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استثنا 19:13 - किताबे-मुक़द्दस

13 उस पर रहम मत करना। लाज़िम है कि तू इसराईल में से बेक़ुसूर की मौत का दाग़ मिटाए ताकि तू ख़ुशहाल रहे।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

13 اُس پر رحم مت کھانا۔ بَلکہ تُم اِسرائیل سے بےگُناہ شخص کا خُون بہانے کے جُرم کو ختم کردینا تاکہ تمہاری خیر ہو۔

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کِتابِ مُقادّس

13 تُجھ کو اُس پر ذرا ترس نہ آئے بلکہ تُو اِس طرح بے گُناہ کے خُون کو اِسرائیلؔ سے دفع کرنا تاکہ تیرا بھلا ہو۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

13 اُس پر رحم مت کرنا۔ لازم ہے کہ تُو اسرائیل میں سے بےقصور کی موت کا داغ مٹائے تاکہ تُو خوش حال رہے۔

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استثنا 19:13
17 حوالہ جات  

तब बादशाह ने हुक्म दिया, “चलो, उस की मरज़ी! उसे वहीं मारकर दफ़न कर दो ताकि मैं और मेरे बाप का घराना उन क़त्लों के जवाबदेह न ठहरें जो उसने बिलावजह किए हैं।


यों तू ऐसे बेक़ुसूर शख़्स के क़त्ल का दाग़ अपने दरमियान से मिटा देगा। क्योंकि तूने वही कुछ किया होगा जो रब की नज़र में दुरुस्त है।


जो भी क़ौमें रब तेरा ख़ुदा तेरे हाथ में कर देगा उन्हें तबाह करना लाज़िम है। उन पर रहम की निगाह से न देखना, न उनके देवताओं की ख़िदमत करना, वरना तू फँस जाएगा।


तो भी रब तेरा ख़ुदा उन्हें तेरे हवाले करेगा। जब तू उन्हें शिकस्त देगा तो उन सबको उसके लिए मख़सूस करके हलाक कर देना है। न उनके साथ अहद बाँधना और न उन पर रहम करना।


दाऊद की हुकूमत के दौरान काल पड़ गया जो तीन साल तक जारी रहा। जब दाऊद ने इसकी वजह दरियाफ़्त की तो रब ने जवाब दिया, “काल इसलिए ख़त्म नहीं हो रहा कि साऊल ने जिबऊनियों को क़त्ल किया था।”


न किसी को इतना तरस आया, न किसी ने तुझ पर इतना रहम किया कि इन कामों में से एक भी करता। इसके बजाए तुझे खुले मैदान में फेंककर छोड़ दिया गया। क्योंकि जब तू पैदा हुई तो सब तुझे हक़ीर जानते थे।


तो लाज़िम है कि तू औरत का हाथ काट डाले। उस पर रहम न करना।


किसी सूरत में अपनी रज़ामंदी का इज़हार न कर, न उस की सुन। उस पर रहम न कर। न उसे बचाए रख, न उसे पनाह दे


जिसने किसी जानवर को मार डाला है वह उसका मुआवज़ा दे, लेकिन जिसने किसी इनसान को मार दिया है उसे सज़ाए-मौत देनी है।


जिसने किसी को मार डाला है उसे सज़ाए-मौत दी जाए।


जो भी किसी का ख़ून बहाए उसका ख़ून भी बहाया जाएगा। क्योंकि अल्लाह ने इनसान को अपनी सूरत पर बनाया है।


तो उसके शहर के बुज़ुर्ग इत्तला दें कि उसे वापस लाया जाए। उसे इंतक़ाम लेनेवाले के हवाले किया जाए ताकि उसे सज़ाए-मौत मिले।


क़ुसूरवार पर रहम न करना। उसूल यह हो कि जान के बदले जान, आँख के बदले आँख, दाँत के बदले दाँत, हाथ के बदले हाथ, पाँव के बदले पाँव।


उस वक़्त से पूरा कुंबा मेरे ख़िलाफ़ उठ खड़ा हुआ है। वह तक़ाज़ा करते हैं कि मैं अपने बेटे को उनके हवाले करूँ। वह कहते हैं, ‘उसने अपने भाई को मार दिया है, इसलिए हम बदले में उसे सज़ाए-मौत देंगे। इस तरह वारिस भी नहीं रहेगा।’ यों वह मेरी उम्मीद की आख़िरी किरण को ख़त्म करना चाहते हैं। क्योंकि अगर मेरा यह बेटा भी मर जाए तो मेरे शौहर का नाम क़ायम नहीं रहेगा, और उसका ख़ानदान रूए-ज़मीन पर से मिट जाएगा।”


क़ातिल को ज़रूर सज़ाए-मौत देना। ख़ाह वह इससे बचने के लिए कोई भी मुआवज़ा दे उसे आज़ाद न छोड़ना बल्कि सज़ाए-मौत देना।


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