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استثنا 34:7 - किताबे-मुक़द्दस

7 अपनी वफ़ात के वक़्त मूसा 120 साल का था। आख़िर तक न उस की आँखें धुँधलाईं, न उस की ताक़त कम हुई।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

7 مَوشہ اَپنی وفات کے وقت ایک سَو بیس سال کے تھے، پھر بھی نہ تو اُن کی آنکھیں دھُندھلی ہُوئیں تھیں اَور نہ اُن کی قُوّت میں کویٔی کمی آئی تھی۔

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کِتابِ مُقادّس

7 اور مُوسیٰ اپنی وفات کے وقت ایک سَو بِیس برس کا تھا اور نہ تو اُس کی آنکھ دُھندلانے پائی اور نہ اُس کی طبعی قُوّت کم ہُوئی۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

7 اپنی وفات کے وقت موسیٰ 120 سال کا تھا۔ آخر تک نہ اُس کی آنکھیں دُھندلائیں، نہ اُس کی طاقت کم ہوئی۔

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استثنا 34:7
11 حوالہ جات  

“अब मैं 120 साल का हो चुका हूँ। मेरा चलना-फिरना मुश्किल हो गया है। और वैसे भी रब ने मुझे बताया है, ‘तू दरियाए-यरदन को पार नहीं करेगा।’


इसहाक़ बूढ़ा हो गया तो उस की नज़र धुँधला गई। उसने अपने बड़े बेटे को बुलाकर कहा, “बेटा।” एसौ ने जवाब दिया, “जी, मैं हाज़िर हूँ।”


और वह मोजिज़े और इलाही निशान दिखाकर उन्हें मिसर से निकाल लाया, फिर बहरे-क़ुलज़ुम से गुज़रकर 40 साल के दौरान रेगिस्तान में उनकी राहनुमाई की।


बूढ़ा होने के सबब से याक़ूब की आँखें कमज़ोर थीं। वह अच्छी तरह देख नहीं सकता था। यूसुफ़ अपने बेटों को याक़ूब के पास ले आया तो उसने उन्हें बोसा देकर गले लगाया


चालीस साल के बाद एक फ़रिश्ता जलती हुई काँटेदार झाड़ी के शोले में उस पर ज़ाहिर हुआ। उस वक़्त मूसा सीना पहाड़ के क़रीब रेगिस्तान में था।


जब वह चालीस साल का था तो उसे अपनी क़ौम इसराईल के लोगों से मिलने का ख़याल आया।


फ़िरौन से बात करते वक़्त मूसा 80 साल का और हारून 83 साल का था।


इसराईलियों ने मोआब के मैदानी इलाक़े में 30 दिन तक उसका मातम किया।


तू वक़्त पर जमाशुदा पूलों की तरह उम्ररसीदा होकर क़ब्र में उतरेगा।


उस वक़्त भी वह एलान करेंगे, “रब रास्त है। वह मेरी चट्टान है, और उसमें नारास्ती नहीं होती।”


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