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اعمال 9:31 - किताबे-मुक़द्दस

31 इस पर यहूदिया, गलील और सामरिया के पूरे इलाक़े में फैली हुई जमात को अमनो-अमान हासिल हुआ। रूहुल-क़ुद्स की हिमायत से उस की तामीरो-तक़वियत हुई, वह ख़ुदा का ख़ौफ़ मानकर चलती रही और तादाद में भी बढ़ती गई।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

31 تَب تمام یہُودیؔہ، گلِیل اَور سامریہؔ میں جماعت کو اَمن نصیب ہُوا، وہ مضبُوط ہوتی گئی خُداوؔند کے خوف و عقیدت میں زندگی گُزارنے اَور پاک رُوح کی حوصلہ اَفزائی سے جماعت کی تعداد میں اِضافہ ہوتا چلا گیا۔

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کِتابِ مُقادّس

31 پس تمام یہُودیہ اور گلِیل اور سامریہ میں کلِیسیا کو چَین ہو گیا اور اُس کی ترقّی ہوتی گئی اور وہ خُداوند کے خَوف اور رُوحُ القُدس کی تسلّی پر چلتی اور بڑھتی جاتی تھی۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

31 اِس پر یہودیہ، گلیل اور سامریہ کے پورے علاقے میں پھیلی ہوئی جماعت کو امن و امان حاصل ہوا۔ روح القدس کی حمایت سے اُس کی تعمیر و تقویت ہوئی، وہ خدا کا خوف مان کر چلتی رہی اور تعداد میں بھی بڑھتی گئی۔

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اعمال 9:31
56 حوالہ جات  

हिकमत इससे शुरू होती है कि हम रब का ख़ौफ़ मानें। जो भी उसके अहकाम पर अमल करे उसे अच्छी समझ हासिल होगी। उस की हम्द हमेशा तक क़ायम रहेगी।


उन दिनों में वह तेरी हिफ़ाज़त की ज़मानत होगा। तुझे नजात, हिकमत और दानाई का ज़ख़ीरा हासिल होगा, और रब का ख़ौफ़ तेरा ख़ज़ाना होगा।


तेरा दिल गुनाहगारों को देखकर कुढ़ता न रहे बल्कि पूरे दिन रब का ख़ौफ़ रखने में सरगरम रहे।


ऐ रब, मुझे अपनी राह सिखा ताकि तेरी वफ़ादारी में चलूँ। बख़्श दे कि मैं पूरे दिल से तेरा ख़ौफ़ मानूँ।


और उम्मीद हमें शरमिंदा होने नहीं देती, क्योंकि अल्लाह ने हमें रूहुल-क़ुद्स देकर उसके वसीले से हमारे दिलों में अपनी मुहब्बत उंडेली है।


हिकमत इससे शुरू होती है कि हम रब का ख़ौफ़ मानें। सिर्फ़ अहमक़ हिकमत और तरबियत को हक़ीर जानते हैं।


उम्मीद का ख़ुदा आपको ईमान रखने के बाइस हर ख़ुशी और सलामती से मामूर करे ताकि रूहुल-क़ुद्स की क़ुदरत से आपकी उम्मीद बढ़कर दिल से छलक जाए।


और साऊल को भी स्तिफ़नुस का क़त्ल मंज़ूर था। उस दिन यरूशलम में मौजूद जमात सख़्त ईज़ारसानी की ज़द में आ गई। इसलिए सिवाए रसूलों के तमाम ईमानदार यहूदिया और सामरिया के इलाक़ों में तित्तर-बित्तर हो गए।


जो रब का ख़ौफ़ मानता है वह बुराई से नफ़रत करता है। मुझे ग़ुरूर, तकब्बुर, ग़लत चाल-चलन और टेढ़ी बातों से नफ़रत है।


इनसान से उसने कहा, ‘सुनो, अल्लाह का ख़ौफ़ मानना ही हिकमत और बुराई से दूर रहना ही समझ है’।”


मैंने बात जारी रखी, “आपका यह सुलूक ठीक नहीं। आपको हमारे ख़ुदा का ख़ौफ़ मानकर ज़िंदगी गुज़ारना चाहिए ताकि हम अपने ग़ैरयहूदी दुश्मनों की लान-तान का निशाना न बनें।


इनका मक़सद यह है कि मुक़द्दसीन को ख़िदमत करने के लिए तैयार किया जाए और यों मसीह के बदन की तामीरो-तरक़्क़ी हो जाए।


यही वजह है कि मैं आपसे दूर रहकर लिखता हूँ। फिर जब मैं आऊँगा तो मुझे अपना इख़्तियार इस्तेमाल करके आप पर सख़्ती नहीं करनी पड़ेगी। क्योंकि ख़ुदावंद ने मुझे यह इख़्तियार आपको ढा देने के लिए नहीं बल्कि आपको तामीर करने के लिए दिया है।


क्योंकि अगर मैं उस इख़्तियार पर मज़ीद फ़ख़र भी करूँ जो ख़ुदावंद ने हमें दिया है तो भी मैं शरमिंदा नहीं हूँगा। ग़ौर करें कि उसने हमें आपको ढा देने का नहीं बल्कि आपकी रूहानी तामीर करने का इख़्तियार दिया है।


मेरे अज़ीज़ो, यह तमाम वादे हमसे किए गए हैं। इसलिए आएँ, हम अपने आपको हर उस चीज़ से पाक-साफ़ करें जो जिस्म और रूह को आलूदा कर देती है। और हम ख़ुदा के ख़ौफ़ में मुकम्मल तौर पर मुक़द्दस बनने के लिए कोशाँ रहें।


यों जमातें ईमान में मज़बूत हुईं और तादाद में रोज़ बरोज़ बढ़ती गईं।


लेकिन अल्लाह का कलाम बढ़ता और फैलता गया।


यों अल्लाह का पैग़ाम फैलता गया। यरूशलम में ईमानदारों की तादाद निहायत बढ़ती गई और बैतुल-मुक़द्दस के बहुत-से इमाम भी ईमान ले आए।


असल में माज़ी के गवर्नरों ने क़ौम पर बड़ा बोझ डाल दिया था। उन्होंने रिआया से न सिर्फ़ रोटी और मै बल्कि फ़ी दिन चाँदी के 40 सिक्के भी लिए थे। उनके अफ़सरों ने भी आम लोगों से ग़लत फ़ायदा उठाया था। लेकिन चूँकि मैं अल्लाह का ख़ौफ़ मानता था, इसलिए मैंने उनसे ऐसा सुलूक न किया।


लेकिन आप मेरे अज़ीज़ो, अपने आपको अपने मुक़द्दसतरीन ईमान की बुनियाद पर तामीर करें और रूहुल-क़ुद्स में दुआ करें।


चुनाँचे अल्लाह की क़ौम के लिए एक ख़ास सुकून बाक़ी रह गया है, ऐसा सुकून जो अल्लाह के सातवें दिन आराम करने से मुताबिक़त रखता है।


उन्हें फ़रज़ी कहानियों और ख़त्म न होनेवाले नसबनामे के पीछे न लगने दें। इनसे महज़ बहस-मुबाहसा पैदा होता है और अल्लाह का नजातबख़्श मनसूबा पूरा नहीं होता। क्योंकि यह मनसूबा सिर्फ़ ईमान से तकमील तक पहुँचता है।


इसलिए एक दूसरे की हौसलाअफ़्ज़ाई और तामीर करते रहें, जैसा कि आप कर भी रहे हैं।


क्योंकि फिर ही आप अपनी ज़िंदगी ख़ुदावंद के लायक़ गुज़ार सकेंगे और हर तरह से उसे पसंद आएँगे। हाँ, आप हर क़िस्म का अच्छा काम करके फल लाएँगे और अल्लाह के इल्मो-इरफ़ान में तरक़्क़ी करेंगे।


क्या आपके दरमियान मसीह में हौसलाअफ़्ज़ाई, मुहब्बत की तसल्ली, रूहुल-क़ुद्स की रिफ़ाक़त, नरमदिली और रहमत पाई जाती है?


मसीह के ख़ौफ़ में एक दूसरे के ताबे रहें।


कोई भी बुरी बात आपके मुँह से न निकले बल्कि सिर्फ़ ऐसी बातें जो दूसरों की ज़रूरियात के मुताबिक़ उनकी तामीर करें। यों सुननेवालों को बरकत मिलेगी।


वही नसों के ज़रीए पूरे बदन के मुख़्तलिफ़ हिस्सों को एक दूसरे के साथ जोड़कर मुत्तहिद कर देता है। हर हिस्सा अपनी ताक़त के मुवाफ़िक़ काम करता है, और यों पूरा बदन मुहब्बत की रूह में बढ़ता और अपनी तामीर करता रहता है।


आप काफ़ी देर से सोच रहे होंगे कि हम आपके सामने अपना दिफ़ा कर रहे हैं। लेकिन ऐसा नहीं है बल्कि हम मसीह में होते हुए अल्लाह के हुज़ूर ही यह कुछ बयान कर रहे हैं। और मेरे अज़ीज़ो, जो कुछ भी हम करते हैं हम आपकी तामीर करने के लिए करते हैं।


भाइयो, फिर क्या होना चाहिए? जब आप जमा होते हैं तो हर एक के पास कोई गीत या तालीम या मुकाशफ़ा या ग़ैरज़बान या इसका तरजुमा हो। इन सबका मक़सद ख़ुदा की जमात की तामीरो-तरक़्क़ी हो।


यह उसूल आप पर भी लागू होता है। चूँकि आप रूहानी नेमतों के लिए तड़पते हैं तो फिर ख़ासकर उन नेमतों में माहिर बनने की कोशिश करें जो ख़ुदा की जमात को तामीर करती हैं।


चुनाँचे आएँ, हम पूरी जिद्दो-जहद के साथ वह कुछ करने की कोशिश करें जो सुलह-सलामती और एक दूसरे की रूहानी तामीरो-तरक़्क़ी का बाइस है।


क्योंकि अल्लाह की बादशाही खाने-पीने की चीज़ों पर क़ायम नहीं है बल्कि रास्तबाज़ी, सुलह-सलामती और रूहुल-क़ुद्स में ख़ुशी पर।


रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है कि ऐसा वक़्त आएगा जब दीगर अक़वाम और मुतअद्दिद शहरों के लोग यहाँ आएँगे।


उस दिन यस्सी की जड़ से फूटी हुई कोंपल उम्मतों के लिए झंडा होगा। क़ौमें उस की तालिब होंगी, और उस की सुकूनतगाह जलाली होगी।


ताकि वह मुसीबत के दिनों से आराम पाए और उस वक़्त तक सुकून से ज़िंदगी गुज़ारे जब तक बेदीनों के लिए गढ़ा तैयार न हो।


उसने उनसे कहा, “रब आपका ख़ुदा आपके साथ है। उसने आपको पड़ोसी क़ौमों से महफ़ूज़ रखकर अमनो-अमान अता किया है। मुल्क के बाशिंदों को उसने मेरे हवाले कर दिया, और अब यह मुल्क रब और उस की क़ौम के ताबे हो गया है।


लेकिन तेरे एक बेटा पैदा होगा जो अमनपसंद होगा। उसे मैं अमनो-अमान मुहैया करूँगा, उसे चारों तरफ़ के दुश्मनों से लड़ना नहीं पड़ेगा। उसका नाम सुलेमान होगा, और उस की हुकूमत के दौरान मैं इसराईल को अमनो-अमान अता करूँगा।


उस दिन इसराईल ने मोआब को ज़ेर कर दिया, और 80 साल तक मुल्क में अमनो-अमान क़ायम रहा।


और रब ने चारों तरफ़ अमनो-अमान मुहैया किया जिस तरह उसने उनके बापदादा से क़सम खाकर वादा किया था। उसी की मदद से इसराईली तमाम दुश्मनों पर ग़ालिब आए थे।


लेकिन जल्द ही तुम दरियाए-यरदन को पार करके उस मुल्क में आबाद हो जाओगे जो रब तुम्हारा ख़ुदा तुम्हें मीरास में दे रहा है। उस वक़्त वह तुम्हें इर्दगिर्द के दुश्मनों से बचाए रखेगा, और तुम आराम और सुकून से ज़िंदगी गुज़ार सकोगे।


और अल्लाह की तमजीद करते रहे। उस वक़्त वह तमाम लोगों के मंज़ूरे-नज़र थे। और ख़ुदावंद रोज़ बरोज़ जमात में नजातयाफ़्ता लोगों का इज़ाफ़ा करता रहा।


पूरी जमात बल्कि हर सुननेवाले पर बड़ा ख़ौफ़ तारी हो गया।


और अब मैं आपको अल्लाह और उसके फ़ज़ल के कलाम के सुपुर्द करता हूँ। यही कलाम आपकी तामीर करके आपको वह मीरास मुहैया करने के क़ाबिल है जो अल्लाह तमाम मुक़द्दस किए गए लोगों को देता है।


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