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اعمال 7:23 - किताबे-मुक़द्दस

23 जब वह चालीस साल का था तो उसे अपनी क़ौम इसराईल के लोगों से मिलने का ख़याल आया।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

23 ”جَب حضرت مَوشہ چالیس بَرس کے ہویٔے، تو اُن کے دِل میں آیا کہ وہ اَپنے بھائیوں یعنی بنی اِسرائیلؔ کا حال مَعلُوم کریں۔

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کِتابِ مُقادّس

23 اور جب وہ قرِیباً چالِیس برس کا ہُؤا تو اُس کے جی میں آیا کہ مَیں اپنے بھائِیوں بنی اِسرائیل کا حال دیکھُوں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

23 جب وہ چالیس سال کا تھا تو اُسے اپنی قوم اسرائیل کے لوگوں سے ملنے کا خیال آیا۔

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اعمال 7:23
18 حوالہ جات  

बादशाह का दिल रब के हाथ में नहर की मानिंद है। वह जिधर चाहे उसका रुख़ फेर देता है।


क्योंकि अल्लाह ने उनके दिलों में यह डाल दिया है कि वह उसका मक़सद पूरा करें और उस वक़्त तक हुकूमत करने का अपना इख़्तियार हैवान के सुपुर्द कर दें जब तक अल्लाह के फ़रमान तकमील तक न पहुँच जाएँ।


हर अच्छी नेमत और हर अच्छा तोह्फ़ा आसमान से नाज़िल होता है, नूरों के बाप से, जिसमें न कभी तबदीली आती है, न बदलते हुए सायों की-सी हालत पाई जाती है।


रब हमारे बापदादा के ख़ुदा की तमजीद हो जिसने शहनशाह के दिल को यरूशलम में रब के घर को शानदार बनाने की तहरीक दी है।


कुछ दिनों के बाद पौलुस ने बरनबास से कहा, “आओ, हम मुड़कर उन तमाम शहरों में जाएँ जहाँ हमने ख़ुदावंद के कलाम की मुनादी की है और वहाँ के भाइयों से मुलाक़ात करके उनका हाल मालूम करें।”


तब कुछ इसराईली रवाना होकर यरूशलम में रब के घर को तामीर करने की तैयारियाँ करने लगे। उनमें यहूदाह और बिनयमीन के ख़ानदानी सरपरस्त, इमाम और लावी शामिल थे यानी जितने लोगों को अल्लाह ने तहरीक दी थी।


फ़ारस के बादशाह ख़ोरस की हुकूमत के पहले साल में रब ने वह कुछ पूरा होने दिया जिसकी पेशगोई उसने यरमियाह की मारिफ़त की थी। उसने ख़ोरस को ज़ैल का एलान करने की तहरीक दी। यह एलान ज़बानी और तहरीरी तौर पर पूरी बादशाही में किया गया।


यहूदाह में अल्लाह ने लोगों को तहरीक दी कि उन्होंने यकदिली से उस हुक्म पर अमल किया जो बादशाह और बुज़ुर्गों ने रब के फ़रमान के मुताबिक़ दिया था।


यों इसराईल के तमाम मर्द और ख़वातीन जो दिली ख़ुशी से रब को कुछ देना चाहते थे उस सारे काम के लिए हदिये ले आए जो रब ने मूसा की मारिफ़त करने को कहा था।


और जो जो दिली ख़ुशी से देना चाहता था वह मुलाक़ात के ख़ैमे, उसके सामान या इमामों के कपड़ों के लिए कोई हदिया लेकर वापस आया।


फिर मूसा अपने सुसर यितरो के घर वापस चला गया। उसने कहा, “मुझे ज़रा अपने अज़ीज़ों के पास वापस जाने दें जो मिसर में हैं। मैं मालूम करना चाहता हूँ कि वह अभी तक ज़िंदा हैं कि नहीं।” यितरो ने जवाब दिया, “ठीक है, सलामती से जाएँ।”


ख़ुदा का शुक्र है जिसने तितुस के दिल में वही जोश पैदा किया है जो मैं आपके लिए रखता हूँ।


फ़िरौन से बात करते वक़्त मूसा 80 साल का और हारून 83 साल का था।


जब उसने उनके पास जाकर देखा कि एक मिसरी किसी इसराईली पर तशद्दुद कर रहा है तो उसने इसराईली की हिमायत करके मज़लूम का बदला लिया और मिसरी को मार डाला।


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