब्बुल-अफ़वाज का फ़रमान है।


जब भी किसी मामले में ख़ास हिकमत और समझ दरकार होती तो बादशाह ने देखा कि यह चार नौजवान मशवरा देने में पूरी सलतनत के तमाम क़िस्मत का हाल बतानेवालों और जादूगरों से दस गुना ज़्यादा क़ाबिल हैं।


ज़हीन की हिकमत इसमें है कि वह सोच-समझकर अपनी राह पर चले, लेकिन अहमक़ की हमाक़त सरासर धोका ही है।


मैं बोला, “ऐ बेल्तशज़्ज़र, तुम जादूगरों के सरदार हो, और मैं जानता हूँ कि मुक़द्दस देवताओं की रूह तुममें है। कोई भी भेद तुम्हारे लिए इतना मुश्किल नहीं है कि तुम उसे खोल न सको। अब मेरा ख़ाब सुनकर उस की ताबीर करो!


अब एहतियात से इस अहद की तमाम शरायत पूरी करो ताकि तुम हर बात में कामयाब हो।


यह ख़ाली बातें नहीं बल्कि तुम्हारी ज़िंदगी का सरचश्मा हैं। इनके मुताबिक़ चलने के बाइस तुम देर तक उस मुल्क में जीते रहोगे जिस पर तुम दरियाए-यरदन को पार करके क़ब्ज़ा करनेवाले हो।”


रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है, “यही यरूशलम की हालत है! गो मैंने उसे दीगर अक़वाम के दरमियान रखकर दीगर ममालिक का मरकज़ बना दिया


ख़ाह मैं अपने अहकाम को इसराईलियों के लिए हज़ारों दफ़ा क्यों न क़लमबंद करता, तो भी फ़रक़ न पड़ता, वह समझते कि यह अहकाम अजनबी हैं, यह हम पर लागू नहीं होते।


रब की हिदायात बा-इनसाफ़ हैं, उनसे दिल बाग़ बाग़ हो जाता है। रब के अहकाम पाक हैं, उनसे आँखें चमक उठती हैं।


यह अमसाल सादालौह को होशियारी और नौजवान को इल्म और तमीज़ सिखाती हैं।


जो दाना है वह सुनकर अपने इल्म में इज़ाफ़ा करे, जो समझदार है वह राहनुमाई करने का फ़न सीख ले।


रास्ती से हर क़ौम सरफ़राज़ होती है जबकि गुनाह से उम्मतें रुसवा हो जाती हैं।


रब ने अपनी रास्ती की ख़ातिर अपनी शरीअत की अज़मत और जलाल को बढ़ाया है, क्योंकि यह उस की मरज़ी थी।


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