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کلسیوں 3:16 - किताबे-मुक़द्दस

16 आपकी ज़िंदगी में मसीह के कलाम की पूरी दौलत घर कर जाए। एक दूसरे को हर तरह की हिकमत से तालीम देते और समझाते रहें। साथ साथ अपने दिलों में अल्लाह के लिए शुक्रगुज़ारी के साथ ज़बूर, हम्दो-सना और रूहानी गीत गाते रहें।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

16 المسیح کے کلام کو اَپنے دِلوں میں کثرت سے بسنے دو اَور پُوری دانائی کے ساتھ ایک دُوسرے کو تعلیم دو اَور نصیحت کرتے رہو، اَور اَپنے دِلوں میں خُدا کی شُکر گُزاری کرتے ہویٔے زبُور، حَمد و ثنا اَور رُوحانی غزلیں گایا کرو۔

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کِتابِ مُقادّس

16 مسِیح کے کلام کو اپنے دِلوں میں کثرت سے بسنے دو اور کمال دانائی سے آپس میں تعلِیم اور نصِیحت کرو اور اپنے دِلوں میں فضل کے ساتھ خُدا کے لِئے مزامِیر اور گِیت اور رُوحانی غزلیں گاؤ۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

16 آپ کی زندگی میں مسیح کے کلام کی پوری دولت گھر کر جائے۔ ایک دوسرے کو ہر طرح کی حکمت سے تعلیم دیتے اور سمجھاتے رہیں۔ ساتھ ساتھ اپنے دلوں میں اللہ کے لئے شکرگزاری کے ساتھ زبور، حمد و ثنا اور روحانی گیت گاتے رہیں۔

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کلسیوں 3:16
62 حوالہ جات  

मैंने तेरा कलाम अपने दिल में महफ़ूज़ रखा है ताकि तेरा गुनाह न करूँ।


ज़बूरों, हम्दो-सना और रूहानी गीतों से एक दूसरे की हौसलाअफ़्ज़ाई करें। अपने दिलों में ख़ुदावंद के लिए गीत गाएँ और नग़मासराई करें।


अगर तुम मुझमें क़ायम रहो और मैं तुममें तो जो जी चाहे माँगो, वह तुमको दिया जाएगा।


ग़रज़, ईमान पैग़ाम सुनने से पैदा होता है, यानी मसीह का कलाम सुनने से।


चुनाँचे लाज़िम है कि जो कुछ आपने इब्तिदा से सुना वह आपमें रहे। अगर वह आपमें रहे तो आप भी फ़रज़ंद और बाप में रहेंगे।


ऐ रब, लशकरों के ख़ुदा, जब भी तेरा कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ तो मैंने उसे हज़म किया, और मेरा दिल उससे ख़ुशो-ख़ुर्रम हुआ। क्योंकि मुझ पर तेरे ही नाम का ठप्पा लगा है।


मेरी ख़ास दुआ यह है कि हमारे ख़ुदावंद ईसा मसीह का ख़ुदा और जलाली बाप आपको दानाई और मुकाशफ़ा की रूह दे ताकि आप उसे बेहतर तौर पर जान सकें।


मैं उसके होंटों के फ़रमान से बाज़ नहीं आया बल्कि अपने दिल में ही उसके मुँह की बातें महफ़ूज़ रखी हैं।


आसमान की हिकमत फ़रक़ है। अव्वल तो वह पाक और मुक़द्दस है। नीज़ वह अमनपसंद, नरमदिल, फ़रमाँबरदार, रहम और अच्छे फल से भरी हुई, ग़ैरजानिबदार और ख़ुलूसदिल है।


क्योंकि सच्चाई हममें रहती है और अबद तक हमारे साथ रहेगी।


और आप बचपन से मुक़द्दस सहीफ़ों से वाक़िफ़ हैं। अल्लाह का यह कलाम आपको वह हिकमत अता कर सकता है जो मसीह ईसा पर ईमान लाने से नजात तक पहुँचाती है।


इस वजह से हम आपके लिए दुआ करने से बाज़ नहीं आए बल्कि यह माँगते रहते हैं कि अल्लाह आपको हर रूहानी हिकमत और समझ से नवाज़कर अपनी मरज़ी के इल्म से भर दे।


साथ साथ वह एक नया गीत गाने लगे, “तू तूमार को लेकर उस की मुहरों को खोलने के लायक़ है। क्योंकि तुझे ज़बह किया गया, और अपने ख़ून से तूने लोगों को हर क़बीले, हर अहले-ज़बान, हर मिल्लत और हर क़ौम से अल्लाह के लिए ख़रीद लिया है।


लेकिन आपको उससे रूह का मसह मिल गया है। वह आपके अंदर बसता है, इसलिए आपको इसकी ज़रूरत ही नहीं कि कोई आपको तालीम दे। क्योंकि मसीह का रूह आपको सब बातों के बारे में तालीम देता है और जो कुछ भी वह सिखाता है वह सच है, झूट नहीं। चुनाँचे जिस तरह उसने आपको तालीम दी है, उसी तरह मसीह में रहें।


आपकी गुफ़्तगू हर वक़्त मेहरबान हो, ऐसी कि मज़ा आए और आप हर एक को मुनासिब जवाब दे सकें।


इसलिए अहमक़ न बनें बल्कि ख़ुदावंद की मरज़ी को समझें।


रब मेरी क़ुव्वत और मेरी ढाल है। उस पर मेरे दिल ने भरोसा रखा, उससे मुझे मदद मिली है। मेरा दिल शादियाना बजाता है, मैं गीत गाकर उस की सताइश करता हूँ।


क्या आपमें से कोई मुसीबत में फँसा हुआ है? वह दुआ करे। क्या कोई ख़ुश है? वह सताइश के गीत गाए।


जब मैं तेरी मद्हसराई करूँगा तो मेरे होंट ख़ुशी के नारे लगाएँगे, और मेरी जान जिसे तूने फ़िद्या देकर छुड़ाया है शादियाना बजाएगी।


अल्लाह ने अपने इस रूह को बड़ी फ़ैयाज़ी से हमारे नजातदहिंदा ईसा मसीह के वसीले से हम पर उंडेल दिया


भाइयो, फिर क्या होना चाहिए? जब आप जमा होते हैं तो हर एक के पास कोई गीत या तालीम या मुकाशफ़ा या ग़ैरज़बान या इसका तरजुमा हो। इन सबका मक़सद ख़ुदा की जमात की तामीरो-तरक़्क़ी हो।


लेकिन अगर आपमें से किसी में हिकमत की कमी हो तो अल्लाह से माँगे जो सबको फ़ैयाज़ी से और बग़ैर झिड़की दिए देता है। वह ज़रूर आपको हिकमत देगा।


यों हम सबको मसीह का पैग़ाम सुनाते हैं। हर मुमकिना हिकमत से हम उन्हें समझाते और तालीम देते हैं ताकि हर एक को मसीह में कामिल हालत में अल्लाह के हुज़ूर पेश करें।


तू मेरी छुपने की जगह है, तू मुझे परेशानी से महफ़ूज़ रखता, मुझे नजात के नग़मों से घेर लेता है। (सिलाह)


क्योंकि दाऊद और आसफ़ के ज़माने से ही गुलूकारों के लीडर अल्लाह की हम्दो-सना के गीतों में राहनुमाई करते थे।


जल्द ही सुलेमान के इस फ़ैसले की ख़बर पूरे मुल्क में फैल गई, और लोगों पर बादशाह का ख़ौफ़ छा गया, क्योंकि उन्होंने जान लिया कि अल्लाह ने उसे इनसाफ़ करने की ख़ास हिकमत अता की है।


अल्लाह के ख़ादिम मूसा और लेले का गीत गा रहे थे, “ऐ रब क़ादिरे-मुतलक़ ख़ुदा, तेरे काम कितने अज़ीम और हैरतअंगेज़ हैं। ऐ ज़मानों के बादशाह, तेरी राहें कितनी रास्त और सच्ची हैं।


वालिदो, मैं आपको इसलिए लिख रहा हूँ कि आपने उसे जान लिया है जो इब्तिदा ही से है। जवान मर्दो, मैं आपको इसलिए लिख रहा हूँ कि आप मज़बूत हैं। अल्लाह का कलाम आपमें बसता है और आप इबलीस पर ग़ालिब आ गए हैं।


जो मौजूदा दुनिया में अमीर हैं उन्हें समझाएँ कि वह मग़रूर न हों, न दौलत जैसी ग़ैरयक़ीनी चीज़ पर उम्मीद रखें। इसकी बजाए वह अल्लाह पर उम्मीद रखें जो हमें फ़ैयाज़ी से सब कुछ मुहैया करता है ताकि हम उससे लुत्फ़अंदोज़ हो जाएँ।


लेकिन उसे दुश्मन मत समझना बल्कि उसे भाई जानकर समझाना।


चुनाँचे इन अलफ़ाज़ से एक दूसरे को तसल्ली दिया करें।


तो फिर क्या करूँ? मैं रूह में दुआ करूँगा, लेकिन अक़्ल को भी इस्तेमाल करूँगा। मैं रूह में हम्दो-सना करूँगा, लेकिन अक़्ल को भी इस्तेमाल में लाऊँगा।


फिर एक ज़बूर गाकर वह निकले और ज़ैतून के पहाड़ के पास पहुँचे।


ज़हीन की हिकमत इसमें है कि वह सोच-समझकर अपनी राह पर चले, लेकिन अहमक़ की हमाक़त सरासर धोका ही है।


दाऊद का ज़बूर। ऐ रब, मैं पूरे दिल से तेरी सताइश करूँगा, माबूदों के सामने ही तेरी तमजीद करूँगा।


जिस घर में मैं परदेसी हूँ उसमें मैं तेरे अहकाम के गीत गाता रहता हूँ।


मेरे भाइयो, मुझे पूरा यक़ीन है कि आप ख़ुद भलाई से मामूर हैं, कि आप हर तरह का इल्मो-इरफ़ान रखते हैं और एक दूसरे को नसीहत करने के क़ाबिल भी हैं।


फिर वह उनके साथ रवाना होकर नासरत वापस आया और उनके ताबे रहा। लेकिन उस की माँ ने यह तमाम बातें अपने दिल में महफ़ूज़ रखें।


अपने भाइयों समेत जो रब की ताज़ीम में गीत गाते थे उनकी कुल तादाद 288 थी। सबके सब माहिर थे।


ताकि ग़रीबों का हक़ मारो और मज़लूमों के हुक़ूक़ पामाल करो। बेवाएँ तुम्हारा शिकार होती हैं, और तुम यतीमों को लूट लेते हो।


इस पर मैं उसे सिजदा करने के लिए उसके पाँवों में गिर गया। लेकिन उसने मुझसे कहा, “ऐसा मत कर! मैं भी तेरा और तेरे उन भाइयों का हमख़िदमत हूँ जो ईसा की गवाही देने पर क़ायम हैं। सिर्फ़ अल्लाह को सिजदा कर। क्योंकि जो ईसा के बारे में गवाही देता है वह यह नबुव्वत की रूह में करता है।”


लेकिन तुम गीत गाओगे, ऐसे गीत जैसे मुक़द्दस ईद की रात गाए जाते हैं। इतनी रौनक़ होगी कि तुम्हारे दिल फूले न समाएँगे। तुम्हारी ख़ुशी उन ज़ायरीन की मानिंद होगी जो बाँसरी बजाते हुए रब के पहाड़ पर चढ़ते और इसराईल की चट्टान के हुज़ूर आते हैं।


उस दिन मुल्के-यहूदाह में गीत गाया जाएगा, “हमारा शहर मज़बूत है, क्योंकि हम अल्लाह की नजात देनेवाली चारदीवारी और पुश्तों से घिरे हुए हैं।


आओ, मैं अपने महबूब के लिए गीत गाऊँ, एक गीत जो उसके अंगूर के बाग़ के बारे में है। मेरे प्यारे का बाग़ था। अंगूर का यह बाग़ ज़रख़ेज़ पहाड़ी पर था।


सुलेमान की ग़ज़लुल-ग़ज़लात।


यह 1,44,000 अफ़राद तख़्त, चार जानदारों और बुज़ुर्गों के सामने खड़े एक नया गीत गा रहे थे, एक ऐसा गीत जो सिर्फ़ वही सीख सके जिन्हें लेले ने ज़मीन से ख़रीद लिया था।


जो दूसरों से अलग हो जाए वह अपने ज़ाती मक़ासिद पूरे करना चाहता और समझ की हर बात पर झगड़ने लगता है।


ताकि उसे अल्लाह के लिए मख़सूसो-मुक़द्दस करे। उसने उसे कलामे-पाक से धोकर पाक-साफ़ कर दिया


ख़ुदावंद के पैग़ाम की आवाज़ आपमें से निकलकर न सिर्फ़ मकिदुनिया और अख़या में सुनाई दी, बल्कि यह ख़बर कि आप अल्लाह पर ईमान रखते हैं हर जगह तक पहुँच गई है। नतीजे में हमें कुछ कहने की ज़रूरत नहीं रही,


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