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اعمال 2:46 - किताबे-मुक़द्दस

46 रोज़ाना वह यकदिली से बैतुल-मुक़द्दस में जमा होते रहे। साथ साथ वह मसीह की याद में अपने घरों में रोटी तोड़ते, बड़ी ख़ुशी और सादगी से रिफ़ाक़ती खाना खाते

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اُردو ہم عصر ترجُمہ

46 وہ ہر روز ایک دِل ہوکر بیت المُقدّس کے صحن میں جمع ہوتے تھے۔ اَپنے گھروں میں روٹی توڑتے تھے اَور اِکٹھّے ہوکر خُوشی اَور صَاف دِلی سے کھانا کھاتے تھے۔

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کِتابِ مُقادّس

46 اور ہر روز ایک دِل ہو کر ہَیکل میں جمع ہُؤا کرتے اور گھروں میں روٹی توڑ کر خُوشی اور سادہ دِلی سے کھانا کھایا کرتے تھے۔

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ہولی بائبل کا اردو جیو ورژن

46 روزانہ وہ یک دلی سے بیت المُقدّس میں جمع ہوتے رہے۔ ساتھ ساتھ وہ مسیح کی یاد میں اپنے گھروں میں روٹی توڑتے، بڑی خوشی اور سادگی سے رفاقتی کھانا کھاتے

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اعمال 2:46
25 حوالہ جات  

इसके बाद भी वह रोज़ाना बैतुल-मुक़द्दस और मुख़्तलिफ़ घरों में जा जाकर सिखाते और इस ख़ुशख़बरी की मुनादी करते रहे कि ईसा ही मसीह है।


यह ईमानदार रसूलों से तालीम पाने, रिफ़ाक़त रखने और रिफ़ाक़ती खानों और दुआओं में शरीक होते रहे।


इतवार को हम अशाए-रब्बानी मनाने के लिए जमा हुए। पौलुस लोगों से बात करने लगा और चूँकि वह अगले दिन रवाना होनेवाला था इसलिए वह आधी रात तक बोलता रहा।


ऐ रब, मुझे अपनी राह सिखा ताकि तेरी वफ़ादारी में चलूँ। बख़्श दे कि मैं पूरे दिल से तेरा ख़ौफ़ मानूँ।


यह बात हमारे लिए फ़ख़र का बाइस है कि हमारा ज़मीर साफ़ है। क्योंकि हमने अल्लाह के सामने सादादिली और ख़ुलूस से ज़िंदगी गुज़ारी है, और हमने अपनी इनसानी हिकमत पर इनहिसार नहीं किया बल्कि अल्लाह के फ़ज़ल पर। दुनिया में और ख़ासकर आपके साथ हमारा रवैया ऐसा ही रहा है।


फिर उसने उन्हें अपने घर में लाकर खाना खिलाया। अल्लाह पर ईमान लाने के बाइस उसने और उसके तमाम घरवालों ने बड़ी ख़ुशी मनाई।


ग़ुलामो, हर बात में अपने दुनियावी मालिकों के ताबे रहें। न सिर्फ़ उनके सामने ही और उन्हें ख़ुश रखने के लिए ख़िदमत करें बल्कि ख़ुलूसदिली और ख़ुदावंद का ख़ौफ़ मानकर काम करें।


अगर आपकी नेमत हौसलाअफ़्ज़ाई करना है तो हौसलाअफ़्ज़ाई करें। अगर आपकी नेमत दूसरों की ज़रूरियात पूरी करना है तो ख़ुलूसदिली से यही करें। अगर आपकी नेमत राहनुमाई करना है तो सरगरमी से राहनुमाई करें। अगर आपकी नेमत रहम करना है तो ख़ुशी से रहम करें।


अब जाएँ, उम्दा खाना खाकर और पीने की मीठी चीज़ें पीकर ख़ुशी मनाएँ। जो अपने लिए कुछ तैयार न कर सकें उन्हें अपनी ख़ुशी में शरीक करें। यह दिन हमारे रब के लिए मख़सूसो-मुक़द्दस है। उदास न हों, क्योंकि रब की ख़ुशी आपकी पनाहगाह है।”


वहाँ वह अपना पूरा वक़्त बैतुल-मुक़द्दस में गुज़ारकर अल्लाह की तमजीद करते रहे।


चुनाँचे जाकर अपना खाना ख़ुशी के साथ खा, अपनी मै ज़िंदादिली से पी, क्योंकि अल्लाह काफ़ी देर से तेरे कामों से ख़ुश है।


इसके लिए भी उस जगह जमा हो जा जो रब अपने नाम की सुकूनत के लिए चुनेगा। वहाँ उसके हुज़ूर ख़ुशी मना। तेरे बाल-बच्चे, तेरे ग़ुलाम और लौंडियाँ और तेरे शहरों में रहनेवाले लावी, परदेसी, यतीम और बेवाएँ सब तेरी ख़ुशी में शरीक हों।


लेकिन अफ़सोस, मुझे डर है कि आप हव्वा की तरह गुनाह में गिर जाएंगे, कि जिस तरह साँप ने अपनी चालाकी से हव्वा को धोका दिया उसी तरह आपकी सोच भी बिगड़ जाएगी और वह ख़ुलूसदिली और पाक लग्न ख़त्म हो जाएगी जो आप मसीह के लिए महसूस करते हैं।


फ़रिश्ते की सुनकर रसूल सुबह-सवेरे बैतुल-मुक़द्दस में जाकर तालीम देने लगे। अब ऐसा हुआ कि इमामे-आज़म अपने साथियों समेत पहुँचा और यहूदी अदालते-आलिया का इजलास मुनअक़िद किया। इसमें इसराईल के तमाम बुज़ुर्ग शरीक हुए। फिर उन्होंने अपने मुलाज़िमों को क़ैदख़ाने में भेज दिया ताकि रसूलों को लाकर उनके सामने पेश किया जाए।


एक दोपहर पतरस और यूहन्ना दुआ करने के लिए बैतुल-मुक़द्दस की तरफ़ चल पड़े। तीन बज गए थे।


और ऐसा हुआ कि जब वह खाने के लिए बैठ गए तो उसने रोटी लेकर उसके लिए शुक्रगुज़ारी की दुआ की। फिर उसने उसे टुकड़े करके उन्हें दिया।


बदन का चराग़ आँख है। अगर तेरी आँख ठीक हो तो फिर तेरा पूरा बदन रौशन होगा।


वहाँ रब के सामने तुम, तुम्हारे बेटे-बेटियाँ, तुम्हारे ग़ुलाम और लौंडियाँ ख़ुशी मनाएँ। अपने शहरों में आबाद लावियों को भी अपनी ख़ुशी में शरीक करो, क्योंकि उनके पास मौरूसी ज़मीन नहीं होगी।


ग़ुलामो, डरते और काँपते हुए अपने इनसानी मालिकों के ताबे रहें। ख़ुलूसदिली से उनकी ख़िदमत यों करें जैसे मसीह की।


चुनाँचे जो कुछ बरतन के अंदर है उसे ग़रीबों को दे दो। फिर तुम्हारे लिए सब कुछ पाक-साफ़ होगा।


वहाँ रब अपने ख़ुदा के हुज़ूर अपने घरानों समेत खाना खाकर उन कामयाबियों की ख़ुशी मनाओ जो तुझे रब तेरे ख़ुदा की बरकत के बाइस हासिल हुई हैं।


जब हम अशाए-रब्बानी के मौक़े पर बरकत के प्याले को बरकत देकर उसमें से पीते हैं तो क्या हम यों मसीह के ख़ून में शरीक नहीं होते? और जब हम रोटी तोड़कर खाते हैं तो क्या मसीह के बदन में शरीक नहीं होते?


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