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استثنا 28:65 - किताबे-मुक़द्दस

65 उन ममालिक में भी न तू आरामो-सुकून पाएगा, न तेरे पाँव जम जाएंगे। रब होने देगा कि तेरा दिल थरथराता रहेगा, तेरी आँखें परेशानी के बाइस धुँधला जाएँगी और तेरी जान से उम्मीद की हर किरण जाती रहेगी।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

65 اُن قوموں میں تُمہیں نہ تو راحت ملے گی اَور نہ ہی تمہارے پاؤں کو آرام کی جگہ نصیب ہوگی۔ وہاں یَاہوِہ کی طرف سے تُمہیں فِکرمند دِل، دھُندھلی آنکھیں اَور غمگین رُوح دی جائے گی۔

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کِتابِ مُقادّس

65 اُن قَوموں کے بِیچ تُجھ کو چَین نصِیب نہ ہو گا اور نہ تیرے پاؤں کے تلوے کو آرام مِلے گا بلکہ خُداوند تُجھ کو وہاں دِل لرزان اور آنکھوں کی دُھندلاہٹ اور جی کی کُڑھن دے گا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

65 اُن ممالک میں بھی نہ تُو آرام و سکون پائے گا، نہ تیرے پاؤں جم جائیں گے۔ رب ہونے دے گا کہ تیرا دل تھرتھراتا رہے گا، تیری آنکھیں پریشانی کے باعث دُھندلا جائیں گی اور تیری جان سے اُمید کی ہر کرن جاتی رہے گی۔

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استثنا 28:65
21 حوالہ جات  

तुममें से जो बचकर अपने दुश्मनों के ममालिक में रहेंगे उनके दिलों पर मैं दहशत तारी करूँगा। वह हवा के झोंकों से गिरनेवाले पत्ते की आवाज़ से चौंककर भाग जाएंगे। वह फ़रार होंगे गोया कोई हाथ में तलवार लिए उनका ताक़्क़ुब कर रहा हो। और वह गिरकर मर जाएंगे हालाँकि कोई उनका पीछा नहीं कर रहा होगा।


उनकी आँखें तारीक हो जाएँ ताकि वह देख न सकें, उनकी कमर हमेशा झुकी रहे।”


अगर उनके दुश्मन उन्हें भगाकर जिलावतन करें तो मैं तलवार को उन्हें क़त्ल करने का हुक्म दूँगा। मैं ध्यान से उनको तकता रहूँगा, लेकिन बरकत देने के लिए नहीं बल्कि नुक़सान पहुँचाने के लिए।”


तो मैं जवाब में तुम पर अचानक दहशत तारी कर दूँगा। जिस्म को ख़त्म करनेवाली बीमारियों और बुख़ार से तुम्हारी आँखें ज़ाया हो जाएँगी और तुम्हारी जान छिन जाएगी। जब तुम बीज बोओगे तो बेफ़ायदा, क्योंकि दुश्मन उस की फ़सल खा जाएगा।


लेकिन कबूतर को कहीं भी बैठने की जगह न मिली, क्योंकि अब तक पूरी ज़मीन पर पानी ही पानी था। वह कश्ती और नूह के पास वापस आ गया, और नूह ने अपना हाथ बढ़ाया और कबूतर को पकड़कर अपने पास कश्ती में रख लिया।


लोग इस अंदेशे से कि क्या क्या मुसीबत दुनिया पर आएगी इस क़दर ख़ौफ़ खाएँगे कि उनकी जान में जान न रहेगी, क्योंकि आसमान की क़ुव्वतें हिलाई जाएँगी।


लेकिन यह सिर्फ़ दर्दे-ज़ह की इब्तिदा ही होगी।


यह सब कुछ सुनकर मेरा जिस्म लरज़ उठा। इतना शोर था कि मेरे दाँत बजने लगे, मेरी हड्डियाँ सड़ने लगीं, मेरे घुटने काँप उठे। अब मैं उस दिन के इंतज़ार में रहूँगा जब आफ़त उस क़ौम पर आएगी जो हम पर हमला कर रही है।


उनके ज़हनों को कुंद कर, तेरी लानत उन पर आ पड़े!


मेरे ख़ादिम ख़ुशी के मारे शादियाना बजाएंगे, लेकिन तुम रंजीदा होकर रो पड़ोगे, तुम मायूस होकर वावैला करोगे।


मेरा ख़ुदा फ़रमाता है, “बेदीन सलामती नहीं पाएँगे।


ऐ यरूशलम, उठ! जाग उठ! ऐ शहर जिसने रब के हाथ से उसका ग़ज़ब भरा प्याला पी लिया है, खड़ी हो जा! अब तूने लड़खड़ा देनेवाले प्याले को आख़िरी क़तरे तक चाट लिया है।


तेरी जान हर वक़्त ख़तरे में होगी और तू दिन-रात दहशत खाते हुए मरने की तवक़्क़ो करेगा।


लेकिन बेदीनों की आँखें नाकाम हो जाएँगी, और वह बच नहीं सकेंगे। उनकी उम्मीद मायूसकुन होगी।”


पहले भी यहूदाह बेटी बड़ी मुसीबत में फँसी हुई थी, पहले भी उसे सख़्त मज़दूरी करनी पड़ी। लेकिन अब वह जिलावतन होकर दीगर अक़वाम के बीच में रहती है, अब उसे कहीं भी ऐसी जगह नहीं मिलती जहाँ सुकून से रह सके। क्योंकि जब वह बड़ी तकलीफ़ में मुब्तला थी तो दुश्मन ने उसका ताक़्क़ुब करके उसे घेर लिया।


इसी लिए हमारा दिल निढाल हो गया, हमारी नज़र धुँधला गई है।


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