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استثنا 15:7 - किताबे-मुक़द्दस

7 जब तू उस मुल्क में आबाद होगा जो रब तेरा ख़ुदा तुझे देनेवाला है तो अपने दरमियान रहनेवाले ग़रीब भाई से सख़्त सुलूक न करना, न कंजूस होना।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

7 جو مُلک یَاہوِہ تمہارے خُدا تُمہیں دے رہے ہیں، اَور اگر اُس مُلک کے کسی شہر میں تمہارے اِسرائیلی بھائیوں میں کُچھ غریب ہُوں، تو اُن غریب بھائیوں کی طرف نہ تو اَپنا دِل سخت کرنا اَور نہ اَپنی مُٹّھی بند رکھنا۔

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کِتابِ مُقادّس

7 جو مُلک خُداوند تیرا خُدا تُجھ کو دیتا ہے اگر اُس میں کہِیں تیرے پھاٹکوں کے اندر تیرے بھائِیوں میں سے کوئی مُفلِس ہو تو تُو اپنے اُس مُفلِس بھائی کی طرف سے نہ اپنا دِل سخت کرنا اور نہ اپنی مُٹّھی بند کر لینا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

7 جب تُو اُس ملک میں آباد ہو گا جو رب تیرا خدا تجھے دینے والا ہے تو اپنے درمیان رہنے والے غریب بھائی سے سخت سلوک نہ کرنا، نہ کنجوس ہونا۔

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استثنا 15:7
15 حوالہ جات  

ख़बरदार, ऐसा मत सोच कि क़र्ज़ मुआफ़ करने का साल क़रीब है, इसलिए मैं उसे कुछ नहीं दूँगा। अगर तू ऐसी शरीर बात अपने दिल में सोचते हुए ज़रूरतमंद भाई को क़र्ज़ देने से इनकार करे और वह रब के सामने तेरी शिकायत करे तो तू क़ुसूरवार ठहरेगा।


जो कान में उँगली डालकर ग़रीब की मदद के लिए चीख़ें नहीं सुनता वह भी एक दिन चीख़ें मारेगा, और उस की भी सुनी नहीं जाएगी।


लेकिन वह इसके लिए तैयार न हुआ, बल्कि जाकर उसे उस वक़्त तक जेल में डलवाया जब तक वह पूरी रक़म अदा न कर दे।


जो तुझसे कुछ माँगे उसे दे देना और जो तुझसे क़र्ज़ लेना चाहे उससे इनकार न करना।


अगर तूने मेरी क़ौम के किसी ग़रीब को क़र्ज़ दिया है तो उससे सूद न लेना।


अगर तेरा कोई हमवतन भाई ग़रीब हो जाए और गुज़ारा न कर सके तो उस की मदद कर। उस तरह उस की मदद करना जिस तरह परदेसी या ग़ैरशहरी की मदद करनी होती है ताकि वह तेरे साथ रहते हुए ज़िंदगी गुज़ार सके।


मुल्क में हमेशा ग़रीब और ज़रूरतमंद लोग पाए जाएंगे, इसलिए मैं तुझे हुक्म देता हूँ कि खुले दिल से अपने ग़रीब और ज़रूरतमंद भाइयों की मदद कर।


ज़रूरतमंद मज़दूर से ग़लत फ़ायदा न उठाना, चाहे वह इसराईली हो या परदेसी।


कुछ देर बाद कुछ मर्दो-ख़वातीन मेरे पास आकर अपने यहूदी भाइयों की शिकायत करने लगे।


जो ग़रीब पर मेहरबानी करे वह रब को उधार देता है, वही उसे अज्र देगा।


भूके को अपनी रोटी दे और मज़लूमों की ज़रूरियात पूरी कर! फिर तेरी रौशनी अंधेरे में चमक उठेगी और तेरी रात दोपहर की तरह रौशन होगी।


यही वजह है कि देहात और खुले शहरों में रहनेवाले यहूदी आज तक 12वें महीने के 14वें दिन जशन मनाते हुए एक दूसरे की ज़ियाफ़त करते और एक दूसरे को तोह्फ़े देते हैं।


ख़ुशी मनाते हुए एक दूसरे की ज़ियाफ़त करना, एक दूसरे को तोह्फ़े देना और ग़रीबों में ख़ैरात तक़सीम करना, क्योंकि इन दिनों के दौरान आपको अपने दुश्मनों से सुकून हासिल हुआ है, आपका दुख सुख में और आपका मातम शादमानी में बदल गया।”


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