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عاموس 8:8 - किताबे-मुक़द्दस

8 उन्हीं की वजह से ज़मीन लरज़ उठेगी और उसके तमाम बाशिंदे मातम करेंगे। जिस तरह मिसर में दरियाए-नील बरसात के मौसम में सैलाबी सूरत इख़्तियार कर लेता है उसी तरह पूरी ज़मीन उठेगी। वह नील की तरह जोश में आएगी, फिर दुबारा उतर जाएगी।”

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

8 ”کیا اِس سبب سے زمین نہ تھرتھرائے گی، اَور اُن کے ہر باشِندے ماتم نہ کریں گے؟ سارا مُلک دریائے نیل کی مانند ہوگا جو اُفنے گی، پھر اُس میں لہریں اُٹھے گا، اَور پھر وہ مُلک مِصر کے دریائے کی مانند بالکُل پُرسکون ہو جایٔےگا۔“

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کِتابِ مُقادّس

8 کیا اِس سبب سے زمِین نہ تھرتھرائے گی اور اُس کا ہر ایک باشِندہ ماتم نہ کرے گا؟ ہاں وہ بِالکُل دریایِ نِیل کی طرح اُٹھے گی اور رودِ مِصرؔ کی طرح پَھیل کر پِھر سُکڑ جائے گی۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

8 اُن ہی کی وجہ سے زمین لرز اُٹھے گی اور اُس کے تمام باشندے ماتم کریں گے۔ جس طرح مصر میں دریائے نیل برسات کے موسم میں سیلابی صورت اختیار کر لیتا ہے اُسی طرح پوری زمین اُٹھے گی۔ وہ نیل کی طرح جوش میں آئے گی، پھر دوبارہ اُتر جائے گی۔“

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عاموس 8:8
22 حوالہ جات  

क़ादिरे-मुतलक़ रब्बुल-अफ़वाज है। जब वह ज़मीन को छू देता है तो वह लरज़ उठती और उसके तमाम बाशिंदे मातम करने लगते हैं। तब जिस तरह मिसर में दरियाए-नील बरसात के मौसम में सैलाब की सूरत इख़्तियार कर लेता है उसी तरह पूरी ज़मीन उठती, फिर दुबारा उतर जाती है।


इसी लिए मुल्क में काल है और उसके तमाम बाशिंदे पज़मुरदा हो गए हैं। जंगली जानवर, परिंदे और मछलियाँ भी फ़ना हो रही हैं।


मिसर दरियाए-नील की तरह चढ़ रहा है, वही सैलाब बनकर सब कुछ ग़रक़ कर रहा है। वह कहता है, ‘मैं चढ़कर पूरी ज़मीन को ग़रक़ कर दूँगा। मैं शहरों को उनके बाशिंदों समेत तबाह करूँगा।’


तब ज़मीन लरज़ उठी और थरथराने लगी, पहाड़ों की बुनियादें रब के ग़ज़ब के सामने काँपने और झूलने लगीं।


यही वजह है कि रब का ग़ज़ब उस की क़ौम पर नाज़िल हुआ है, कि उसने अपना हाथ बढ़ाकर उन पर हमला किया है। पहाड़ लरज़ रहे और गलियों में लाशें कचरे की तरह बिखरी हुई हैं। ताहम उसका ग़ुस्सा ठंडा नहीं होगा बल्कि उसका हाथ मारने के लिए उठा ही रहेगा।


उस वक़्त इब्ने-आदम का निशान आसमान पर नज़र आएगा। तब दुनिया की तमाम क़ौमें मातम करेंगी। वह इब्ने-आदम को बड़ी क़ुदरत और जलाल के साथ आसमान के बादलों पर आते हुए देखेंगी।


मैं तुम्हारे तहवारों को मातम में और तुम्हारे गीतों को आहो-बुका में बदल दूँगा। मैं सबको टाट के मातमी लिबास पहनाकर हर एक का सर मुँडवाऊँगा। लोग यों मातम करेंगे जैसा उनका वाहिद बेटा कूच कर गया हो। अंजाम का वह दिन कितना तलख़ होगा।”


सामरिया के बाशिंदे परेशान हैं कि बैत-आवन में बछड़े के बुत के साथ क्या किया जाएगा। उसके परस्तार उस पर मातम करेंगे, उसके पुजारी उस की शानो-शौकत याद करके वावैला करेंगे, क्योंकि वह उनसे छिनकर परदेस में ले जाया जाएगा।


इन 62 हफ़तों के बाद अल्लाह के मसह किए गए बंदे को क़त्ल किया जाएगा, और उसके पास कुछ भी नहीं होगा। उस वक़्त एक और हुक्मरान की क़ौम आकर शहर और मक़दिस को तबाह करेगी। इख़्तिताम सैलाब की सूरत में आएगा, और आख़िर तक जंग जारी रहेगी, ऐसी तबाही होगी जिसका फ़ैसला हो चुका है।


मुल्क कब तक काल की गिरिफ़्त में रहेगा? खेतों में हरियाली कब तक मुरझाई हुई नज़र आएगी? बाशिंदों की बुराई के बाइस जानवर और परिंदे ग़ायब हो गए हैं। क्योंकि लोग कहते हैं, “अल्लाह को नहीं मालूम कि हमारे साथ क्या हो जाएगा।”


यह क्या है जो दरियाए-नील की तरह चढ़ रहा है, जो सैलाब बनकर सब कुछ ग़रक़ कर रहा है?


ज़मीन लरज़ती और थरथराती है, क्योंकि रब का मनसूबा अटल है, वह मुल्के-बाबल को यों तबाह करना चाहता है कि आइंदा उसमें कोई न रहे।


लेकिन अपने दुश्मनों पर वह सैलाब लाएगा जो उनके मक़ाम को ग़रक़ करेगा। जहाँ भी दुश्मन भाग जाए वहाँ उस पर तारीकी छा जाने देगा।


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