लेकिन वह जानवर इसमें शामिल नहीं हैं जो तू क़ुरबानी के तौर पर पेश नहीं करना चाहता बल्कि सिर्फ़ खाना चाहता है। ऐसे जानवर तू आज़ादी से अपने तमाम शहरों में ज़बह करके उस बरकत के मुताबिक़ खा सकता है जो रब तेरे ख़ुदा ने तुझे दी है। ऐसा गोश्त हिरन और ग़ज़ाल के गोश्त की मानिंद है यानी पाक और नापाक दोनों ही उसे खा सकते हैं।
