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اعمال 25:3 - किताबे-मुक़द्दस

3 मिन्नत की कि वह उनकी रिआयत करके पौलुस को यरूशलम मुंतक़िल करे। वजह यह थी कि वह घात में बैठकर रास्ते में पौलुस को क़त्ल करना चाहते थे।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

3 اُنہُوں نے فِیستُسؔ سے مِنّت کی، وہ فوراً پَولُسؔ کے یروشلیمؔ میں مُنتقل کرنے کا حُکم دے، دراصل اُنہُوں نے پَولُسؔ کو راہ ہی میں مار ڈالنے کی سازش کی ہویٔی تھی۔

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کِتابِ مُقادّس

3 اور اُس کی مُخالِفت میں یہ رِعایت چاہی کہ وہ اُسے یروشلِیم میں بُلا بھیجے اور گھات میں تھے کہ اُسے راہ میں مار ڈالیں۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

3 منت کی کہ وہ اُن کی رعایت کر کے پولس کو یروشلم منتقل کرے۔ وجہ یہ تھی کہ وہ گھات میں بیٹھ کر راستے میں پولس کو قتل کرنا چاہتے تھے۔

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اعمال 25:3
16 حوالہ جات  

लेकिन साऊल को पता चल गया। यहूदी दिन-रात शहर के दरवाज़ों की पहरादारी करते रहे ताकि उसे क़त्ल करें,


कुछ लोग हम पर यह कुफ़र भी बकते हैं कि हम कहते हैं, “आओ, हम बुराई करें ताकि भलाई निकले।” इनसाफ़ का तक़ाज़ा है कि ऐसे लोगों को मुजरिम ठहराया जाए।


उससे गुज़ारिश की कि “मुझे दमिश्क़ में यहूदी इबादतख़ानों के लिए सिफ़ारिशी ख़त लिखकर दें ताकि वह मेरे साथ तावुन करें। क्योंकि मैं वहाँ मसीह की राह पर चलनेवालों को ख़ाह वह मर्द हों या ख़वातीन ढूँडकर और बाँधकर यरूशलम लाना चाहता हूँ।”


वह इस क़िस्म की हरकतें इसलिए करेंगे कि उन्होंने न बाप को जाना है, न मुझे।


तब मज़कूरा अफ़सरों ने बादशाह से कहा, “इस आदमी को सज़ाए-मौत दीनी चाहिए, क्योंकि यह शहर में बचे हुए फ़ौजियों और बाक़ी तमाम लोगों को ऐसी बातें बता रहा है जिनसे वह हिम्मत हार गए हैं। यह आदमी क़ौम की बहबूदी नहीं चाहता बल्कि उसे मुसीबत में डालने पर तुला रहता है।”


यह सुनकर लोग आपस में कहने लगे, “आओ, हम यरमियाह के ख़िलाफ़ मनसूबे बाँधें, क्योंकि उस की बातें सहीह नहीं हैं। न इमाम शरीअत की हिदायत से, न दानिशमंद अच्छे मशवरों से, और न नबी अल्लाह के कलाम से महरूम हो जाएगा। आओ, हम ज़बानी उस पर हमला करें और उस की बातों पर ध्यान न दें, ख़ाह वह कुछ भी क्यों न कहे।”


मेरे बेशुमार सफ़रों के दौरान मुझे कई तरह के ख़तरों का सामना करना पड़ा, दरियाओं और डाकुओं का ख़तरा, अपने हमवतनों और ग़ैरयहूदियों के हमलों का ख़तरा। जहाँ भी मैं गया हूँ वहाँ यह ख़तरे मौजूद रहे, ख़ाह मैं शहर में था, ख़ाह ग़ैरआबाद इलाक़े में या समुंदर में। झूटे भाइयों की तरफ़ से भी ख़तरे रहे हैं।


ऐ बेदीन, रास्तबाज़ के घर की ताक लगाए मत बैठना, उस की रिहाइशगाह तबाह न कर।


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