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دانی ایل 2:4 - किताबे-मुक़द्दस

4 नुजूमियों ने अरामी ज़बान में जवाब दिया, “बादशाह सलामत अपने ख़ादिमों के सामने यह ख़ाब बयान करें तो हम उस की ताबीर करेंगे।”

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

4 تَب نجومیوں نے بادشاہ سے ارامی زبان میں عرض کیا، اَے بادشاہ، آپ اَبد تک سلامت رہیں، اَپنے خادِموں سے خواب بَیان کریں تو ہم اُس کی تعبیر بتائیں گے۔

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کِتابِ مُقادّس

4 تب کسدیوں نے بادشاہ کے حضُور ارامی زُبان میں عرض کی کہ اَے بادشاہ ابد تک جِیتا رہ! اپنے خادِموں سے خواب بیان کر اور ہم اُس کی تعبِیر کریں گے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

4 نجومیوں نے اَرامی زبان میں جواب دیا، ”بادشاہ سلامت اپنے خادموں کے سامنے یہ خواب بیان کریں تو ہم اُس کی تعبیر کریں گے۔“

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دانی ایل 2:4
23 حوالہ جات  

बादशाह और शुरफ़ा की बातें मलिका तक पहुँच गईं तो वह ज़ियाफ़त के हाल में दाख़िल हुई। कहने लगी, “बादशाह अबद तक जीते रहें! घबराने या माँद पड़ने की क्या ज़रूरत है?


वह बोले, “बादशाह सलामत अबद तक जीते रहें!


फिर अर्तख़शस्ता बादशाह के दौरे-हुकूमत में उसे यहूदाह के दुश्मनों की तरफ़ से शिकायती ख़त भेजा गया। ख़त के पीछे ख़ासकर बिशलाम, मित्रदात और ताबियेल थे। पहले उसे अरामी ज़बान में लिखा गया, और बाद में उसका तरजुमा हुआ।


यह सुनकर इलियाक़ीम, शिबनाह और युआख़ ने रबशाक़ी की तक़रीर में दख़ल देकर कहा, “बराहे-करम अरामी ज़बान में अपने ख़ादिमों के साथ गुफ़्तगू कीजिए, क्योंकि हम यह अच्छी तरह बोल लेते हैं। इबरानी ज़बान इस्तेमाल न करें, वरना शहर की फ़सील पर खड़े लोग आपकी बातें सुन लेंगे।”


दानियाल ने जवाब दिया, “बादशाह अबद तक जीते रहें!


तब वह गुरोह की सूरत में बादशाह के सामने हाज़िर हुए और कहने लगे, “दारा बादशाह अबद तक जीते रहें!


यह सुनकर बत-सबा औंधे मुँह झुक गई और कहा, “मेरा मालिक दाऊद बादशाह ज़िंदाबाद!”


लोग ईसा के आगे और पीछे चल रहे थे और चिल्लाकर यह नारे लगा रहे थे, “इब्ने-दाऊद को होशाना! मुबारक है वह जो रब के नाम से आता है। आसमान की बुलंदियों पर होशाना।”


बादशाह के दानिशमंद क़रीब आए, लेकिन न वह लिखे हुए अलफ़ाज़ पढ़ सके, न उनका मतलब बादशाह को बता सके।


तब बेल्तशज़्ज़र यानी दानियाल के रोंगटे खड़े हो गए, और जो ख़यालात उभर आए उनसे उस पर काफ़ी देर तक सख़्त दहशत तारी रही। आख़िरकार बादशाह बोला, “ऐ बेल्तशज़्ज़र, ख़ाब और उसका मतलब तुझे इतना दहशतज़दा न करे।” बेल्तशज़्ज़र ने जवाब दिया, “मेरे आक़ा, काश ख़ाब की बातें आपके दुश्मनों और मुख़ालिफ़ों को पेश आएँ!


क़िस्मत का हाल बतानेवाले, जादूगर, नजूमी और ग़ैबदान पहुँचे तो मैंने उन्हें अपना ख़ाब बयान किया, लेकिन वह उस की ताबीर करने में नाकाम रहे।


मैं ही क़िस्मत का हाल बतानेवालों के अजीबो-ग़रीब निशान नाकाम होने देता, फ़ाल खोलनेवालों को अहमक़ साबित करता और दानाओं को पीछे हटाकर उनके इल्म की हमाक़त ज़ाहिर करता हूँ।


और कहा, “शहनशाह अबद तक जीता रहे! मैं किस तरह ख़ुश हो सकता हूँ? जिस शहर में मेरे बापदादा को दफ़नाया गया है वह मलबे का ढेर है, और उसके दरवाज़े राख हो गए हैं।”


क्योंकि आज उसने ऐन-राजिल जाकर बहुत-से गाय-बैल, मोटे-ताज़े बछड़े और भेड़-बकरियों को ज़बह किया है। ज़ियाफ़त के लिए उसने तमाम शहज़ादों, तमाम फ़ौजी अफ़सरों और अबियातर इमाम को दावत दी है। इस वक़्त वह उसके साथ खाना खा खाकर और मै पी पीकर नारा लगा रहे हैं, ‘अदूनियाह बादशाह ज़िंदाबाद!’


समुएल ने कहा, “यह आदमी देखो जिसे रब ने चुन लिया है। अवाम में उस जैसा कोई नहीं है!” तमाम लोग ख़ुशी के मारे “बादशाह ज़िंदाबाद!” का नारा लगाते रहे।


सुबह हुई तो वह परेशान था, इसलिए उसने मिसर के तमाम जादूगरों और आलिमों को बुलाया। उसने उन्हें अपने ख़ाब सुनाए, लेकिन कोई भी उनकी ताबीर न कर सका।


लाबन ने उसका नाम यजर-शाहदूथा रखा जबकि याक़ूब ने जल-एद रखा। दोनों नामों का मतलब ‘गवाही का ढेर’ है यानी वह ढेर जो गवाही देता है।


यह सुनकर इलियाक़ीम बिन ख़िलक़ियाह, शिबनाह और युआख़ ने रबशाक़ी की तक़रीर में दख़ल देकर कहा, “बराहे-करम अरामी ज़बान में अपने ख़ादिमों के साथ गुफ़्तगू कीजिए, क्योंकि हम यह अच्छी तरह बोल लेते हैं। इबरानी ज़बान इस्तेमाल न करें, वरना शहर की फ़सील पर खड़े लोग आपकी बातें सुन लेंगे।”


जो बेऐब, ख़ूबसूरत, हिकमत के हर लिहाज़ से समझदार, तालीमयाफ़्ता और समझने में तेज़ हों। ग़रज़ यह आदमी शाही महल में ख़िदमत करने के क़ाबिल हों। उन्हें बाबल की ज़बान लिखने और बोलने की तालीम दो।”


एक बार फिर उन्होंने मिन्नत की, “बादशाह अपने ख़ादिमों के सामने अपना ख़ाब बताएँ तो हम ज़रूर उस की ताबीर करेंगे।”


मैं बोला, “ऐ बेल्तशज़्ज़र, तुम जादूगरों के सरदार हो, और मैं जानता हूँ कि मुक़द्दस देवताओं की रूह तुममें है। कोई भी भेद तुम्हारे लिए इतना मुश्किल नहीं है कि तुम उसे खोल न सको। अब मेरा ख़ाब सुनकर उस की ताबीर करो!


सलतनत के तमाम वज़ीर, गवर्नर, सूबेदार, मुशीर और मुन्तज़िम आपस में मशवरा करके मुत्तफ़िक़ हुए हैं कि अगले 30 दिन के दौरान सबको सिर्फ़ बादशाह से दुआ करनी चाहिए। बादशाह एक फ़रमान सादिर करें कि जो भी किसी और माबूद या इनसान से इल्तिजा करे उसे शेरों की माँद में फेंका जाएगा। ध्यान देना चाहिए कि सब ही इस पर अमल करें।


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