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استثنا 26:2 - किताबे-मुक़द्दस

2 तो जो भी फ़सल तू काटेगा उसके पहले फल में से कुछ टोकरे में रखकर उस जगह ले जा जो रब तेरा ख़ुदा अपने नाम की सुकूनत के लिए चुनेगा।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

2 تَب جو مُلک یَاہوِہ تمہارے خُدا تُمہیں دے رہے ہیں، اُن کی زمین میں جو کچھ تُم اُگاؤ، تو اُن سَب کے کچھ پہلے پھل ٹوکری میں رکھ کر اُس جگہ لے جانا جو یَاہوِہ تمہارے خُدا اَپنے نام کے قِیام کے واسطے مُنتخب کریں گے۔

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کِتابِ مُقادّس

2 تب جو مُلک خُداوند تیرا خُدا تُجھ کو دیتا ہے اُس کی زمِین میں جو قِسم قِسم کی چِیزیں تُو لگائے اُن سب کے پہلے پَھل کو ایک ٹوکرے میں رکھ کر اُس جگہ لے جانا جِسے خُداوند تیرا خُدا اپنے نام کے مسکن کے لِئے چُنے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

2 تو جو بھی فصل تُو کاٹے گا اُس کے پہلے پھل میں سے کچھ ٹوکرے میں رکھ کر اُس جگہ لے جا جو رب تیرا خدا اپنے نام کی سکونت کے لئے چنے گا۔

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استثنا 26:2
33 حوالہ جات  

अपनी ज़मीन की पहली पैदावार का बेहतरीन हिस्सा रब अपने ख़ुदा के घर में लाना। भेड़ या बकरी के बच्चे को उस की माँ के दूध में न पकाना।


दूसरे, फ़सलकटाई की ईद उस वक़्त मनाना जब तू अपने खेत में बोई हुई पहली फ़सल काटेगा। तीसरे, जमा करने की ईद फ़सल की कटाई के इख़्तिताम पर मनाना है जब तूने अंगूर और बाक़ी बाग़ों के फल जमा किए होंगे।


इमामों को फ़सल के पहले फल का बेहतरीन हिस्सा और तुम्हारे तमाम हदिये मिलेंगे। उन्हें अपने गुंधे हुए आटे से भी हिस्सा देना है। तब अल्लाह की बरकत तेरे घराने पर ठहरेगी।


उसी ने अपनी मरज़ी से हमें सच्चाई के कलाम के वसीले से पैदा किया। यों हम एक तरह से उस की तमाम मख़लूक़ात का पहला फल हैं।


हर इतवार को आपमें से हर कोई अपने कमाए हुए पैसों में से कुछ इस चंदे के लिए मख़सूस करके अपने पास रख छोड़े। फिर मेरे आने पर हदियाजात जमा करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।


लेकिन मसीह वाक़ई मुरदों में से जी उठा है। वह इंतक़ाल किए हुओं की फ़सल का पहला फल है।


जब आप फ़सल के पहले आटे से रोटी बनाकर अल्लाह के लिए मख़सूसो-मुक़द्दस करते हैं तो बाक़ी सारा आटा भी मख़सूसो-मुक़द्दस है। और जब दरख़्त की जड़ें मुक़द्दस हैं तो उस की शाख़ें भी मुक़द्दस हैं।


न सिर्फ़ कायनात बल्कि हम ख़ुद भी अंदर ही अंदर कराहते हैं, गो हमें आनेवाले जलाल का पहला फल रूहुल-क़ुद्स की सूरत में मिल चुका है। हम कराहते कराहते शिद्दत से इस इंतज़ार में हैं कि यह बात ज़ाहिर हो जाए कि हम अल्लाह के फ़रज़ंद हैं और हमारे बदनों को नजात मिले।


रब के लिए मख़सूस यह इलाक़ा पूरे मुल्क का बेहतरीन हिस्सा है। उसका कोई भी प्लाट किसी दूसरे के हाथ में देने की इजाज़त नहीं। उसे न बेचा जाए, न किसी दूसरे को किसी प्लाट के एवज़ में दिया जाए। क्योंकि यह इलाक़ा रब के लिए मख़सूसो-मुक़द्दस है।


क्योंकि रब फ़रमाता है कि आइंदा पूरी इसराईली क़ौम मेरे मुक़द्दस पहाड़ यानी इसराईल के बुलंद पहाड़ सिय्यून पर मेरी ख़िदमत करेगी। वहाँ मैं ख़ुशी से उन्हें क़बूल करूँगा, और वहाँ मैं तुम्हारी क़ुरबानियाँ, तुम्हारे पहले फल और तुम्हारे तमाम मुक़द्दस हदिये तलब करूँगा।


फ़सल की कटाई की ईद मनाना। रब अपने ख़ुदा को उतना पेश कर जितना जी चाहे। वह उस बरकत के मुताबिक़ हो जो उसने तुझे दी है।


अपनी ज़मीन की पहली पैदावार में से बेहतरीन हिस्सा रब अपने ख़ुदा के घर में ले आना। बकरी या भेड़ के बच्चे को उस की माँ के दूध में न पकाना।”


यह वह मर्द हैं जिन्होंने अपने आपको ख़वातीन के साथ आलूदा नहीं किया, क्योंकि वह कुँवारे हैं। जहाँ भी लेला जाता है वहाँ वह भी जाते हैं। उन्हें बाक़ी इनसानों में से फ़सल के पहले फल की हैसियत से अल्लाह और लेले के लिए ख़रीदा गया है।


उनके घर में जमा होनेवाली जमात को भी मेरा सलाम देना। मेरे अज़ीज़ दोस्त इपिनेतुस को मेरा सलाम देना। वह सूबा आसिया में मसीह का पहला पैरोकार यानी उस इलाक़े की फ़सल का पहला फल था।


उस वक़्त इसराईल रब के लिए मख़सूसो-मुक़द्दस था, वह उस की फ़सल का पहला फल था। जिसने भी उसमें से कुछ खाया वह मुजरिम ठहरा, और उस पर आफ़त नाज़िल हुई। यह रब का फ़रमान है’।”


नीज़, मैंने ध्यान दिया कि फ़सल की पहली पैदावार और क़ुरबानियों को जलाने की लकड़ी वक़्त पर रब के घर में पहुँचाई जाए। ऐ मेरे ख़ुदा, मुझे याद करके मुझ पर मेहरबानी कर!।


उस वक़्त कुछ आदमियों को उन गोदामों के निगरान बनाया गया जिनमें हदिये, फ़सलों का पहला फल और पैदावार का दसवाँ हिस्सा महफ़ूज़ रखा जाता था। उनमें शहरों की फ़सलों का वह हिस्सा जमा करना था जो शरीअत ने इमामों और लावियों के लिए मुक़र्रर किया था। क्योंकि यहूदाह के बाशिंदे ख़िदमत करनेवाले इमामों और लावियों से ख़ुश थे


बादशाह का यह एलान सुनते ही इसराईली फ़राख़दिली से ग़ल्ला, अंगूर के रस, ज़ैतून के तेल, शहद और खेतों की बाक़ी पैदावार का पहला फल रब के घर में लाए। बहुत कुछ इकट्ठा हुआ, क्योंकि लोगों ने अपनी पैदावार का पूरा दसवाँ हिस्सा वहाँ पहुँचाया।


लेकिन अब मैंने यरूशलम को अपने नाम की सुकूनतगाह और दाऊद को अपनी क़ौम इसराईल का बादशाह बनाया है।’


एक और मौक़े पर किसी आदमी ने बाल-सलीसा से आकर मर्दे-ख़ुदा को नई फ़सल के जौ की 20 रोटियाँ और कुछ अनाज दे दिया। इलीशा ने जैहाज़ी को हुक्म दिया, “इसे लोगों को खिला दो।”


कनान पर ग़ालिब आने के बाद इसराईल की पूरी जमात सैला शहर में जमा हुई। वहाँ उन्होंने मुलाक़ात का ख़ैमा खड़ा किया।


अपनी फ़सलों का पहला फल भी उन्हें देना यानी अनाज, मै, ज़ैतून का तेल और भेड़ों की पहली कतरी हुई ऊन।


अगर तू ग़ल्ला की नज़र के लिए फ़सल के पहले फल पेश करना चाहे तो कुचली हुई कच्ची बालियाँ भूनकर पेश करना।


यह चीज़ें फ़सल के पहले फलों के साथ रब को पेश की जा सकती हैं, लेकिन उन्हें क़ुरबानगाह पर न जलाया जाए, क्योंकि वहाँ रब को उनकी ख़ुशबू पसंद नहीं है।


मुझे वक़्त पर अपने खेत और कोल्हुओं की पैदावार में से नज़राने पेश करना। अपने पहलौठे मुझे देना।


लेकिन जी उठने की एक तरतीब है। मसीह तो फ़सल के पहले फल की हैसियत से जी उठ चुका है जबकि उसके लोग उस वक़्त जी उठेंगे जब वह वापस आएगा।


मेरे लिए मिट्टी की क़ुरबानगाह बनाकर उस पर अपनी भेड़-बकरियों और गाय-बैलों की भस्म होनेवाली और सलामती की क़ुरबानियाँ चढ़ाना। मैं तुझे वह जगहें दिखाऊँगा जहाँ मेरे नाम की ताज़ीम में क़ुरबानियाँ पेश करनी हैं। ऐसी तमाम जगहों पर मैं तेरे पास आकर तुझे बरकत दूँगा।


जब तू उस मुल्क में दाख़िल होगा जो रब तेरा ख़ुदा तुझे मीरास में दे रहा है और तू उस पर क़ब्ज़ा करके उसमें आबाद हो जाएगा


वहाँ ख़िदमत करनेवाले इमाम से कह, “आज मैं रब अपने ख़ुदा के हुज़ूर एलान करता हूँ कि उस मुल्क में पहुँच गया हूँ जिसका हमें देने का वादा रब ने क़सम खाकर हमारे बापदादा से किया था।”


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