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دانی ایل 9:21 - किताबे-मुक़द्दस

21 मैं दुआ कर ही रहा था कि जिबराईल जिसे मैंने दूसरी रोया में देखा था मेरे पास आ पहुँचा। रब के घर में शाम की क़ुरबानी पेश करने का वक़्त था। मैं बहुत ही थक गया था।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

21 اَور ابھی میں دعا کر ہی رہاتھا کہ وہ شخص گیبریلؔ جسے میں اُس سے پہلے کی رُویا میں دیکھ چُکاتھا تیز پرواز کرکے شام کی قُربانی کے وقت میرے پاس آیا۔

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کِتابِ مُقادّس

21 ہاں مَیں دُعا میں یہ کہہ ہی رہا تھا کہ وُہی شخص جبرائیل جِسے مَیں نے شرُوع میں رویا میں دیکھا تھا حُکم کے مُطابِق تیز پروازی کرتا ہُؤا آیا اور شام کی قُربانی گُذراننے کے وقت کے قرِیب مُجھے چُھؤا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

21 مَیں دعا کر ہی رہا تھا کہ جبرائیل جسے مَیں نے دوسری رویا میں دیکھا تھا میرے پاس آ پہنچا۔ رب کے گھر میں شام کی قربانی پیش کرنے کا وقت تھا۔ مَیں بہت ہی تھک گیا تھا۔

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دانی ایل 9:21
27 حوالہ جات  

फ़रिश्ते ने जवाब दिया, “मैं जिबराईल हूँ जो अल्लाह के हुज़ूर खड़ा रहता हूँ। मुझे इसी मक़सद के लिए भेजा गया है कि तुझे यह ख़ुशख़बरी सुनाऊँ।


साथ साथ मैंने नहर ऊलाई की तरफ़ से किसी शख़्स की आवाज़ सुनी जिसने कहा, “ऐ जिबराईल, इस आदमी को रोया का मतलब बता दे।”


फिर जो आदमी-सा लग रहा था उसने मेरे होंटों को छू दिया, और मैं मुँह खोलकर बोलने लगा। मैंने अपने सामने खड़े फ़रिश्ते से कहा, “ऐ मेरे आक़ा, यह रोया देखकर मैं दर्दे-ज़ह में मुब्तला औरत की तरह पेचो-ताब खाने लगा हूँ। मेरी ताक़त जाती रही है।


शाम के वक़्त जब ग़ल्ला की नज़र पेश की जाती है इलियास ने क़ुरबानगाह के पास जाकर बुलंद आवाज़ से दुआ की, “ऐ रब, ऐ इब्राहीम, इसहाक़ और इसराईल के ख़ुदा, आज लोगों पर ज़ाहिर कर कि इसराईल में तू ही ख़ुदा है और कि मैं तेरा ख़ादिम हूँ। साबित कर कि मैंने यह सब कुछ तेरे हुक्म के मुताबिक़ किया है।


फिर फ़रिश्ते क्या हैं? वह तो सब ख़िदमतगुज़ार रूहें हैं जिन्हें अल्लाह उनकी ख़िदमत करने के लिए भेज देता है जिन्हें मीरास में नजात पानी है।


एक दिन उसने तीन बजे दोपहर के वक़्त रोया देखी। उसमें उसने साफ़ तौर पर अल्लाह का एक फ़रिश्ता देखा जो उसके पास आया और कहा, “कुरनेलियुस!”


जो आदमी-सा लग रहा था उसने मुझे एक बार फिर छूकर तक़वियत दी


जब वह मुझसे बात कर रहा था तो मैं मदहोश हालत में मुँह के बल पड़ा रहा। अब फ़रिश्ते ने मुझे छूकर पाँवों पर खड़ा किया।


सराफ़ीम फ़रिश्ते उसके ऊपर खड़े थे। हर एक के छः पर थे। दो से वह अपने मुँह को और दो से अपने पाँवों को ढाँप लेते थे जबकि दो से वह उड़ते थे।


ऐ रब के फ़रिश्तो, उसके ताक़तवर सूरमाओ, जो उसके फ़रमान पूरे करते हो ताकि उसका कलाम माना जाए, रब की सताइश करो!


एक को सुबह के वक़्त, दूसरे को सूरज के ग़ुरूब होने के ऐन बाद।


फ़रिश्तों के बारे में वह फ़रमाता है, “वह अपने फ़रिश्तों को हवाएँ और अपने ख़ादिमों को आग के शोले बना देता है।”


अचानक एक तेज़ रौशनी कोठड़ी में चमक उठी और रब का एक फ़रिश्ता पतरस के सामने आ खड़ा हुआ। उसने उसके पहलू को झटका देकर उसे जगा दिया और कहा, “जल्दी करो! उठो!” तब पतरस की कलाइयों पर की ज़ंजीरें गिर गईं।


अगले दिन पतरस दोपहर तक़रीबन बारह बजे दुआ करने के लिए छत पर चढ़ गया। उस वक़्त कुरनेलियुस के भेजे हुए आदमी याफ़ा शहर के क़रीब पहुँच गए थे।


एक दोपहर पतरस और यूहन्ना दुआ करने के लिए बैतुल-मुक़द्दस की तरफ़ चल पड़े। तीन बज गए थे।


फिर तीन बजे ईसा ऊँची आवाज़ से पुकार उठा, “एली, एली, लमा शबक़्तनी” जिसका मतलब है, “ऐ मेरे ख़ुदा, ऐ मेरे ख़ुदा, तूने मुझे क्यों तर्क कर दिया है?”


तब एक हाथ ने मुझे छूकर हिलाया। उस की मदद से मैं अपने हाथों और घुटनों के बल हो सका।


जानदार ख़ुद इतनी तेज़ी से इधर-उधर घूम रहे थे कि बादल की बिजली जैसे नज़र आ रहे थे।


उनके पर ऊपर की तरफ़ फैले हुए थे। दो पर बाएँ और दाएँ हाथ के जानदारों से लगते थे, और दो पर उनके जिस्मों को ढाँपे रखते थे।


तू हवाओं को अपने क़ासिद और आग के शोलों को अपने ख़ादिम बना देता है।


इलीशिबा छः माह से उम्मीद से थी जब अल्लाह ने जिबराईल फ़रिश्ते को एक कुँवारी के पास भेजा जो नासरत में रहती थी। नासरत गलील का एक शहर है और कुँवारी का नाम मरियम था। उस की मँगनी एक मर्द के साथ हो चुकी थी जो दाऊद बादशाह की नसल से था और जिसका नाम यूसुफ़ था।


रोया में घोड़े और सवार यों नज़र आए : सीनों पर लगे ज़िरा-बकतर आग जैसे सुर्ख़, नीले और गंधक जैसे पीले थे। घोड़ों के सर शेरबबर के सरों से मुताबिक़त रखते थे और उनके मुँह से आग, धुआँ और गंधक निकलती थी।


मेरी दुआ तेरे हुज़ूर बख़ूर की क़ुरबानी की तरह क़बूल हो, मेरे तेरी तरफ़ उठाए हुए हाथ शाम की ग़ल्ला की नज़र की तरह मंज़ूर हों।


ख़ाह मुल्क में नूह, दानियाल और अय्यूब क्यों न बसते तो भी मुल्क न बचता। यह आदमी अपनी रास्तबाज़ी से सिर्फ़ अपनी ही जानों को बचा सकते। यह रब क़ादिरे-मुतलक़ का फ़रमान है।


दोपहर गुज़र गई, और वह शाम के उस वक़्त तक वज्द में रहे जब ग़ल्ला की नज़र पेश की जाती है। लेकिन कोई आवाज़ न सुनाई दी। न किसी ने जवाब दिया, न उनके तमाशे पर तवज्जुह दी।


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