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استثنا 17:9 - किताबे-मुक़द्दस

9 लावी के क़बीले के इमामों और मक़दिस में ख़िदमत करनेवाले क़ाज़ी को अपना मुक़दमा पेश कर, और वह फ़ैसला करें।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

9 وہاں تُم لیوی کاہِنوں اَور اُن دِنوں کے قاضی کے پاس جانا جو اُس دَوران اَپنے دفتر میں کام کرتے ہوں گے۔ اُن سے دریافت کرنا اَور وہ تُمہیں فیصلہ سُنائیں گے۔

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کِتابِ مُقادّس

9 اور لاویؔ کاہِنوں اور اُن دِنوں کے قاضِیوں کے پاس پُہنچ کر اُن سے دریافت کرنا اور وہ تُجھ کو فَیصلہ کی بات بتائیں گے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

9 لاوی کے قبیلے کے اماموں اور مقدِس میں خدمت کرنے والے قاضی کو اپنا مقدمہ پیش کر، اور وہ فیصلہ کریں۔

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استثنا 17:9
15 حوالہ جات  

अगर तनाज़ा हो तो इमाम मेरे अहकाम के मुताबिक़ ही उस पर फ़ैसला करें। उनका फ़र्ज़ है कि वह मेरी मुक़र्ररा ईदों को मेरी हिदायात और क़वायद के मुताबिक़ ही मनाएँ। वह मेरा सबत का दिन मख़सूसो-मुक़द्दस रखें।


इमामों का फ़र्ज़ है कि वह सहीह तालीम महफ़ूज़ रखें, और लोगों को उनसे हिदायत हासिल करनी चाहिए। क्योंकि इमाम रब्बुल-अफ़वाज का पैग़ंबर है।


“रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, ‘इमामों से सवाल कर कि शरीअत ज़ैल के मामले के बारे में क्या फ़रमाती है,


यह सुनकर लोग आपस में कहने लगे, “आओ, हम यरमियाह के ख़िलाफ़ मनसूबे बाँधें, क्योंकि उस की बातें सहीह नहीं हैं। न इमाम शरीअत की हिदायत से, न दानिशमंद अच्छे मशवरों से, और न नबी अल्लाह के कलाम से महरूम हो जाएगा। आओ, हम ज़बानी उस पर हमला करें और उस की बातों पर ध्यान न दें, ख़ाह वह कुछ भी क्यों न कहे।”


लेकिन अगर चोर पकड़ा न जाए तो लाज़िम है कि उस घर का मालिक जिसके सुपुर्द यह चीज़ें की गई थीं अल्लाह के हुज़ूर खड़ा हो ताकि मालूम किया जाए कि उसने ख़ुद यह माल चोरी किया है या नहीं।


जो फ़ैसला वह उस मक़दिस में करेंगे जो रब चुनेगा उसे मानना पड़ेगा। जो भी हिदायत वह दें उस पर एहतियात से अमल कर।


फिर लावी के क़बीले के इमाम क़रीब आएँ। क्योंकि रब तुम्हारे ख़ुदा ने उन्हें चुन लिया है ताकि वह ख़िदमत करें, रब के नाम से बरकत दें और तमाम झगड़ों और हमलों का फ़ैसला करें।


“रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, ‘मेरी राहों पर चलकर मेरे अहकाम पर अमल कर तो तू मेरे घर की राहनुमाई और उस की बारगाहों की देख-भाल करेगा। फिर मैं तेरे लिए यहाँ आने और हाज़िरीन में खड़े होने का रास्ता क़ायम रखूँगा।


जब कभी कोई तनाज़ा या झगड़ा होता है तो दोनों पार्टियाँ मेरे पास आती हैं। मैं फ़ैसला करके उन्हें अल्लाह के अहकाम और हिदायात बताता हूँ।”


अपने अपने क़बायली इलाक़े में क़ाज़ी और निगहबान मुक़र्रर कर। वह हर उस शहर में हों जो रब तेरा ख़ुदा तुझे देगा। वह इनसाफ़ से लोगों की अदालत करें।


अगर लोग अपना एक दूसरे के साथ झगड़ा ख़ुद निपटा न सकें तो वह अपना मामला अदालत में पेश करें। क़ाज़ी फ़ैसला करे कि कौन बेक़ुसूर है और कौन मुजरिम।


वह याक़ूब को तेरी हिदायात और इसराईल को तेरी शरीअत सिखाकर तेरे सामने बख़ूर और तेरी क़ुरबानगाह पर भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ चढ़ाता है।


इज़हार के ख़ानदान के अफ़राद यानी कननियाह और उसके बेटों को रब के घर से बाहर की ज़िम्मादारियाँ दी गईं। उन्हें निगरानों और क़ाज़ियों की हैसियत से इसराईल पर मुक़र्रर किया गया।


साथ साथ उन्हें रब्बुल-अफ़वाज के घर के इमामों को यह सवाल पेश करना था, “अब हम कई साल से पाँचवें महीने में रोज़ा रखकर रब के घर की तबाही पर मातम करते आए हैं। क्या लाज़िम है कि हम यह दस्तूर आइंदा भी जारी रखें?”


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