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اعمال 22:3 - किताबे-मुक़द्दस

3 “मैं यहूदी हूँ और किलिकिया के शहर तरसुस में पैदा हुआ। लेकिन मैंने इसी शहर यरूशलम में परवरिश पाई और जमलियेल के ज़ेरे-निगरानी तालीम हासिल की। उन्होंने मुझे तफ़सील और एहतियात से हमारे बापदादा की शरीअत सिखाई। उस वक़्त मैं भी आपकी तरह अल्लाह के लिए सरगरम था।

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

3 ”میں ایک یہُودی ہُوں، کِلکِیؔہ کے شہر ترسُسؔ میں پیدا ہُوا، لیکن میری تربّیت اِسی شہر میں ہویٔی۔ مَیں نے گَملی ایل کے قدموں میں اَپنے آباؤاَجداد کی شَریعت پر عَمل کرنے کی تعلیم پائی۔ میں بھی خُدا کے لیٔے اَیسا ہی سرگرم تھا جَیسے آج تُم ہو۔

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کِتابِ مُقادّس

3 مَیں یہُودی ہُوں اور کِلِکیہ کے شہر تَرسُس میں پَیدا ہُؤا مگر میری تربِیّت اِس شہر میں گملی ایل کے قدموں میں ہُوئی اور مَیں نے باپ دادا کی شرِیعت کی خاص پابندی کی تعلِیم پائی اور خُدا کی راہ میں اَیسا سرگرم تھا جَیسے تُم سب آج کے دِن ہو۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

3 ”مَیں یہودی ہوں اور کلِکیہ کے شہر ترسس میں پیدا ہوا۔ لیکن مَیں نے اِسی شہر یروشلم میں پرورش پائی اور جملی ایل کے زیرِ نگرانی تعلیم حاصل کی۔ اُنہوں نے مجھے تفصیل اور احتیاط سے ہمارے باپ دادا کی شریعت سکھائی۔ اُس وقت مَیں بھی آپ کی طرح اللہ کے لئے سرگرم تھا۔

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اعمال 22:3
27 حوالہ جات  

वह मुझे बड़ी देर से जानते हैं और अगर चाहें तो इसकी गवाही भी दे सकते हैं कि मैं फ़रीसी की ज़िंदगी गुज़ारता था, हमारे मज़हब के उसी फ़िरक़े की जो सबसे कटर है।


ख़ुदावंद ने फ़रमाया, “उठ, उस गली में जा जो ‘सीधी’ कहलाती है। वहाँ यहूदाह के घर में तरसुस के एक आदमी का पता करना जिसका नाम साऊल है। क्योंकि देख, वह दुआ कर रहा है।


लेकिन एक फ़रीसी आलिम इजलास में खड़ा हुआ जिसका नाम जमलियेल था। पूरी क़ौम में वह इज़्ज़तदार था। उसने हुक्म दिया कि रसूलों को थोड़ी देर के लिए इजलास से निकाल दिया जाए।


पौलुस ने जवाब दिया, “मैं यहूदी और किलिकिया के मरकज़ी शहर तरसुस का शहरी हूँ। मेहरबानी करके मुझे लोगों से बात करने दें।”


यह सुनकर उन्होंने अल्लाह की तमजीद की। फिर उन्होंने कहा, “भाई, आपको मालूम है कि हज़ारों यहूदी ईमान लाए हैं। और सब बड़ी सरगरमी से शरीअत पर अमल करते हैं।


क्या वह इबरानी हैं? मैं भी हूँ। क्या वह इसराईली हैं? मैं भी हूँ। क्या वह इब्राहीम की औलाद हैं? मैं भी हूँ।


मर्था की एक बहन थी जिसका नाम मरियम था। वह ख़ुदावंद के पाँवों में बैठकर उस की बातें सुनने लगी


इलीशा जिलजाल को लौट आया। उन दिनों में मुल्क काल की गिरिफ़्त में था। एक दिन जब नबियों का गुरोह उसके सामने बैठा था तो उसने अपने नौकर को हुक्म दिया, “बड़ी देग लेकर नबियों के लिए कुछ पका लो।”


यक़ीनन वह क़ौमों से मुहब्बत करता है, तमाम मुक़द्दसीन तेरे हाथ में हैं। वह तेरे पाँवों के सामने झुककर तुझसे हिदायत पाते हैं।


तो क्या इसका यह मतलब है कि अल्लाह ने अपनी क़ौम को रद्द किया है? हरगिज़ नहीं! मैं तो ख़ुद इसराईली हूँ। इब्राहीम मेरा भी बाप है, और मैं बिनयमीन के क़बीले का हूँ।


पौलुस को इल्म था कि अदालते-आलिया के कुछ लोग सदूक़ी हैं जबकि दीगर फ़रीसी हैं। इसलिए वह इजलास में पुकार उठा, “भाइयो, मैं फ़रीसी बल्कि फ़रीसी का बेटा भी हूँ। मुझे इसलिए अदालत में पेश किया गया है कि मैं मुरदों में से जी उठने की उम्मीद रखता हूँ।”


एक दिन कुछ यहूदी स्तिफ़नुस से बहस करने लगे। (वह कुरेन, इस्कंदरिया, किलिकिया और सूबा आसिया के रहनेवाले थे और उनके इबादतख़ाने का नाम लिबरतीनियोँ यानी आज़ाद किए गए ग़ुलामों का इबादतख़ाना था।)


तब बादशाह ने जिबऊनियों को बुला लिया ताकि उनसे बात करे। असल में वह इसराईली नहीं बल्कि अमोरियों का बचा-खुचा हिस्सा थे। मुल्के-कनान पर क़ब्ज़ा करते वक़्त इसराईलियों ने क़सम खाकर वादा किया था कि हम आपको हलाक नहीं करेंगे। लेकिन साऊल ने इसराईल और यहूदाह के लिए जोश में आकर उन्हें हलाक करने की कोशिश की थी।


बाद में मैं मुल्के-शाम और किलिकिया चला गया।


यहूदी मज़हब के लिहाज़ से मैं अकसर दीगर हमउम्र यहूदियों पर सबक़त ले गया था। हाँ, मैं अपने बापदादा की रिवायतों की पैरवी में हद से ज़्यादा सरगरम था।


उसने ख़त पढ़ लिया और फिर पौलुस से पूछा, “आप किस सूबे के हैं?” पौलुस ने कहा, “किलिकिया का।”


यों पौलुस जमातों को मज़बूत करते करते शाम और किलिकिया में से गुज़रा।


उनके हाथ उन्होंने यह ख़त भेजा, “यरूशलम के रसूलों और बुज़ुर्गों की तरफ़ से जो आपके भाई हैं। अज़ीज़ ग़ैरयहूदी भाइयो जो अंताकिया, शाम और किलिकिया में रहते हैं, अस्सलामु अलैकुम!


इसके बाद वह साऊल की तलाश में तरसुस चला गया।


जब भाइयों को मालूम हुआ तो उन्होंने उसे क़ैसरिया पहुँचा दिया और जहाज़ में बिठाकर तरसुस के लिए रवाना कर दिया।


तो लोग यह मालूम करने के लिए कि क्या हुआ है अपनी जगहों से निकलकर ईसा के पास आए। उसके पास पहुँचे तो वह आदमी मिला जिससे बदरूहें निकल गई थीं। अब वह कपड़े पहने ईसा के पाँवों में बैठा था और उस की ज़हनी हालत ठीक थी। यह देखकर वह डर गए।


तीन दिन के बाद वह आख़िरकार बैतुल-मुक़द्दस में पहुँचे। वहाँ ईसा दीनी उस्तादों के दरमियान बैठा उनकी बातें सुन रहा और उनसे सवालात पूछ रहा था।


अब तक साऊल ख़ुदावंद के शागिर्दों को धमकाने और क़त्ल करने के दरपै था। उसने इमामे-आज़म के पास जाकर


पहले मैं भी समझता था कि हर मुमकिन तरीक़े से ईसा नासरी की मुख़ालफ़त करना मेरा फ़र्ज़ है।


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