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دانی ایل 1:17 - किताबे-मुक़द्दस

17 अल्लाह ने इन चार आदमियों को अदब और हिकमत के हर शोबे में इल्म और समझ अता की। नीज़, दानियाल हर क़िस्म की रोया और ख़ाब की ताबीर कर सकता था।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

17 خُدا نے اُن چار نوجوانوں کو ہر قِسم کی تعلیم و اَدب اَور فہم بخشا اَور دانی ایل ہر قِسم کی رُویا اَور خواب میں صاحبِ علم تھا۔

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کِتابِ مُقادّس

17 تب خُدا نے اُن چاروں جوانوں کو معرفت اور ہر طرح کی حِکمت اور عِلم میں مہارت بخشی اور دانی ایل ہر طرح کی رویا اور خواب میں صاحبِ فہم تھا۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

17 اللہ نے اِن چار آدمیوں کو ادب اور حکمت کے ہر شعبے میں علم اور سمجھ عطا کی۔ نیز، دانیال ہر قسم کی رویا اور خواب کی تعبیر کر سکتا تھا۔

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دانی ایل 1:17
36 حوالہ جات  

लेकिन अगर आपमें से किसी में हिकमत की कमी हो तो अल्लाह से माँगे जो सबको फ़ैयाज़ी से और बग़ैर झिड़की दिए देता है। वह ज़रूर आपको हिकमत देगा।


इसलिए मैं तेरी दरख़ास्त पूरी करके तुझे इतना दानिशमंद और समझदार बना दूँगा कि उतना न माज़ी में कोई था, न मुस्तक़बिल में कभी कोई होगा।


वही औक़ात और ज़माने बदलने देता है। वही बादशाहों को तख़्त पर बिठा देता और उन्हें तख़्त पर से उतार देता है। वही दानिशमंदों को दानाई और समझदारों को समझ अता करता है।


लेकिन जो रूह इनसान में है यानी जो दम क़ादिरे-मुतलक़ ने उसमें फूँक दिया वही इनसान को समझ अता करता है।


ऐ मेरे बापदादा के ख़ुदा, मैं तेरी हम्दो-सना करता हूँ! तूने मुझे हिकमत और ताक़त अता की है। जो बात हमने तुझसे माँगी वह तूने हम पर ज़ाहिर की, क्योंकि तूने हम पर बादशाह का ख़ाब ज़ाहिर किया है।”


इस वजह से हम आपके लिए दुआ करने से बाज़ नहीं आए बल्कि यह माँगते रहते हैं कि अल्लाह आपको हर रूहानी हिकमत और समझ से नवाज़कर अपनी मरज़ी के इल्म से भर दे।


क्योंकि रब ही हिकमत अता करता, उसी के मुँह से इरफ़ान और समझ निकलती है।


लेकिन वह न उस की हिकमत का सामना कर सके, न उस रूह का जो कलाम करते वक़्त उस की मदद करता था।


हर अच्छी नेमत और हर अच्छा तोह्फ़ा आसमान से नाज़िल होता है, नूरों के बाप से, जिसमें न कभी तबदीली आती है, न बदलते हुए सायों की-सी हालत पाई जाती है।


और मूसा को मिसरियों की हिकमत के हर शोबे में तरबियत मिली। उसे बोलने और अमल करने की ज़बरदस्त क़ाबिलियत हासिल थी।


फ़ारस के बादशाह ख़ोरस की हुकूमत के तीसरे साल में बेल्तशज़्ज़र यानी दानियाल पर एक बात ज़ाहिर हुई जो यक़ीनी है और जिसका ताल्लुक़ एक बड़ी मुसीबत से है। उसे रोया में इस पैग़ाम की समझ हासिल हुई।


बेशक तू अपने आपको दानियाल से कहीं ज़्यादा दानिशमंद समझकर कहता है कि कोई भी भेद मुझसे पोशीदा नहीं रहता।


इमामे-आज़म ज़करियाह के जीते-जी उज़्ज़ियाह रब का तालिब रहा, क्योंकि ज़करियाह उसे अल्लाह का ख़ौफ़ मानने की तालीम देता रहा। जब तक बादशाह रब का तालिब रहा उस वक़्त तक अल्लाह उसे कामयाबी बख़्शता रहा।


उसने कहा, “मेरी बात सुनो। जब तुम्हारे दरमियान नबी होता है तो मैं अपने आपको रोया में उस पर ज़ाहिर करता हूँ या ख़ाब में उससे मुख़ातिब होता हूँ।


और उसे उस की तमाम मुसीबतों से रिहाई दी। उसने उसे दानाई अता करके इस क़ाबिल बना दिया कि वह मिसर के बादशाह फ़िरौन का मंज़ूरे-नज़र हो जाए। यों फ़िरौन ने उसे मिसर और अपने पूरे घराने पर हुक्मरान मुक़र्रर किया।


शाहे-बाबल बेलशज़्ज़र की हुकूमत के पहले साल में दानियाल ने ख़ाब में रोया देखी। जाग उठने पर उसने वह कुछ क़लमबंद कर लिया जो ख़ाब में देखा था। ज़ैल में इसका बयान है,


रात के वक़्त दानियाल ने रोया देखी जिसमें उसके लिए भेद खोला गया। तब उसने आसमान के ख़ुदा की हम्दो-सना की,


क्योंकि मैं तुमको ऐसे अलफ़ाज़ और हिकमत अता करूँगा कि तुम्हारे तमाम मुख़ालिफ़ न उसका मुक़ाबला और न उस की तरदीद कर सकेंगे।


किसान को ख़ूब मालूम है कि क्या क्या करना होता है, क्योंकि उसके ख़ुदा ने उसे तालीम देकर सहीह तरीक़ा सिखाया।


जो इनसान अल्लाह को मंज़ूर हो उसे वह हिकमत, इल्मो-इरफ़ान और ख़ुशी अता करता है, लेकिन गुनाहगार को वह जमा करने और ज़ख़ीरा करने की ज़िम्मादारी देता है ताकि बाद में यह दौलत अल्लाह को मंज़ूर शख़्स के हवाले की जाए। यह भी बातिल और हवा को पकड़ने के बराबर है।


मुझे हिकमत और समझ अता फ़रमा ताकि मैं इस क़ौम की राहनुमाई कर सकूँ। क्योंकि कौन तेरी इस अज़ीम क़ौम का इनसाफ़ कर सकता है?”


जल्द ही सुलेमान के इस फ़ैसले की ख़बर पूरे मुल्क में फैल गई, और लोगों पर बादशाह का ख़ौफ़ छा गया, क्योंकि उन्होंने जान लिया कि अल्लाह ने उसे इनसाफ़ करने की ख़ास हिकमत अता की है।


बेलशज़्ज़र बादशाह के दौरे-हुकूमत के तीसरे साल में मैं, दानियाल ने एक और रोया देखी।


सुना है कि देवताओं की रूह तुममें है, कि तुम बसीरत, फ़हम और ग़ैरमामूली हिकमत के मालिक हो।


इसलिए मैं तेरी यह दरख़ास्त पूरी करके तुझे हिकमत और समझ अता करूँगा। साथ साथ मैं तुझे उतना मालो-दौलत और उतनी इज़्ज़त दूँगा जितनी न माज़ी में किसी बादशाह को हासिल थी, न मुस्तक़बिल में कभी किसी को हासिल होगी।”


जो बेऐब, ख़ूबसूरत, हिकमत के हर लिहाज़ से समझदार, तालीमयाफ़्ता और समझने में तेज़ हों। ग़रज़ यह आदमी शाही महल में ख़िदमत करने के क़ाबिल हों। उन्हें बाबल की ज़बान लिखने और बोलने की तालीम दो।”


मुक़र्ररा तीन साल के बाद दरबार के आला अफ़सर ने तमाम नौजवानों को नबूकदनज़्ज़र के सामने पेश किया।


जब भी किसी मामले में ख़ास हिकमत और समझ दरकार होती तो बादशाह ने देखा कि यह चार नौजवान मशवरा देने में पूरी सलतनत के तमाम क़िस्मत का हाल बतानेवालों और जादूगरों से दस गुना ज़्यादा क़ाबिल हैं।


इस भेद का मतलब मुझ पर ज़ाहिर हुआ है, लेकिन इसलिए नहीं कि मुझे दीगर तमाम दानिशमंदों से ज़्यादा हिकमत हासिल है बल्कि इसलिए कि आपको भेद का मतलब मालूम हो जाए और आप समझ सकें कि आपके ज़हन में क्या कुछ उभर आया है।


तब मैंने हुक्म दिया कि बाबल के तमाम दानिशमंद मेरे पास आएँ ताकि मेरे लिए ख़ाब की ताबीर करें।


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