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استثنا 1:17 - किताबे-मुक़द्दस

17 अदालत करते वक़्त जानिबदारी न करना। छोटे और बड़े की बात सुनकर दोनों के साथ एक जैसा सुलूक करना। किसी से मत डरना, क्योंकि अल्लाह ही ने तुम्हें अदालत करने की ज़िम्मादारी दी है। अगर किसी मामले में फ़ैसला करना तुम्हारे लिए मुश्किल हो तो उसे मुझे पेश करो। फिर मैं ही उसका फ़ैसला करूँगा।”

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

17 فیصلہ کرتے وقت کسی کی طرفداری نہ کرنا بَلکہ بڑے اَور چُھوٹوں دونوں کی باتیں برابر سُننا اَور کسی آدمی سے مت ڈرنا کیونکہ اِنصاف خُدا کا ہے۔ اَورجو مُقدّمہ تمہارے لیٔے مُشکل ہو اُسے میرے پاس لے آنا اَور مَیں اُسے سُنوں گا۔“

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کِتابِ مُقادّس

17 تُمہارے فَیصلہ میں کِسی کی رُو رِعایت نہ ہو۔ جَیسے بڑے آدمی کی بات سُنو گے وَیسے ہی چھوٹے کی سُننا اور کِسی آدمی کا مُنہ دیکھ کر ڈر نہ جانا کیونکہ یہ عدالت خُدا کی ہے اور جو مُقدّمہ تُمہارے لِئے مُشکِل ہو اُسے میرے پاس لے آنا۔ مَیں اُسے سُنوں گا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

17 عدالت کرتے وقت جانب داری نہ کرنا۔ چھوٹے اور بڑے کی بات سن کر دونوں کے ساتھ ایک جیسا سلوک کرنا۔ کسی سے مت ڈرنا، کیونکہ اللہ ہی نے تمہیں عدالت کرنے کی ذمہ داری دی ہے۔ اگر کسی معاملے میں فیصلہ کرنا تمہارے لئے مشکل ہو تو اُسے مجھے پیش کرو۔ پھر مَیں ہی اُس کا فیصلہ کروں گا۔“

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استثنا 1:17
48 حوالہ جات  

न किसी के हुक़ूक़ मारना, न जानिबदारी दिखाना। रिश्वत क़बूल न करना, क्योंकि रिश्वत दानिशमंदों को अंधा कर देती और रास्तबाज़ की बातें पलट देती है।


चुनाँचे जब आप जानिबदारी दिखाते हैं तो गुनाह करते हैं और शरीअत आपको मुजरिम ठहराती है।


यह मर्द क़ाज़ी बनकर मुस्तक़िल तौर पर लोगों का इनसाफ़ करने लगे। आसान मसलों का फ़ैसला वह ख़ुद करते और मुश्किल मामलों को मूसा के पास ले आते थे।


ज़ैल में दानिशमंदों की मज़ीद कहावतें क़लमबंद हैं। अदालत में जानिबदारी दिखाना बुरी बात है।


उन्हें समझाते हुए उसने कहा, “अपनी रविश पर ध्यान दें! याद रहे कि आप इनसान के जवाबदेह नहीं हैं बल्कि रब के। वही आपके साथ होगा जब आप फ़ैसले करेंगे।


अदालत में किसी की हक़तलफ़ी न करना। फ़ैसला करते वक़्त किसी की भी जानिबदारी न करना, चाहे वह ग़रीब या असरो-रसूख़वाला हो। इनसाफ़ से अपने पड़ोसी की अदालत कर।


उन आदमियों की ज़िम्मादारी यह होगी कि वह हर वक़्त लोगों का इनसाफ़ करें। अगर कोई बहुत ही पेचीदा मामला हो तो वह फ़ैसले के लिए आपके पास आएँ, लेकिन दीगर मामलों का फ़ैसला वह ख़ुद करें। यों वह काम में आपका हाथ बटाएँगे और आपका बोझ हलका हो जाएगा।


और याद रखें कि आसमानी बाप जिससे आप दुआ करते हैं जानिबदारी नहीं करता बल्कि आपके अमल के मुताबिक़ आपका फ़ैसला करेगा। चुनाँचे जब तक आप इस दुनिया के मेहमान रहेंगे ख़ुदा के ख़ौफ़ में ज़िंदगी गुज़ारें।


नहीं, अल्लाह ने ख़ुद हमें जाँचकर इस लायक़ समझा कि हम उस की ख़ुशख़बरी सुनाने की ज़िम्मादारी सँभालें। इसी बिना पर हम बोलते हैं, इनसानों को ख़ुश रखने के लिए नहीं बल्कि अल्लाह को जो हमारे दिलों को परखता है।


जो इनसान से ख़ौफ़ खाए वह फंदे में फँस जाएगा, लेकिन जो रब का ख़ौफ़ माने वह महफ़ूज़ रहेगा।


बेशक हम सबको किसी वक़्त मरना है। हम सब ज़मीन पर उंडेले गए पानी की मानिंद हैं जिसे ज़मीन जज़ब कर लेती है और जो दुबारा जमा नहीं किया जा सकता। लेकिन अल्लाह हमारी ज़िंदगी को बिलावजह मिटा नहीं देता बल्कि ऐसे मनसूबे तैयार रखता है जिनके ज़रीए मरदूद शख़्स भी उसके पास वापस आ सके और उससे दूर न रहे।


लेकिन रब ने फ़रमाया, “इसकी शक्लो-सूरत और लंबे क़द से मुतअस्सिर न हो, क्योंकि यह मुझे नामंज़ूर है। मैं इनसान की नज़र से नहीं देखता। क्योंकि इनसान ज़ाहिरी सूरत पर ग़ौर करके फ़ैसला करता है जबकि रब को हर एक का दिल साफ़ साफ़ नज़र आता है।”


क्योंकि रब तुम्हारा ख़ुदा ख़ुदाओं का ख़ुदा और रब्बों का रब है। वह अज़ीम और ज़ोरावर ख़ुदा है जिससे सब ख़ौफ़ खाते हैं। वह जानिबदारी नहीं करता और रिश्वत नहीं लेता।


लेकिन जो ग़लत काम करे उसे अपनी ग़लतियों का मुआवज़ा भी मिलेगा। अल्लाह तो किसी की भी जानिबदारी नहीं करता।


और मालिको, आप भी अपने ग़ुलामों से ऐसा ही सुलूक करें। उन्हें धमकियाँ न दें। आपको तो मालूम है कि आसमान पर आपका भी मालिक है और कि वह जानिबदार नहीं होता।


क्योंकि अल्लाह किसी का भी तरफ़दार नहीं।


इन जासूसों ने उससे पूछा, “उस्ताद, हम जानते हैं कि आप वही कुछ बयान करते और सिखाते हैं जो सहीह है। आप जानिबदार नहीं होते बल्कि दियानतदारी से अल्लाह की राह की तालीम देते हैं।


वह उसके पास आकर कहने लगे, “उस्ताद, हम जानते हैं कि आप सच्चे हैं और किसी की परवा नहीं करते। आप जानिबदार नहीं होते बल्कि दियानतदारी से अल्लाह की राह की तालीम देते हैं। अब हमें बताएँ कि क्या रोमी शहनशाह को टैक्स देना जायज़ है या नाजायज़? क्या हम अदा करें या न करें?”


इस मक़सद के तहत उन्होंने अपने शागिर्दों को हेरोदेस के पैरोकारों समेत ईसा के पास भेजा। उन्होंने कहा, “उस्ताद, हम जानते हैं कि आप सच्चे हैं और दियानतदारी से अल्लाह की राह की तालीम देते हैं। आप किसी की परवा नहीं करते क्योंकि आप ग़ैरजानिबदार हैं।


चुनाँचे कमरबस्ता हो जा! उठकर उन्हें सब कुछ सुना दे जो मैं फ़रमाऊँगा। उनसे दहशत मत खाना, वरना मैं तुझे उनके सामने ही दहशतज़दा कर दूँगा।


इसलिए कि हुजूम से डरता और अपने रिश्तेदारों से दहशत खाता था? हरगिज़ नहीं! मैंने कभी भी ऐसा काम न किया जिसके बाइस मुझे डर के मारे चुप रहना पड़ता और घर से निकल नहीं सकता था।


परदेसियों और यतीमों के हुक़ूक़ क़ायम रखना। उधार देते वक़्त ज़मानत के तौर पर बेवा की चादर न लेना।


काम इतना वसी है कि आप उसे अकेले नहीं सँभाल सकते। इससे आप और वह लोग जो आपके पास आते हैं बुरी तरह थक जाते हैं।


यह कैसे हो सकता है कि तू बेक़ुसूरों को शरीरों के साथ हलाक कर दे? यह तो नामुमकिन है कि तू नेक और शरीर लोगों से एक जैसा सुलूक करे। क्या लाज़िम नहीं कि पूरी दुनिया का मुंसिफ़ इनसाफ़ करे?”


अगर लोग अपना एक दूसरे के साथ झगड़ा ख़ुद निपटा न सकें तो वह अपना मामला अदालत में पेश करें। क़ाज़ी फ़ैसला करे कि कौन बेक़ुसूर है और कौन मुजरिम।


देखें, अगर इनसान किसी दूसरे इनसान का गुनाह करे तो हो सकता है अल्लाह दोनों का दरमियानी बनकर क़ुसूरवार शख़्स पर रहम करे। लेकिन अगर कोई रब का गुनाह करे तो फिर कौन उसका दरमियानी बनकर उसे बचाएगा?” लेकिन एली के बेटों ने बाप की न सुनी, क्योंकि रब की मरज़ी थी कि उन्हें सज़ाए-मौत मिल जाए।


उसने यहूदाह के तमाम क़िलाबंद शहरों में क़ाज़ी भी मुक़र्रर किए।


“तुम कब तक अदालत में ग़लत फ़ैसले करके बेदीनों की जानिबदारी करोगे? (सिलाह)


बेदीन की जानिबदारी करके रास्तबाज़ का हक़ मारना ग़लत है।


इसलिए मैंने तुम्हें तमाम क़ौम के सामने ज़लील कर दिया है, सब तुम्हें हक़ीर जानते हैं। क्योंकि तुम मेरी राहों पर नहीं रहते बल्कि तालीम देते वक़्त जानिबदारी दिखाते हो।”


जानिबदारी बुरी बात है, लेकिन इनसान रोटी का टुकड़ा हासिल करने के लिए मुजरिम बन जाता है।


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